लोकसभा में हारे हुए नेताओं की नई फौज से विधानसभा चुनाव कैसे जीतेगी बीजेपी ?
- Posted on September 7, 2024
- राजनीति
- By Bawal News
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2024 में बीजेपी झारखंड में हारे हुए नेताओं को आगे करके विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. सीता सोरेन, गीता कोड़ा, लोबिन हेंब्रम जैसे नेता लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी एक बार फिर इनपर दांव लगाने वाली है. पूर्व सीएम चंपई सोरेन भी इसमें शामिल हैं, जो लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा सीट सरायकेला से झामुमो को वोट नहीं दिलवा पाये थे.
रांची : लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने झारखंड में विपक्ष के बड़े नेताओं को अपने पाले में किया है. बीजेपी दावा करती है कि वो इन नेताओं के जरिये विधानसभा चुनाव में जेएमएम को पटकनी दे देगी, लेकिन हकीकत यह है कि 2024 में बीजेपी ने हारे हुए विपक्षी नेताओं की फौज अपने यहां जमा की है. लोकसभा चुनाव से पहले जामा से जेएमएम विधायक सीता सोरेन और सिंहभूम से कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा को बीजेपी में शामिल कराया गया. सीता को दुमका और गीता को सिंहभूम से चुनाव लड़वाया गया, लेकिन दोनों चुनाव हार गयीं. अब लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम को झामुमो में शामिल कराया है. चंपई सोरेन लोकसभा चुनाव नहीं लड़े थे, फिर भी लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुई थी. दरअसल चंपई सोरेन उस वक्त जेएमएम में थे और मुख्यमंत्री के पद पर थे. जेएमएम से जोबा मांझी सिंहभूम से उम्मीदवार थीं. दूसरे विधानसभा सीटों से मिले वोट से जोबा मांझी चुनाव जीत गईं, लेकिन चंपई के विधानसभा से पीछे रहीं. सरायकेला में जोबा बीजेपी से 20285 वोट से पीछे थीं. वहीं लोबिन हेंब्रम भी राजमहल लोकसभा सीट के साथ-साथ अपने सीटिंग विधानसभा सीट बोरियो में भी बुरी तरह हार गये थे. बोरियो में उन्हें सिर्फ 14133 वोट मिले थे.
अपनी सेफ सीट से हार गई गीता
जगन्नाथपुर विधानसभा सीट कोड़ा फैमिली के लिए सेफ सीट माना जाता है. यहां से मधु कोड़ा और गीता कोड़ा विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर गीता कोड़ा 20977 वोटों से जोबा मांझी से हार गईं. चाईबासा, मनोहरपुर, मझगांव और चक्रधरपुर विधानसभा सीट पर भी गीता कोड़ा को कम वोट मिले. गीता ने कोल्हान टाइगर के विधानसभा क्षेत्र में सेंधमारी करते हुए वहां सबसे अधिक वोट हासिल किया. लोकसभा चुनाव का रिजल्ट बताता है कि गीता और चंपई दोनों की हार हुई है.
सिंहभूम के किस विधानसभा से गीता को कितना वोट मिला
विधानसभा गीता कोड़ा (वोट) जोबा मांझी (वोट) अंतर
सरायकेला 118773 98488 +20285
चाईबासा 45338 104833 -59459
मंझगांव 35171 95164 -59993
जगन्नाथपुर 49105 70082 -20977
मनोहपुर 48587 76263 -27676
चक्रधरपुर 52032 71159 -19127
शिकारीपाड़ा, जामताड़ा में सीता को मिले कम वोट
दुमका लोकसभा सीट पर शिबू सोरेन के परिवार का काफी प्रभाव है, लेकिन शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन पाला बदलने के कारण लोकसभा का चुनाव हार गईं. विधानसभा की अपनी सीटिंग सीट जामा में उन्हें वोट मिले, लेकिन जेएमएम प्रत्याशी नलिन सोरेन से महज 5000 वोट ही अधिक ला सकीं. शिकारीपाड़ा, जामताड़ा में सीता को नलिन से काफी कम वोट मिले. चुनाव का रिजल्ट आने के बाद सीता ने अपनी हार का ठीकरा पूर्व सांसद सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री लुईस मरांडी और विधायक रणधीर सिंह पर फोड़ दिया. पार्टी के प्रदेश नेतृत्व पर भी उन्होंने सवाल उठाये.
दुमका लोकसभा के किस विधानसभा से सीता को मिले कितने वोट
विधानसभा सीता सोरेन (वोट) नलिन सोरेन (वोट) अंतर
शिकारीपाड़ा 62639 87980 -25341
जामताड़ा 90859 126013 -35154
नाला 95700 74041 +21659
दुमका 89211 78778 +10433
जामा 74932 69246 +5686
सारठ 107373 106241 +1132
लोबिन चुनाव में बुरी तरह हारे
चंपई सोरेन के बाद लोबिन हेंब्रम बीजेपी में शामिल हुए हैं. बीजेपी ने लोबिन के भरोसे संथाल फतह की योजना बनाई है, जबकि लोबिन सीटिंग एमएलए रहते हुए लोकसभा चुनाव में अपने ही विधानसभा सीट में बुरी तरह से हारे हैं. जेएमएम से बगावत कर लोबिन ने राजमहल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया. राजमहल लोकसभा के सभी 5 विधानसभा सीटों में वे महज कुछ हजार वोटों में ही सिमट गये. बोरियो में उन्हें सिर्फ 14133 वोट मिले. राजमहल विधानसभा में तो 2000 वोट भी उन्हें नहीं मिल सका.
विधानसभा लोबिन हेंब्रम (वोट) विजय हांसदा (वोट) अंतर
राजमहल 1997 109642 -107645
बोरियो 14133 77537 -63404
बरहेट 8693 76068 -67375
लिट्टीपाड़ा 8008 80348 -72340
पाकुड़ 4903 159343 -154440
बीजेपी का ख्वाब टूट न जाए
चुनाव के रिजल्ट के आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि बीजेपी विपक्ष के जिन नेताओं के भरोसे विधानसभा चुनाव जीतने के ख्वाब देख रही है. वह लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पिट चुके हैं. सिर्फ सीता सोरेन को छोड़ दें तो चंपई (झामुमो को अपने विधानसभा से नहीं जितवा पाये), गीता और लोबिन की लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार हुई है.
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