झारखंड शराब घोटाले की जांच में जान-बूझकर की गई ढिलाई, CBI से जांच करायें... बाबूलाल ने सीएम को लिखी चिट्ठी

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Ranchi: झारखंड के कथित शराब घोटाले में सीनियर IAS विनय चौबे को जमानत मिलने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कई सवाल खड़े किये हैं. इसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी भी लिखी है. बाबूलाल ने कहा है कि शराब घोटाले की जांच में जान-बूझकर ढिलाई की गई है ताकी आरोपियों को आसानी से जमानत मिल जाए. 

पत्र में बाबूलाल ने क्या लिखा

बाबूलाल ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है, “मुझे आशंका थी कि शराब घोटाले की जांच और गिरफ्तारी केवल जनता की आंखों में धूल झोंकने, बड़े षड्यंत्रकारियों को बचाने और भयादोहन कर मोटी रकम वसूली का रास्ता निकालने का एक प्रयास है और दुर्भाग्य से यह आशंका अब सच साबित हो रही है. जिस प्रकार आनन-फानन में ACB ने एक बड़े अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया और तुरन्त गिरफ्तार कर लिया, उस समय दिखाई गई तत्परता अब न जाने कहाँ गायब हो गई है. यह बात आम जनमानस को पच नहीं रही है कि आपकी सरकार तीन महीने के भीतर एक चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई, जिसके कारण एक-एक कर जेल में बंद सारे आरोपियों को जमानत मिल रही है.” 

मरांडी ने आगे लिखा, “भ्रष्टाचार के ऐसे गंभीर मामलों में जांच एजेंसियां अभियुक्तों से पूछताछ करती है तो उसके पूरे बयान को बाक़ायदा प्रमाणस्वरूप हूबहू रिकार्डिंग करा कर सुरक्षित रखती है. खासकर बडे़ अधिकारियों या दूसरे प्रभावशाली अभियुक्तों के मामले में तो यह किया ही जाता है. मुझे पता चला है कि एसीबी ने जिन अधिकारियों व पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर पूछताछ किया है उनमें से किसी के भी पूरे पूछताछ की रिकॉर्डिंग नहीं रखी गयी है, ताकि जांच अधिकारी को जो मन मुताबिक लगे वही बयान दर्ज करे, जिसको चाहे उसको फंसा दें और जिसको चाहे उसको बचा ले. यह मेरे समझ से परे है कि ये सब गोरखधंधा, समय पर चार्जशीट न करने की योजना पर काम आप की सहमति से हुआ है या नहीं? मुझे तो नहीं लगता कि इतना बड़ा गोरखधंधा और डील बिना आपकी इजाज़त के करने की हिम्मत कोई अधिकारी कर सकता है? 

बाबूलाल ने कहा, “विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री के नाते अगर ये सब आपकी जानकारी और सहमति से हुआ है और हो रहा है तब तो भगवान ही मालिक हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो बिना विलंब दोषी अफ़सरों पर कार्रवाई करें ताकि जांच की आंच देर सबेर आप तक न पहुंच जाए. मैंने पूर्व में भी कई पत्रों के माध्यम से आपको इस तथाकथित शराब नीति की खामियों और एक बड़े घोटाले के प्रति सचेत किया था. लेकिन आपने उन पर कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा. आपकी निष्क्रियता से यह स्पष्ट होता है कि यह घोटाला हुआ नहीं, बल्कि साजिशन करवाया गया जिस अपराध के लिये आप भी समान रूप से ज़िम्मेदार हैं. आज मैं पुनः पूरे दावे के साथ कह रहा हूं कि यह पूरा खेल छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़े झारखण्ड एवं रायपुर से लेकर दिल्ली तक के बड़े माफियाओं को बचाने के लिए रचा गया है. मुझे जानकारी मिली है कि कुछ बड़े अधिकारियों ने एक बहुत बड़ी डील करके जान-बूझकर समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं होने दी, क्योंकि उन्हें यह अच्छी तरह पता था कि ऐसा न करने पर आरोपियों को जमानत मिलनी तय है.”

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद एसीबी के मंत्री हैं इसलिए मामले में संज्ञान लें और दिखावे की जांच को बंद कर पूरे मामले की CBI जांच करवाएं ताकि वास्तविक दोषियों को पकड़ा जा सके और केस करने, पकड़ने और फिर डील कर मानत की सुविधा प्रदान कराने वाले षड्यंत्रकारियों पर कारवाई हो सके.

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