कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों को QR कोड क्यों जरूरी?... सुप्रीम कोर्ट ने यूपी-उत्तराखंड सरकार से एक हफ्ते में मांगा जवाब

  • Posted on July 15, 2025
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New Delhi : सावन के पवित्र महीने में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ रुट के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी किये हैं. इनमें से एक क्यूआर कोड लगाने वाला मामला गरमा गया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी. मामले से जुड़े अन्य सभी याचिकाओं को संबद्ध कराने का भी आदेश दिया गया है. दरअसल यूपी और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ मार्ग पर सभी दुकानदारों को क्यूआर कोड लगाने का आदेश दिया है, जिसमें दुकान के मालिक की पूरी पहचान मौजूद रहेगी. 

SC ने एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का दिया समय

इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस आदेश को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा और कार्यकर्ता आकार पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती है, जिसमें कहा गया है कि सरकार का यह आदेश भेदभावपूर्ण है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 1 हफ्ते का समय दिया है. जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों सरकारों को अगले मंगलवार तक क्यूआर कोड के आदेश का कारण सुप्रीम कोर्ट को बताना होगा.

पिछले साल दुकानों में नेम प्लेट लगाने का विवाद हुआ था

दरअसल पिछले साल भी सावन महीने में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दुकानों पर नेम प्लेट लगाने का आदेश पारित किया था, जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया था. उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी और कहा था कि दुकानदारों को नाम बताने के बजाय दुकान पर क्या बेचा जा रहा है इसको बताने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा था कि दुकानदार खाने में क्या परोस रहे हैं, ये बताएं. मालिकों, दुकान कर्मचारियों को उनके नाम बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.

 

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