ईरान की तेजी से बढ़ती बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता को लेकर इजरायल की चिंता एक बार फिर सामने आई है. कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स और खुफिया सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि ईरान बड़े पैमाने पर एडवांस बैलिस्टिक मिसाइलों का निर्माण कर रहा है. कुछ आकलनों में यह तक कहा गया है कि किसी संभावित युद्ध की स्थिति में ईरान एक साथ 2,000 तक मिसाइलें इजरायल की ओर दाग सकता है. इसी पृष्ठभूमि में NBC न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने वाली प्रस्तावित मुलाकात में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा सकते हैं.
मार-ए-लागो में हो सकती है ट्रंप-नेतन्याहू मुलाकात
रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने के अंत में फ्लोरिडा स्थित ट्रंप के आवास मार-ए-लागो एस्टेट में दोनों नेताओं की मुलाकात संभव है. इजरायली सूत्रों का कहना है कि नेतन्याहू इस दौरान ईरान की मिसाइलों से पैदा हो रहे खतरे को रेखांकित करेंगे और इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को साझा करेंगे. इसके साथ ही वह ईरान की कार्रवाई के जवाब में संभावित सैन्य विकल्पों पर भी चर्चा कर सकते हैं, जिनमें इजरायल का एकतरफा हमला या अमेरिका के साथ मिलकर संयुक्त सैन्य अभियान शामिल हो सकता है.
ईरान की बढ़ी मिसाइल उत्पादन क्षमता
NBC की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान अब हर महीने करीब 3,000 बैलिस्टिक मिसाइल बनाने की क्षमता हासिल कर चुका है. हालांकि, जून में इजरायली हमलों में सॉलिड फ्यूल मिसाइलों के निर्माण से जुड़े अहम उपकरण नष्ट हो गए थे. इसके बाद ईरान लिक्विड फ्यूल आधारित मिसाइलों पर ज्यादा निर्भर हो गया है. विशेषज्ञों के अनुसार, लिक्विड फ्यूल मिसाइलों को लॉन्च करने में अधिक समय लगता है, जिससे वे हमले से पहले निशाना बन सकती हैं.
टूटी फैक्ट्रियों के पुनर्निर्माण की कोशिश
एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट में सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बताया गया था कि जून में 12 दिन चली लड़ाई के बाद ईरान ने अपनी क्षतिग्रस्त मिसाइल फैक्ट्रियों को दोबारा बनाना शुरू कर दिया है. इजरायल की चिंता यह भी है कि ईरान अपने एयर डिफेंस सिस्टम और यूरेनियम एनरिचमेंट सुविधाओं को भी फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिका की भूमिका पर नजर
इजरायल चाहता है कि ईरान सॉलिड फ्यूल मिसाइलों की क्षमता दोबारा हासिल करने से पहले ही उस पर दबाव बनाया जाए. हालांकि, इसके लिए अमेरिका की सहमति अहम मानी जा रही है. मौजूदा हालात में यह स्पष्ट नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप किसी नए सैन्य टकराव को हरी झंडी देंगे या नहीं.



