Ranchi: झारखंड में अवैध बालू खनन को लेकर राजनीति गर्म है. जमशेदपुर के भुइयांडीह क्षेत्र में सुवर्णरेखा नदी से नावों का प्रयोग कर अवैध बालू खनन किया जाता है. नदी के बीच से नावों द्वारा बालू निकाली जाती है, फिर बोरों में भरकर किनारे रखी जाती है और इसके बाद कथित तौर पर व्यवस्थित तरीके से परिवहन होता है. इस प्रक्रिया को लेकर नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने गंभीर आरोप लगाए हैं. मरांडी का दावा है कि राज्य सरकार, पुलिस तंत्र और स्थानीय माफिया मिलकर इस अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि बालू से होने वाली अवैध कमाई ही असली वजह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पेसा कानून को लागू नहीं होने दे रहे हैं, जबकि यह आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है. मरांडी ने सवाल उठाया कि जो व्यक्ति अपने को आदिवासी हितों का संरक्षक बताता है, वह प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर चुप क्यों है.
सरकार को सीधी चुनौती
मरांडी ने आरोप लगाया कि सुप्रीम अथॉरिटी के आदेश भी इस सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखते. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने बालू खनन पर रोक लगाई है, लेकिन यह अवधि माफिया और प्रशासन के लिए “स्वर्णिम समय” में बदल चुकी है, जहां प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम अवैध उत्खनन कराया जा रहा है और ऊंची कीमतों पर बालू आम नागरिकों को बेची जा रही है. उनका कहना है कि अदालत में सरकार समय मांगती है और बाहर निकलते ही जनता को लूटने का चक्र शुरू हो जाता है. मरांडी ने मुख्यमंत्री से सीधा सवाल किया कि यदि यह सारा खेल सरकार की सहमति से नहीं हो रहा है, तो इसे रुकवाने की हिम्मत दिखाएं और माफियाओं पर कार्रवाई करें. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और माफिया भ्रष्टाचार के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हो चुके हैं — सरकार कार्रवाई नहीं करेगी और माफिया अपने हिस्से का “कट” समय पर पहुंचा देंगे.
“जल-जंगल-जमीन” के नाम पर वोट, अब प्राकृतिक संपदा पर खतरा
अपने पोस्ट में मरांडी ने कहा कि झारखंड का दुर्भाग्य यह है कि जिन्हें जल, जंगल और जमीन के नाम पर राज्य की सत्ता सौंपी गई, वही अब उसी प्राकृतिक संपदा को परत-दर-परत दीमक की तरह चाट रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पड़ोसी राज्य में चारा घोटाला हुआ था, परंतु हेमंत सरकार उससे भी “एक कदम आगे” निकल चुकी है और बालू तक को नहीं छोड़ा. मरांडी ने कहा कि पेसा नियमावली लागू न होने का वास्तविक कारण यही अवैध कमाई है, जबकि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार केवल अगली तारीखों में समय काट रही है. मरांडी के अनुसार जब विपक्ष सवाल उठाता है तो सत्तापक्ष यह कहकर बचने की कोशिश करता है कि विपक्ष सिर्फ बालू, कोयला, पत्थर और शराब का मुद्दा उठाता है, लेकिन सवाल वहीं उठेंगे जहां लूट हो रही है. उन्होंने कहा कि यदि उनके आरोप गलत साबित हों, तो वे सार्वजनिक रूप से अपनी त्रुटि स्वीकार करेंगे, पर सरकार “गलथेथरई और सीनाजोरी” बंद करे. मरांडी ने चेतावनी दी कि जनता हिसाब करती है — चारे का भी हुआ था, बालू का भी होगा.



