ढाका में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. राजधानी से लेकर कई जिलों में प्रदर्शन, आगजनी, लूटपाट और मीडिया संस्थानों पर हमले की खबरें सामने आई हैं. पुलिस और सुरक्षा बलों को कई जगह हालात नियंत्रित करने के लिए तैनात किया गया है. हादी, जो पिछले कुछ महीनों में शासन-परिवर्तन की राजनीतिक मुहिम में एक प्रमुख चेहरा बन कर उभरे थे, 12 दिसंबर को हथियारबंद हमले का शिकार हुए थे. अस्पताल में कई दिनों तक इलाज के बाद सिंगापुर में उनकी मौत हो गई. इस घटना ने बांग्लादेश के भीतर उग्र सामूहिक प्रतिक्रियाएं पैदा कर दी हैं.
देशभर में उग्र विरोध और आगजनी
सिंगापुर से मौत की आधिकारिक पुष्टि होते ही गुरुवार देर रात से ढाका के कई हिस्सों में भीड़ जमा हुई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शाहबाग और पलटन इलाके में छात्रों और कट्टरपंथी समूहों ने हादी की कथित “सरकारी सुरक्षा-विफलता” के विरुद्ध नारेबाजी की. देखते-देखते विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और सरकारी-समर्थित माने जाने वाले कार्यालयों को निशाना बनाया गया. ढाका स्थित दो प्रमुख मीडिया संस्थानों — प्रथम आलो और डेली स्टार — के दफ्तरों को उपद्रवियों ने घेर लिया. कई मंजिलों की तोड़फोड़ की गई, सामग्रियां बाहर निकाली गईं और आग लगा दी गई. कुछ कर्मचारियों के भीतर फंसने की सूचना भी स्थानीय रिपोर्टों में रही. राजशाही में अवामी लीग के स्थानीय कार्यालय को बुलडोजर लाकर गिराने की घटना चर्चा में है. रात के समय आए प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि यह कार्यालय “जनविरोधी शासन” का प्रतीक है.
भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमला
चटगांव में स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब प्रदर्शनकारी भारतीय उच्चायोग के परिसर के बाहर जमा हुए और पथराव किया. भारत-विरोधी तथा अवामी लीग विरोधी नारों के वीडियो स्थानीय पोर्टलों पर प्रसारित हो रहे हैं. कई कट्टरपंथी छात्र संगठन इसे “सीमा-पार साजिश” की तरह पेश कर रहे हैं. नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने मांग की है कि हादी की हत्या में शामिल संदिग्धों को भारत से वापस लाया जाए. एनसीपी नेता सरजिस आलम ने कहा कि “जब तक कथित साजिशकर्ता सामने नहीं आते, दबाव बढ़ाया जाएगा”. इस बयानबाजी की वजह से भारत-बांग्लादेश राजनयिक स्थिति पर अनिश्चितता बढ़ गई है.
तारिक रहमान की अपील
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने सोशल पोस्ट के माध्यम से हादी की मौत को “राजनीतिक हिंसा की मानवीय कीमत” कहा. उन्होंने अंतरिम सरकार से मामले को प्राथमिकता से जांचने की अपील की. रहमान के संदेश का उद्देश्य यह संकेत देना माना जा रहा है कि विपक्ष सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगा सकता है.
सरकार ने शांति की अपील की
अंतरिम प्रशासन के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र को संदेश जारी करते हुए कहा कि किसी भी नागरिक को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा एजेंसियों और जांच टीमों को निष्पक्ष जांच पूरी करने का समय दिया जाए. यूनुस ने इसे राष्ट्रीय क्षति बताया और शुक्रवार के लिए राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया. मस्जिदों में विशेष प्रार्थना कराई जा रही है और सरकार ने मृतक परिवार की सहायता की घोषणा की है.
कौन थे शरीफ उस्मान हादी
शरीफ उस्मान हादी छात्र आंदोलन के बीच एक प्रमुख नाम बनकर उभरे थे. इंकलाब मंच नामक संगठन के वह संस्थापक सदस्यों में रहे और ढाका में शासन-विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया. जुलाई 2024 में जब अवामी लीग के खिलाफ आंदोलन ने तेजी पकड़ी और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता का पतन हुआ, तब हादी सार्वजनिक विमर्श में चर्चा का केंद्र बने. उन्होंने भारत की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कई मंचों पर तीखे बयान दिए थे. हाल-ही में कथित “ग्रेटर बांग्लादेश” का नक्शा साझा करने के कारण भी वह विवादों में रहे थे. आगामी चुनाव में ढाका-8 सीट से स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में उन्होंने प्रचार भी शुरू कर दिया था.
हमले की घटना के बारे में क्या जानकारी है
12 दिसंबर को पलटन के पास अज्ञात हथियारबंद लोगों ने हादी पर गोलियां चलाईं. उनके सिर में गंभीर चोट आई. पहले ढाका में इलाज चला और फिर उन्हें सिंगापुर रेफर किया गया. अस्पताल में कई चरणों के उपचार के बाद उनकी मौत हो गई. बांग्लादेश विदेश मंत्रालय तथा सिंगापुर प्रशासन ने संयुक्त रूप से निधन की पुष्टि की.
सांस्कृतिक संस्थानों को भी बनाया गया निशाना
गुस्साई भीड़ चायनॉट नामक उस संस्थान तक पहुंच गई जिसे बांग्लादेश की सांस्कृतिक आत्मा माना जाता है. यह संस्था 1960 के दशक से बंगाली संगीत, नृत्य और विरासत को संरक्षित करने का काम करती रही है. भीड़ की नारेबाजी और उसके बाद हुए नुकसान को लेकर वरिष्ठ कलाकारों ने चिंता जताई है कि यह सोशल हार्मोनी पर बड़ा प्रहार है.
राजनीतिक भविष्य पर खतरा
विश्लेषकों का मानना है कि यह हिंसा केवल एक हत्या का परिणाम नहीं बल्कि सत्ता-संक्रमण के बाद उत्पन्न अस्थिरता का हिस्सा है. अंतरिम तंत्र और छात्र-समूहों के बीच भरोसे की कमी से भय है कि राजनीतिक ध्रुवीकरण और गहरा हो जाएगा. भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव को लेकर भी चिंताएं बढ़ी हैं, खासकर तब जब सीमा-पार दूतावासों पर निशाना साधा जा रहा है. अभी तक न तो किसी गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है, न ही पुलिस ने हमलावरों या साजिश के बारे में आधिकारिक निष्कर्ष दिया है. हालात को देखते हुए कई जिलों में सुरक्षा बलों को हाई-अलर्ट पर रखा गया है.
आगे क्या
सरकार का कहना है कि जांच एजेंसियां हमलावरों की पहचान कर रही हैं और हिंसा में शामिल लोगों पर कार्रवाई होगी. दूसरी ओर छात्र समूह इस मौत को “आंदोलन के दमन का उदाहरण” बताकर अपनी सड़क-मौजूदगी जारी रखने की घोषणा कर रहे हैं. ढाका इस समय अनिश्चितता से गुजर रहा है और सवाल यही है कि राजनीतिक दबाव, धार्मिक उन्माद और सार्वजनिक क्रोध का मिश्रण फिर किस दिशा में ले जाएगा.



