रायपुर में क्या-क्या रचा गया था षड्यंत्र, झारखंड को कैसे लगा 500 करोड़ का चूना, पढ़िये पूरी रिपोर्ट

आरोप है कि सिंडिकेट के साथ मिलकर विनय चौबे की मदद से झारखंड में आबकारी नीति में फेरबदल कर शराब निर्माता कंपनियों करोड़ों रुपये का कमीशन लिया. देशी शराब में डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर और विदशी शराब बिक्री का काम अपने करीबी एजेंसियों को दिलाकर अवैध तरीके से करोड़ों का कमीशन खाया.

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रांची : आरोप है कि झारखंड के आईएएस और पूर्व उत्पाद सचिव विनय चौबे ने छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर झारखंड को 500  करोड़ रुपये का राजस्व का चूना लगाया है. एसीबी छत्तीसगढ़ में दर्ज एफआईआर के मुताबिक छत्तीसगढ़ के आईएएस अनिल टुटेजा ने अपने सिंडिकेट के साथ मिलकर विनय चौबे की मदद से झारखंड में आबकारी नीति में फेरबदल कर शराब निर्माता कंपनियों करोड़ों रुपये का कमीशन लिया. देशी शराब में डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर और विदशी शराब बिक्री का काम अपने करीबी एजेंसियों को दिलाकर अवैध तरीके से करोड़ों का कमीशन खाया. जनवरी 2022 में झारखंड के राजस्व को चूना लगाने का षड्यंत्र रचा गया था. अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर और विनय चौबे की छत्तीसगढ़ के रायपुर में मीटिंग हुई. इसके बाद छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने झारखंड के उत्पाद सचिव विनय चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह नई आबकारी नीति लागू करने के लिए तैयार हो गये. तैयारी शुरू हुई. विधानसभा में नियमावली लायी गई. अरुणपति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में लागू देशी-विदेशी शराब नीति का प्रारूप तैयार कर झारखंड सरकार के पास पेश किया. जिसके आधार पर झारखंड सरकार ने 31.03.2022 को नई उत्पाद नियमावली को अधिसूचित कर लागू किया. इसके लिए त्रिपाठी को राज्य सरकार से 1.25 करोड़ रुपये भी दिये गये.

 

टेंडर में किया खेल

 

इसके बाद गजेंद्र सिंह के संरक्षण में उत्पाद विभाग ने शराब सप्लाई करने वाली एजेंसी के चयन के लिए होने वाले टेंडर में एजेंसी का न्यूनतम टर्नओवर 100 करोड़ रुपये होने की शर्त डाल दी. झारखंड में इस शर्त को पूरा करने वाली कोई एजेंसी नहीं थी. ठीक इसी तरह मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनी के लिए टेंडर शर्त रखी गई. शर्त यह थी कि टेंडर में शामिल होने वाली कंपनी को शासकीय संस्थाओं में 2 वर्ष में 4 करोड़ या इससे अधिक के काम का अनुभव होना चाहिए. और भी कई शर्तें थी, झारखंड की कंपनियां इन शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही थी. इसलिए कंपनियां पीछे हो गईं. इसके बाद सिंडिकेट ने अपने भरोसे वाली सुमित फैसीलिटीस, इगल हंटर सालुसंस और एटूजेड इंफ्रा सर्विक्स को काम दे दिया. इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों ने सिद्धार्थ सिंघानिया को अपनी ओर से मैनपावर सप्लाई का काम दिया, लेकिन सिंघानिया ने शराब दुकानों में निर्धारित संख्या में मैनपावर की सप्लाई न करके लोकल ठेकेदारों को ही काम दे दिया.

 

शर्तें ऐसी जो कोई पूरा कर पाए

 

एसीबी छत्तीसगढ़ में दर्ज एफआईआर में बताया गया है कि झारखंड के सीनियर अधिकारी और उसके सिंडिकेट के सदस्यों को लाभ दिलाने के लिए शराब सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली गई. ऐसे में जहां झारखंड में ठेकेदारी प्रथा शराब कारोबार में लागू थी, यहां की कोई कंपनी निविदा में शामिल नहीं हो पायी. इसी तरह मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी के लिए 310 दुकानों के लिए ईएमडी राशि 49.67 लाख एवं बैंक गारंटी के रूप में 11.28 करोड़ की राशि निविदा शर्त के तौर पर रखी गई.

 

 

होलोग्राम टेंडर में भी गड़बड़ी

 

इसके बाद खेल शुरू हुआ होलोग्राम का. होलोग्राम सप्लाई के टेंडर में भी गड़बड़ी हुई. टेंडर की शर्तों में हेरफेर करते हुए छत्तीसगढ़ में होलोग्राम सप्लाई करने वाली नोएडा की कंपनी प्रीज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी फ़िल्म प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दे दिया गया. कंपनी के विधु गुप्ता ने टेंडर की शर्तों का उल्लंघन करते हुए खुद होलोग्राम सप्लाई  करके ऑक्युलर होलोग्राफी फिल्मस प्राइवेट लिमिटेड को यह काम दे दिया. 1 मई 2022 से इनका शराब कारोबार पूरे राज्य में शुरू हो गया. इतनी सारी गड़बड़ियों के कारण झारखंड को 2022-23 में करोड़ के राजस्व का नुक़सान हुआ. 2022-23 में झारखंड सरकार ने शराब से 2300 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य रखा था, लेकिन शराब सिंडिकेट और विनय चौबे जैसे अधिकारियों की वजह से सिर्फ 1800 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ.

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