मधुपुर, डुमरी वाला फॉर्मूला अपनाएंगे हेमंत!, रामदास सोरेन की विरासत किसे मिलेगी?

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (40)-gwakkOSVEG.jpg

Ranchi: झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद हेमंत कैबिनेट ने मंत्री का एक पद खाली हो गया है. फिलहाल रामदास सोरेन के विभाग शिक्षा और निबंधन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास हैं, लेकिन जल्द ही रामदास सोरेन के विभाग उनके परिवार के किसी व्यक्ति को सौंपा जा सकता है. रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा सीट से विधायक चुने गये थे. उनके निधन के बाद 6 महीने के अंदर इस सीट पर उपचुनाव कराने की बाध्यता है, लेकिन इन 6 महीनों में हेमंत सोरेन घाटशिला विधानसभा सीट पर एक बार बड़ी जीत हासिल करने और सहानुभूति वोट को जेएमएम की तरफ टर्न करने के लिए मधुपुर और डुमरी वाली पुरानी रणनीति अपनाएंगे. अगर वही रणनीति अपनाई गई तो जल्द ही हेमंत कैबिनेट में एक नया चेहरा रामदास सोरेन के परिवार से दिख सकता है. जिसे पहले मंत्री बनाया जाएगा और फिर घाटशिला से उपचुनाव लड़वाया जाएगा. रामदास सोरेन के परिवार में चुनाव लड़ने योग्य उनकी पत्नी और तीन बेटे हैं, लेकिन चर्चा में बड़े बेटे सोमेश सोरेन हैं. वह इसलिए कि सोमेश राजनीति में ज्यादा एक्टिव हैं. सोमेश अपने पिता रामदास सोरेन के समय से ही उनके साथ राजनीति में सक्रिय रहे हैं. विधानसभा क्षेत्र में रामदास सोरेन का काम देखते रहे हैं. हालांकि इस मामले में अंतिम फैसला रामदास सोरेन का परिवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेना है. 

कैबिनेट मंत्री के निधन के बाद परिवार से ही किसी को पहले मंत्री बनाना और फिर उपचुनाव लड़वाने का फैसला हेमंत सोरेन पहले भी दो बार ले चुके हैं. हेमंत सोरेन का यह फैसला जेएमएम के लिए दोनों बार अच्छा साबित हुआ, इसलिए तीसरी बार भी जेएमएम हेमंत सोरेन से वैसे ही फैसले की उम्मीद कर रहा है.

अक्टूबर 2020 में हेमंत सोरेन की सरकार थी. उस वक्त मधुपुर के विधायक हाजी हुसैन अंसारी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे. कोविड के दौरान उनका निधन हो गया था. तब हेमंत सोरेन ने तय किया कि हाजी हुसैन अंसारी के चार बेटों में से ही किसी को मंत्री बनाया जाए. परिवार से मशवरे के बाद तय हुआ कि हाजी साहब के सबसे बड़े बेटे हफीजुल हसन ही पिता का राजनीतिक उत्तराधिकारी बनेंगे. हफीजुल झारखंड राज्य खनिज निगम में सर्वेयर की नौकरी कर रहे थे. सरकारी नौकरी छोड़ कर पिता की विरासत आगे बढाने राजनीति में आ गए. मंत्री पद की शपथ ली और विधानसभा के सत्र में भी शामिल हुए. इस दौरान अपने विभाग से उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में कई विकास योजनाएं शुरू करवाई. जनता से मिलते रहे. इसके बाद आई उपचुनाव की बारी जेएमएम ने मधुपुर से हफीजुल हसन को चुनाव मैदान में उतारा. उधर बीजेपी ने राज पलिवार का टिकट काटकर आजसू से गंगा नारायण सिंह को इंपोर्ट किया. गंगा नारायण में खूब माहौल बनाया, लेकिन अल्पसंख्यक, सहानुभूति वोटों और मधुपुर को दी गई विकास योजनाओं के बदौलत हफीजुल चुनाव जीत गए.

इसके बाद अप्रैल 2023 में तात्कालीन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन हो गया. उनके निधन के बाद डुमरी विधानसभा सीट खाली हो गया. सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हुई कि हफीजुल हसन की तरह इस बार जगरनाथ महतो के बेटे अखिलेश महतो को उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया जाएगा, लेकिन फिर परिवार के साथ कई बार मशवरा हुआ और अंत में जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी के नाम पर मुहर लगी. बेबी देवी ने मंत्री पद की शपथ ली और मंत्रालय संभालने लगी. उन्होंने भी हफीजुल हसन की तरह विकास योजनाओं में अपने विधानसभा का ख्याल रखा और जनता के बीच जाकर एक नेता के रुप में अपनी छवि बनाती रहीं. फिर आ गया उपचुनाव का समय. हेमंत सोरेन ने उपचुनाव में बेबी देवी को जेएमएम का प्रत्याशी बनाया. उधर एनडीए समर्थित यशोदा देवी को आजसू ने अपना उम्मीदवार बनाया. मधुपुर की तरह डुमरी में भी जेएमएम की जीत हुई. इसी तरह अब रामदास सोरेन के राजनीतिक उत्तराधिकारी की तलाश चल रही है. बड़े बेटे सोमेश या परिवार का कोई और सद्स्य रामदास सोरेन की विरासत संभालेगा. इसका फैसला अगले कुछ दिनों में हो जाएगा.

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