रांची
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मांडर प्रखंड के सरवा पंचायत की मुखिया प्रभा किसपोट्टा के निलंबन के मामले को लेकर भाजपा राजभवन पहुंची. नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल संतोष गंगवार को पूरी स्थिति की जानकारी दी. अमर बाउरी ने कहा कि मुखिया को वित्तीय अनियमितता के आरोप में निलंबित किया गया है, जबकि जांच में किसी तरह की
वित्तीय गड़बड़ी नहीं पाई गई है. कहा कि झारखंड सरकार पूरी तरह से आदिवासी विरोधी है. मुखिया के पद पर एक आदिवासी महिला है, लेकिन यह दमनकारी सरकार सत्ता के नशे में चूर किसी भी असंवैधानिक कार्य को करने से नहीं चूक रही.
एक मुखिया जो स्थानीय विधायक की बात नहीं सुन रही थी. उनके आगे-पीछे नहीं घूम रही थी. इसका बदला उन्होंने मुखिया को निलंबित करके लिया.
राज्यपाल ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब कि मुखिया खुद एक जनप्रतिनिधि है और उनपर किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता का आरोप नहीं है. झारखंड में बिना कारण के किसी जनप्रतिनिधि को निलंबित करने का कोई भी प्रावधान नहीं है और ना ही यहां कोई नियमावली है. तब सरकार मुखिया को निलंबित कैसे कर सकती है. कहा कि राज्यपाल ने मामले को गंभीरता से सुना है और आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार और जिलाधिकारी से मामले की जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करेंगे.
मुखिया का मांडर विधायक और पूर्व विधायक पर आरोप
मुखिया प्रभा
किस्फोट्टा ने कहा कि मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की एवं उनके पिता पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने सरकार पर दबाव बनाकर उन्हें झूठे मामले में निलंबित करवा दिया. उनके पंचायत में कई वर्षों से किसी प्रकार का कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा रहा. जब इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की गई तो साजिश के तहत यह कार्रवाई की गई. प्रभा ने बताया कि पचपदा गांव में सरना स्थल के सौदर्यीकरण का कार्य स्वीकृत हुआ था. 4 सितंबर 2023 को इसका शिलान्यास था. इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर तात्कालीन सांसद सुदर्शन भगत को बुलाया गया था. इससे नाराज होकर शिल्पी और बंधु ने उसके साथ बदसलूकी की और पद से हटाने की धमकी दी. इसके बाद 4 जुलाई 2024 को डीसी ऑफिस से एक चिट्ठी निकाली गई और 15 दिन में मुझसे स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन जवाब देने से पहले ही विधायक के दबाव में 9 जुलाई को ही निलंबित कर दिया गया.





