SIR के नाम पर अत्याचार: 19 दिनों में 16 BLO की मौत, राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर बड़ा हमला
- Posted on November 23, 2025
- देश
- By Bawal News
- 33 Views
देश में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान को लेकर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर अब तक का सबसे तीखा और भावनात्मक हमला बोला है. उनका आरोप है कि स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के नाम पर पूरे देश में एक तरह का अत्याचार लागू कर दिया गया है. काम का बोझ इतना बढ़ गया है कि सिर्फ तीन हफ्तों में 16 बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की मौत हो चुकी है. राहुल गांधी के अनुसार यह सिर्फ प्रशासनिक नाकामी नहीं, बल्कि सत्ता बचाने के लिए लोकतंत्र की कीमत पर खेला जा रहा खेल है.
राहुल गांधी ने कहा कि जहाँ भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर बनाता है, वहीं चुनाव आयोग अब भी कागज़ी प्रक्रिया पर अड़ा हुआ है. आयोग ने ऐसा ढांचा तैयार किया है जिसमें नागरिकों को अपना नाम खोजने के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हजारों स्कैन पन्ने खंगालने पड़ रहे हैं. उनका आरोप है कि इसका उद्देश्य स्पष्ट है—सही मतदाता थक जाए और वोटरों की फर्जी हेराफेरी बिना बाधा जारी रहे. उन्होंने कहा कि यदि नीयत साफ होती तो मतदाता सूची डिजिटल और आसानी से खोजी जाने योग्य होती, लेकिन यहाँ बीएलओ की मौतों को ‘कोलैटरल डैमेज’ मानकर अनदेखा किया जा रहा है.
19 दिनों में 16 मौतें
आँकड़े बेहद चिंताजनक हैं. SIR प्रक्रिया 4 नवंबर को शुरू हुई और 19 दिनों के भीतर 6 राज्यों में 16 BLO की मौत हो गई. मध्य प्रदेश और गुजरात में 4-4, पश्चिम बंगाल में 3, राजस्थान में 2, जबकि तमिलनाडु और केरल में 1-1 BLO ने दम तोड़ दिया.
मध्य प्रदेश के रायसेन में BLO रमाकांत पांडे की मौत के बारे में परिजनों का कहना है कि वे चार रातों से सो नहीं पाए थे. वहीं रायसेन के ही नारायण सोनी निलंबन के डर और भारी लक्ष्य के दबाव में छह दिनों से लापता हैं. भोपाल में ड्यूटी के दौरान कीर्ति कौशल और मोहम्मद लईक को हार्ट अटैक आया. यह दबाव अधिकारियों की जान ले रहा है.
दहशत और फॉर्म का दबाव
स्थिति इतनी भयावह है कि पश्चिम बंगाल के नदिया में BLO रिंकू ने आत्महत्या कर ली, और गुजरात के सौराष्ट्र में अरविंद वाढेर ने चिट्ठी लिखकर जान दे दी कि ये काम उनके बस का नहीं है. राजस्थान के जयपुर में मुकेश जांगिड़ ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी.
डिजिटल फॉर्म के आँकड़ों पर नज़र डालें तो राजस्थान में सबसे अधिक 60.54% फॉर्म डिजिटल हुए हैं, जबकि केरल में यह संख्या सिर्फ 10.58% है. राहुल गांधी का आरोप है कि 30 दिनों की जल्दबाजी में किया जा रहा यह अभियान पारदर्शिता नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध रणनीति है, जिसका उद्देश्य लोकतंत्र का गला घोंटना है.
Write a Response