राहुल को फार्मेसी काउंसिल का रजिस्ट्रार बनाने पर क्यों तुला है स्वास्थ्य विभाग, किसको है फायदा ?

राहुल कुमार पूर्व रजिस्ट्रार कौशलेंद्र कुमार के साले हैं. विभाग में उन्होंने अपनी पकड़ बना रखी है. नीचे से उपर तक सेटिंग है.

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रांची : झारखंड के स्वास्थ्य महकमे में अजीबोगरीब चीजें चलती रहती है. अब एक नया मामला सामने आया है. मई 2024 में झारखंड फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार की मौत हो गई थी. उसके बाद से यह पद पिछले 4 महीने से खाली है. काउंसिल ने खाली पद को भरने के लिए योग्यता के आधार पर 7 नामों की अनुशंसा कर स्वास्थ्य विभाग को भेजा. कुछ दिन बाद फिर से 5 नाम भेजे गये, लेकिन सभी नामों को दरकिनार कर दिया और एक नये नाम (राहुल कुमार) की फाइल विभाग में तैरने लगी. रिश्ते में ये पूर्व रजिस्ट्रार कौशलेंद्र कुमार के साले हैं. जीजा के विभाग में साले का इतना रसूख कि इन्होंने उपर तक सेटिंग कर ली. विभाग से लेकर विधानसभा तक खूब हो-हंगामा हुआ. मंत्री और विधायक तक इस मामले को लेकर भिड़ गये, लेकिन राहुल कुमार रिजेक्ट नहीं हुए. बताया जाता है कि राहुल की फाइल सेक्रेटरी के टेबल पर है, जल्द ही इसपर फैसला आ सकता है. इसे लेकर सेक्रेटरी को कई बार फोन किया गया, लेकिन बात नहीं हुई. मैसेज का भी कोई जवाब नहीं आया. स्वास्थ्य मंत्री से भी संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं हुई.

 

एक ही समय दुकान और यूनिवर्सिटी में कैसे मौजूद थे राहुल

 

अफताब अंसारी ने राहुल कुमार पर आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति के लिए बी-फार्मा की डिग्री जरूरी है. राहुल कुमार ने बी फार्मा की डिग्री वाईबीएन यूनिवर्सिटी से ली है. यूनिवर्सिटी के मुताबिक उन्होंने 2019-2022 के सत्र में बी फार्मा का कोर्स पूरा किया है, लेकिन इसी दौरान राहुल 2018 से 2023 तक गिरिडीह मेडिको नाम के एक दवा दुकान में काम कर रहे थे. अब सवाल यह उठता है कि जब बी-फार्मा कोर्स रेगुलेशन 2014 के मुताबिक बी-फार्मा कोर्स फुल टाइम कोर्स है. तो ऐसी स्थिति में राहुल एक ही समय में गिरिडीह मेडिको और वाईबीएन यूनिवर्सिटी में कैसे मौजूद थे.

 

राहुल का दिया रौल नंबर भी गलत

 

काउंसिल के रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति के लिए जो अहर्ता चाहिए उसमें अभ्यर्थी को काउंसिल का एक्जीक्यूटिव सीनियर मेंबर होना चाहिए, मेडिकल कॉलेज का डायरेक्ट होना चाहिए या बी फार्मा प्राप्त सरकारी पदाधिकारी होना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग ने राहुल की योग्यता की समीक्षा करवाई. वाईबीएन यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट मांगी गई. जांच में पाया गया कि राहुल ने गलत रौल नंबर दिया था. सर्टिफिकेट में रौल नंबर 182122 दिया गया था, जबकि यूनिवर्सिटी ने जो रौल नंबर दिया वह 1821122 है.

 

अस्थाई नियुक्ति के साथ शुरू हुआ विवाद

 

विभाग ने पहले रजिस्ट्रार के लिए जिन नामों की अनुशंसा की थी उसमें ड्रग डायरेक्टर रितु सहाय का भी नाम शामिल था. ड्रग डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर सुमंत तिवारी, डिप्टी डायरेक्टर सुजीत कुमार, उप निदेशक कुमार रजनीश सिंह, राजकीय फार्मेसी कॉलेज की प्रभारी प्रचार्य  डॉ आशा रानी, लेक्चरर विनीता प्रकाश और हरिहर नाथ के नाम शामिल थे, लेकिन इस पैनल को दरकिनार करते हुए राहुल को अस्थाई रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया गया. इसकी के बाद विवाद शुरू हो गया था.

 

मंत्री राहुल को ही रजिस्ट्रार बनाना चाहते हैं : सरयू राय

 

विधानसभा के मॉनसून सत्र में विधायक सरयू राय ने इस मामले को लेकर सदन के अंदर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को घेरा. कहा- मंत्री ने अवैध तरीके से ऐसे व्यक्ति को रजिस्ट्रार नियुक्त किया है जिसके पास योग्यता नहीं है. बवाल न्यूज से बातचीत करते हुए सरयू राय ने फिर से कहा कि इस मामले में अबतक जितनी भी कार्रवाई हुई है सब नियम के विरूद्ध हुई है. कायदे से कमेटी को रजिस्ट्रार बनाना था, लेकिन 17 अनुभवी लोगों के आवेदन में से सिर्फ राहुल कुमार को ही चुना गया. मंत्री उन्हें ही रजिस्ट्रार बनाना चाहते हैं.

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