चर्च की सुरक्षा क्यों करनी है? सरना-मसना, मंदिर-मस्जिद की चिंता क्यों नहीं... सरकार पर भड़के बाबूलाल

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Ranchi: सिमडेगा के तुमडेगी चर्चा में 4 दिन पहले अपराधियों ने डकैती की और दो धर्मगुरुओं पर जानलेवा हमला कर दिया. इस घटना से क्रिश्चियन समाज में काफी आक्रोश है. सिमडेगा डीसी ने 15 अक्टूबर को चर्च की सुरक्षा को लेकर पदाधिकारियों और धर्मगुरुओं की बैठक बुलाई है. इससे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि झारखंड में मंदिरों पर हमले हुए. पथराव हुआ. भगवान की प्रतिमाएं खंडित की गई, उस वक्त राज्य सरकार ने हिंदू समाज के धर्मगुरुओं के साथ बैठक नहीं की. आखिर चर्च को सुरक्षा देने की जरूरत क्यों महसूस हो रही है?


बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर लिखा...


“पिछले कुछ वर्षों में झारखंड में कई जगह संतालों के ज़ाहिर थान, मांझी थान की ज़मीनों पर क़ब्ज़ा एवं अतिक्रमण की घटनायें हुई, विवाद हुआ और ये सब हो रहा है. आदिवासियों के सरना स्थल, मसना स्थल, हड़गड़ी के ज़मीनों के अतिक्रमण का विरोध और सुरक्षा को लेकर लोगों को आये दिन आंदोलन करना पड़ रहा है. झारखंड के मंदिरों पर हमले हुए हैं. मंदिरों पर कहीं बम फेंके गए, कहीं पथराव हुआ, तो कहीं देवी-देवताओं की प्रतिमाएं खंडित की गईं. लेकिन क्या कभी राज्य सरकार ने इनसबों की सुरक्षा को लेकर उन समाज के धर्मगुरुओं के साथ कोई बैठक की? जवाब है, नहीं! 


अब सिमडेगा में चर्च की सुरक्षा के लिए खुद डीसी, एसपी और प्रशासनिक अधिकारी ईसाई धर्मगुरुओं के साथ बैठक करने जा रहे हैं. आखिर चर्च को ही विशेष सुरक्षा की जरूरत क्यों महसूस की जा रही है? क्या यह उन मतांतरण कराने वाले गिरोहों को सुरक्षा देने की तैयारी है, जो ‘चंगाई सभा’ के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों को धर्मांतरण करा रहे हैं?


चर्च की साजिश, ऐसे “चर्च प्रेमी” अफ़सरों की कारगुज़ारी एवं चंगाई सभा में रोग भगाने जैसे अंधविश्वास को बढ़ावा देने के कारण ही सिमडेगा में आज लगभग 51% आबादी का ईसाई धर्म में मतांतरण हो चुका है. ऐसे में सरकार प्रायोजित इस बैठक के पीछे छिपी मंशा को लेकर लोगों के मन में संदेह है.


@HemantSorenJMM जी,  अगर सुरक्षा व्यवस्था करनी ही है, तो सिर्फ चर्च के लिए क्यों? सरना, मसना, हड़गड़ी स्थल, ज़ाहिर थान,मॉंझी थान, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की भी सुरक्षा की चिंता क्यों नहीं? सिमडेगा में होने वाली बैठक का मूल एजेंडा सार्वजनिक किया जाए, या फिर सभी धर्म/समाज के प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर उनसबों के धर्मस्थलों के सुरक्षा पर चर्चा की जाए.”

 

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