भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए इतिहास रच दिया है. भारत के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान LVM3, जिसे ‘बाहुबली’ के नाम से जाना जाता है, ने अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के नेक्स्ट-जेनरेशन कम्युनिकेशन सैटेलाइट BlueBird-6 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया. यह अब तक किसी भारतीय लॉन्च व्हीकल द्वारा उठाया गया सबसे भारी सैटेलाइट है.
ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि करीब 6100 किलोग्राम वजनी BlueBird-6 भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च है, जो LVM3 की बढ़ती तकनीकी क्षमता को दर्शाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
इस मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री ने लिखा कि LVM3-M6 मिशन की सफलता के साथ भारत ने धरती से अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च किया है, जो देश के लिए गर्व का क्षण है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि भारत की भारी सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता को और मजबूत करती है तथा वैश्विक व्यावसायिक लॉन्च बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है. उन्होंने इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रयासों का भी प्रमाण बताया.
क्यों खास है ‘बाहुबली’ LVM3
43.5 मीटर ऊंचा और लगभग 640 टन वजनी LVM3 तीन-चरणीय रॉकेट है. यह जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में 4200 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है, जबकि लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में इससे भी अधिक भार उठाने की क्षमता रखता है. इसकी शक्ति, क्षमता और प्रदर्शन के कारण ही इसे ‘बाहुबली’ कहा जाता है.
अब तक LVM3 ने 7 मिशनों में 100 प्रतिशत सफलता हासिल की है. इसी रॉकेट ने वर्ष 2023 में चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक पहुंचाया था. मौजूदा मिशन LVM3 की आठवीं उड़ान और तीसरा व्यावसायिक (कमर्शियल) मिशन है.
BlueBird-6 की खासियत
BlueBird-6 को तकनीक की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. इसमें 2200 वर्ग मीटर का विशाल phased-array एंटीना लगा है, जो लो अर्थ ऑर्बिट में तैनात होने वाला अब तक का सबसे बड़ा एंटीना है. यह अपने पुराने संस्करणों की तुलना में करीब 10 गुना अधिक डेटा क्षमता प्रदान करता है.
इस सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सीधे स्मार्टफोन से कनेक्टिविटी उपलब्ध कराता है. Starlink या OneWeb जैसी सेवाओं के विपरीत, इसके लिए किसी विशेष टर्मिनल या ग्राउंड स्टेशन की जरूरत नहीं होगी. यह वास्तविक ‘डायरेक्ट-टू-मोबाइल’ सेवा प्रदान करेगा.
भारत के लिए बड़े अवसर
विशेषज्ञों के अनुसार, यह सफल लॉन्च भारत के लिए मल्टी-बिलियन डॉलर के वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में मजबूत उपस्थिति का संकेत है. इसके साथ ही भारत अब SpaceX, Arianespace और Roscosmos जैसी प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों की श्रेणी में मजबूती से खड़ा होता दिख रहा है.
यह मिशन भविष्य में आपदा प्रबंधन, दूर-दराज के इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाने और मोबाइल कनेक्टिविटी की परिभाषा को पूरी तरह बदलने में अहम भूमिका निभा सकता है.



