झारखंड बीजेपी में उठ चुकी है बगावत की चिंगारी, ज्यादा जोगी उजाड़ेंगे मठ !

सूर्यनारायण हांसदा ने साफ कहा है कि वे ही बोरियो से बीजेपी के टिकट के असली हकदार हैं. हर हाल में चुनाव लड़ेंगे. ताला मरांडी और लोबिन हेंब्रम का जनाधार पूरी तरह से खत्म हो चुका है. 

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सत्य शरण मिश्रा

रांची :  झारखंड में बीजेपी के अंदर बगावत की चिंगारी उठ चुकी है. विधानसभा चुनाव से पहले यह चिंगारी बड़ा रूप ले सकती है. जेएमएम को कमजोर करने के लिए लोबिन हेंब्रम, चंपई सोरेन, सीता सोरेन जैसे नेताओं को बीजेपी में लाकर यह चिंगारी खुद बीजेपी ने उठाई है. अब कहीं इनके चक्कर में बीजेपी को विधानसभा चुनाव में लेने के देने न पड़ जाए. इन आयातित नेताओं के खिलाफ अब पार्टी के पुराने नेता-कार्यकर्ता आवाज उठाने लगे हैं. कुछ दिन पहले लोबिन हेंब्रम बीजेपी में शामिल हुए हैं. वे बोरियो के सीटिंग एमएलए हैं. उनके बीजेपी में आने के बाद बोरियो सीट में बीजेपी से तीन दावेदार (लोबिन हेंब्रम, सूर्यनारायण हांसदा, ताला मरांडी) हो गये हैं. 2019 में इस सीट से बीजेपी ने सूर्यनारायण हांसदा को चुनाव लड़वाया था, जबकि लोबिन जेएमएम और ताला मरांडी आजसू से चुनाव लड़े थे. चुनाव के बाद ताला मरांडी बीजेपी में शामिल हो गये हैं. बवाल न्यूज से बातचीत में सूर्यनारायण हांसदा ने साफ कहा है कि वे ही बोरियो से बीजेपी के टिकट के असली हकदार हैं. हर हाल में चुनाव लड़ेंगे. ताला मरांडी और लोबिन हेंब्रम का जनाधार पूरी तरह से खत्म हो चुका है. अगर बीजेपी टिकट नहीं देगी तो वे जेएमएम में शामिल होकर चुनाव लड़ेंगे.

 

टिकट कटा तो जेएमएम में चले जाएंगे सूर्यनारायण हांसदा

 

झारखंड बनने के बाद से बोरियो विधानसभा सीट से लोबिन हेंब्रम और ताला मरांडी लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं. 2000, 2009, 2019 में झामुमो से लोबिन हेंब्रम चुनाव जीते, 2005, 2014 में बीजेपी से ताला मरांडी चुनाव जीते. 2019 में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो ताला मरांडी आजसू में शामिल हुए और चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गये. उधर सूर्यनारायण हांसदा भी तीन बार इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. 2009 में जेवीएम से लड़े थे. 2014 और 2019 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने लोबिन को कड़ी टक्कर दी थी और ताला मरांडी से अधिक वोट हासिल किया था. अब बोरियो में बगावत की चिंगारी उठने के बाद बीजेपी के सामने डैमेज कंट्रोल करना बड़ी चुनौती होगी. ताला और लोबिन चुनाव लड़ने की उम्मीद लेकर ही बीजेपी आए हैं. टिकट कटा तो ये पाला बदलने में देर नहीं करेंगे. उधर हांसदा का टिकट कटा तो वे झामुमो में चले जाएंगे. ऐसे में बीजेपी को बोरियो सीट से इस बार भी हाथ धोना पड़ सकता है.

