‘अबुआ झारखंड’ का यह वीडियो आपको रुला सकता है

Ranchi: झारखंड विकास की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है. साल भर के अंदर राजधानी रांची में तीन-तीन नये फ्लाईओवर चालू हो गये. राज्य के शहरों में बड़ी-बड़ी ईमारतें बन गई. सड़कें चकाचक हो गई. पानी, बिजली, शौचालय सब है, लेकिन गांवों का क्या? गांवों को कौन देखेगा? अबुआ राज में अबुआ सरकार गांवों की बात करती है. गांव और ग्रामीणों को सशक्त करने की बात होती है, लेकिन जब गांवों की बदहाली की तस्वीर सामने आती है तो सरकार के खोखले वादों और दावों की पोल खुल जाती है. गांवों की बदहाली की दो तस्वीर सामने आई है. पहला रांची जिला के सिल्ली की और दूसरा चतरा जिला के हंटरगंज की. दोनों ही जगह ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं. सिल्ली में बांस के पुल और हंटरगंज में बिजली के पोल को सड़क पर डालकर लोग नदी पार कर रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने यह दोनों वीडियो अपने एक्स प्रोफाइल पर पोस्ट किया है. हालांकि बवाल न्यूज इस वीडियो की सत्यता का दावा नहीं करता है.

बाबूलाल मरांडी ने वीडियो को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है, “जब झारखंड का गठन हुआ था, उस समय राज्य के ग्रामीण और दूर-दराज इलाकों में पुल-पुलिया की भारी कमी के कारण आवागमन बेहद कठिन था. मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने प्राथमिकता के साथ सैकड़ों पुल-पुलियों का निर्माण कराया, जिससे पहली बार इन क्षेत्रों तक वाहन पहुंच पाए, लेकिन आज भी रांची के सिल्ली और चतरा के हंटरगंज जैसे कई इलाकों में नदी पर पुल नहीं होने से लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण आज भी बांस की अस्थायी पुलिया से नदी पार करने को मजबूर हैं. मरीजों को चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है, लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं. राज्य सरकार इन क्षेत्रों में शीघ्र पुलों का निर्माण सुनिश्चित करे, ताकि ग्रामीणों, विशेष रूप से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में सुविधा हो सके.

झारखंड में इस तरह का वीडियो सामने आना कोई नई बात नहीं है. बीते कुछ महीनों में इस तरह के कई वीडियो सामने आ चुके हैं, जहां लोग मरीजों को खाट पर लादकर अस्पताल ले जा रहे हैं. ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद संबंधित विभाग के मंत्री सोशल मीडिया पर ही कार्रवाई का आदेश देते हैं. कार्रवाई होती भी है, लेकिन फिर ऐसी तस्वीरें सामने आती है. ऐसी तस्वीरें तबतक सामने आती रहेगी जबतक सिस्टम सुधरेगा नहीं. जबतक सरकार गांव नहीं पहुंचेगी. जबतक अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचेगी.

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