“स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का ढिंढोरा पीटकर जर्जर स्कूलों से...”, बाबूलाल बोले: शिक्षा को भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ाएं

Untitled design (12)-H41g2Ob3H5.jpg

Ranchi : झारखंड में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई पहल किये गये हैं. स्कूलों में बच्चों का ड्रॉप आउट रेट कम करने के लिए लगातार अभियान चल रहे हैं. भले ही विवादों के कारण जरूरत के मुताबिक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है, लेकिन स्कूल भवन के लिए हर बजट में प्रावधान हो रहा है. इसके बाद भी सरकारी स्कूल खस्ताहाल हैं. झारखंड में शिक्षा की दो तस्वीरें हैं. एक तस्वीर सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की है, जहां बच्चों को प्राइवेट स्कूलों वाली सुविधाएं और शिक्षा मिल रही है. यही तस्वीरें शिक्षा विभाग की तरफ से दिखायी जाती हैं, जबकि दूसरी तस्वीर है जर्जर स्कूलों की, जो हम नहीं देख पाते. सुदूर गांवों के इन जर्जर स्कूलों की तस्वीरें कभी-कभार ही सामने आ पाती है. लातेहार जिले से 25 किलोमीटर दूर स्थित तुरूड़ के नव उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय से जर्जर स्कूल की तस्वीर सामने आई है. जहां छत से पानी टपकता है. झारखंड में महीने भर से लगातार बारिश हो रही है. सोचिये महीने भर से इस स्कूल के छात्र कैसे टपकते स्कूल में पढ़ रहे होंगे?

“गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अपेक्षा करना बेमानी”

झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे लेकर हेमंत सरकार पर हमला किया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “झारखंड में सरकारी स्कूलों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. हेमंत सरकार कुछ गिने-चुने 'सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस' का ढिंढोरा पीटकर हजारों जर्जर स्कूलों की सच्चाई से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है. जब सरकार का प्राथमिक उद्देश्य ही किसी भी तरह से भ्रष्टाचार कर अवैध धन अर्जित करना हो, तो ऐसी व्यवस्था से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अपेक्षा करना बेमानी है.”

“विकास की रोशनी केवल सत्ता के चहेतों तक”

बाबूलाल मरांडी ने आगे लिखा, “स्कूल जाने वाले सड़कों की हालत इतनी बदतर है कि बच्चे-बच्चियां जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं, वहां भी जर्जर भवनों में पढ़ाई करना उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है. झारखंड में विकास की रोशनी केवल मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सत्ता से जुड़े चहेते लोगों के बच्चों तक ही पहुंच रही है. गरीब, दलित, आदिवासी समाज के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो चुका है. राज्य सरकार शिक्षा को अपने भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ाए और ईमानदारी से शिक्षा व्यवस्था के सुधार की दिशा में कदम उठाए.

2
Author
No Image
Content creator
Bawal News

Someone who likes to write and teach

You May Also Like

Write a Response