बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद गुरुवार को ढाका लौट आए. 2008 में ब्रिटेन गए रहमान पर उस समय भ्रष्टाचार और अन्य मामले थे. उनके लौटने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया. एयरपोर्ट से लेकर लगभग 13 किलोमीटर लंबी रोड शो में लाखों समर्थक मौजूद थे. इस दौरान राहमान ने 17 मिनट का भाषण दिया, जिसमें उन्होंने देश को नए सिरे से बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया.
तारिक रहमान ने कहा, "हमने बांग्लादेश को दो बार आजाद कराया – पहली बार 1971 में और फिर जुलाई 2024 के विद्रोह के जरिए." उन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और जुलाई 2024 में हुए छात्रों और जनता के विद्रोह के लिए आभार व्यक्त किया. उनके इस संबोधन पर भीड़ ने जोरदार तालियां बजाईं.
समावेशी बांग्लादेश का आह्वान
रहमान ने भाषण में सभी समुदायों के लोगों को एक साथ आने का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि मुसलमान, हिंदू, बौद्ध और ईसाई सभी का योगदान बांग्लादेश के निर्माण में होना चाहिए. "हम चाहते हैं कि हर महिला, पुरुष और बच्चा सुरक्षित महसूस करे और अपने घर से निकलने में भय न हो." उन्होंने कहा कि उनका मकसद एक शांतिपूर्ण, समावेशी और लोकतांत्रिक बांग्लादेश बनाना है.
लोकतंत्र और राजनीतिक स्थिरता पर जोर
तारिक रहमान ने हाल ही में हत्या किए गए BNP नेता उस्मान हादी का जिक्र करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि हादी और अन्य शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए. रहमान ने पार्टी के भविष्य के दृष्टिकोण के लिए लोकतांत्रिक मानदंड और राजनीतिक स्थिरता को प्राथमिकता देने का वादा किया.
आगामी आम चुनाव में संभावित प्रधानमंत्री उम्मीदवार
अगले साल 12 फरवरी को बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं. खालिदा जिया की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण माना जा रहा है कि तारिक रहमान प्रधानमंत्री पद के प्रमुख उम्मीदवार के रूप में उभर सकते हैं. उन्होंने समर्थकों से युवा शक्ति को जुटाकर देश के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बीएनपी और अवामी लीग के बीच दशकों पुरानी प्रतिद्वंदिता "बैटल ऑफ बेगम्स" के नाम से जानी जाती है. 1991 से लेकर अब तक सत्ता का बदलाव अक्सर इन दो नेताओं के बीच हुआ. 2024 के जुलाई विद्रोह के बाद BNP फिर से अग्रणी दल के रूप में उभरी है, जिससे देश की राजनीतिक दिशा बदलने की उम्मीद बढ़ गई है.



