रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले जेएमएम और बीजेपी में पैसे बांटने वाली योजनाओं की होड़ लग गई है. हेमंत सरकार ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का मास्टर कार्ड खेला. इस योजना के तहत 18 से 50 साल तक की महिलाओं के महीने में एक हजार और साल में 12 हजार रुपये दिये जा रहे हैं. मंईयां सम्मान योजना की सफलता को देखकर बीजेपी में खलबली मच गई. आनन-फानन में उसने दीदी गोगो योजना का दांव खेल दिया. बीजेपी ने घोषणा की कि चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार आती है तो महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना से 1100 रुपये अधिक यानी 2100 रुपये हर महीने दिये जाएंगे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत कई नेता कैंप लगाकर महिलाओं से इस योजना का फॉर्म भी भरवा रहे हैं. अब वापस झामुमो बीजेपी के नहले पर दहला का दांव खेलते हुए जेएमएम सम्मान योजना शुरू करने जा रही है. इसके तहत महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये और साल में 30000 रुपये देने की घोषणा की है.
जेएमएम ने चुनाव आयोग को ही उलझा दिया
झारखंड में बीजेपी की दीदी गोगो योजना को लेकर फार्म भरवाये जाने का झामुमो ने विरोध किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसे गलत बताते हुए सभी जिलों को डीसी को निर्देश दिया है, साथ ही चुनाव आयोग से कार्रवाई करने की मांग की है. चुनाव आयोग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होने पर अब झामुमो भी खुलकर मैदान में उतर गया है. बुधवार को झामुमो की तीन सदस्यी टीम जेएमएम के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग पहुंची. निर्वाचन पदाधिकारी से मिलकर झामुमो की तरफ से JMM सम्मान योजना चलाने की स्वीकृति मांगी. झामुमो ने निर्वाचन आयोग से कहा कि अगर बीजेपी द्वारा जारी फॉर्म "गोगो दीदी योजना 'आपके दिशा-निर्देश के विरूद्ध नहीं है तो हमें भी "झामुमो सम्मान योजना" लागू करने की अनुमती दी जाए.
झामुमो ने निर्वाचन आयोग से की शिकायत
निर्वाचन आयोग को झामुमो की तरफ से एक पत्र भी सौंपा गया है जिसमें कहा गया है कि बीजेपी द्वारा एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें आवेदकों को "गोगो दीदी योजना' के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए आमंत्रित किया जा रहा है. इस फॉर्म में नाम, पता, मोबाइल नंबर, पंचायत, ब्लॉक, जिले का नाम आदि जैसे विवरण मांगे जा रहे हैं. इस योजना में हर महीने की 11 तारीख को प्रत्येक महिला को 2100 रुपये और प्रति वर्ष 25000 रुपये देने का वादा किया गया है. यह एक चुनावी हथकंडा है, और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 के तहत परिभाषित भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है. यह 1951 के प्रावधानों के तहत रिश्वत का प्रलोभन है.