 

आंकड़ों में समझिये किसका कितना जनाधार

 

वर्ष     लोबिन हेंब्रम           ताला मरांडी            सूर्यनारायण हांसदा

2019   77365 (47.40%)JMM     8955 (5.49%)AJSU           59441 (36.42%)BJP                        

2014       56853 (35.82%)JMM      57565 (36.27%)BJP         26823 (16.90%)JVM

2009       37546 (32.98%)JMM      28456 (25.05%)BJP         25835 (22.67%)JVM

 

गणेश अभी तो हैं बीजेपी के साथ, लेकिन आगे क्या होगा ?

 

कोल्हान प्रमंडल में बीजेपी की खोई हुई सीटों के साथ सभी 14 एसटी सुरक्षित सीटों पर कब्जा जमाने की उम्मीद में बीजेपी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को पार्टी में शामिल कराया है. चंपई सरायकेला सीट से सीटिंग एमएलए हैं. वे 1991 से लगातार (2000) छोड़कर इस सीट से झामुमो की टिकट पर चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं. पिछले दो चुनाव में बीजेपी के कैंडिडेट गणेश महली ने चंपई को कड़ी टक्कर दी है. गणेश महली कहते हैं कि बीजेपी के सच्चे सिपाही हैं और पार्टी जो फैसला लेगी वे उसके साथ रहेंगे, लेकिन वे यह भी कहते हैं कि सरायकेला सीट से वे बीजेपी की टिकट के दावेदार हैं. शायद महली को यह लग रहा है कि बीजेपी चंपई सोरेन को दूसरे विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाएगी और उन्हें सरायकेला से खड़ा किया जाएगा. महली जिस मजबूती के साथ दावेदारी पेश कर रहे हैं उससे यह नहीं लग रहा कि वे आसानी से अपनी सीट छोड़ने को तैयार होंगे. चुनाव के पहले सरायकेला सीट पर भी बीजेपी में बगावत के काफी चांस हैं.

 

आंकड़ों में जानिये कितना है चंपई-गणेश का जनाधार

 

वर्ष     चंपई सोरेन (झामुमो)            गणेश महली (बीजेपी)

2019   111554 (48.58%)                             95887 (41.76%)

2014       94746 (45.40%)                                93631 (44.86%)

 

दुमका में भी अपने जाल में फंसेगी बीजेपी ?

 

लोकसभा चुनाव के पहले सीता सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद वैसे ही दुमका बीजेपी में कलह चल रहा है. चुनाव हारने के बाद सीता सोरेन ने पूर्व सांसद सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री लुईस मरांडी समेत कई नेताओं पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ दिया था. सीता सोरेन जामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. पार्टी को उन्हें यहां टिकट देने में कोई एतराज नहीं होगा, लेकिन अगर सीता ने दुमका विधानसभा सीट से अपनी या अपनी बेटी के लिए दावेदारी पेश की तो पार्टी के अंदर का कलह सतह पर आ जाएगा. बीजेपी ने दुमका के सीटिंग एमपी सुनील सोरेन का टिकट काटकर सीता को दिया था, लेकिन वो चुनाव हार गई थीं. अब विधानसभा में सुनील सोरन की मजबूत दावेदारी है. उधर पूर्व मंत्री लुईस मरांडी भी दावेदार हैं. ऐसे में दुमका में बीजेपी ज्यादा जोगी उजाड़े मठ वाली स्थिति न हो जाए.

 

अब झामुमो विधायकों की बीजेपी में नो इंट्री

 

झामुमो के विधायकों को बीजेपी में शामिल किये जाने से उठ रहे विरोध के स्वर से पार्टी नेतृत्व भी अब टेंशन में है. असम के सीएम हेमंता बिस्वा सरमा कल तक झामुमो नेताओं को बीजेपी में शामिल कराने के लिए असम से लेकर रांची-दिल्ली तक फिल्डिंग लगाये हुए थे. सोमवार को उन्होंने भी साफ कह दिया कि अब झामुमो विधायकों की बीजेपी में नो-इंट्री. हेमंता ने कहा कि झामुमो-कांग्रेस के कई विधायक उनसे संपर्क में हैं, लेकिन अब किसी को बीजेपी में लाया गया तो पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे.

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