BJP के मंच पर मौजूद सातों नेता #IMPORTED, कहां गये PURE भाजपाई ?

क्या बीजेपी को अपने नेताओं में काबिलियत नजर नहीं आती है ? खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा जैसे सीनियर आदिवासी लीडर और सीपी सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को संगठन में पीछे धकेल दिया गया है. 

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रांची: झामुमो के बागी नेता और पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम शनिवार को बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में मिलन समारोह का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में जो लोग मौजूद थे और जिन्होंने लोबिन को बीजेपी में शामिल कराया उनमें से एक भी PURE भाजपाई नहीं था. यानी भाजपा में शामिल होने वाले और शामिल कराने वाले सारे के सारे नेता IMPORTED थे. मंच पर मौजूद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, पूर्व सीएम मधु कोड़ा, पूर्व सीएम चंपई सोरेन, शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन से लेकर असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा तक खांटी भाजपाई नहीं हैं. यह सभी लोग दूसरी पार्टियों से IMPORT किये गये हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर खांटी भाजपाई संगठन में कहां हैं. PURE भाजपाई नेता अब सिर्फ पार्टी का झंडा होने के लिए बचे हैं. जो कभी संगठन में फर्स्ट लाइन में हुआ करते थे उन्हें सेकेंड लाइन में शिफ्ट कर दिया गया है. खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा जैसे सीनियर आदिवासी लीडर और सीपी सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को संगठन में पीछे धकेल दिया गया है. शायद बीजेपी को अपने नेताओं में काबिलियत नजर नहीं आता है इसलिए वह दूसरे दलों के नेताओं पर ज्यादा भरोसा करने लगी है. वहीं कल तक विपक्ष के जो नेता पानी पी-पी कर बीजेपी को कोसते थे उन्हें अब बीजेपी बहुत अच्छी लगने लगी है. जिस बीजेपी की नीतियों और सिद्धांतों का विरोध करते आज उन्हीं नीतियों और सिद्धांतों पर चलने प्रण ले लिया.

 

जानिये सातों दलबदलू नेताओं को

 

बाबूलाल मरांडी

 

भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को झारखंड का पहला मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन संगठन में चल रहे खींचतान और खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए उन्होंने 2006 में अपनी पार्टी जेवीएम बना ली. प्रदीप यादव, दीपक प्रकाश, रवींद्र राय जैसे भाजपा के कई नेताओं को भी वे बीजेपी से तोड़कर अपने साथ ले गये. इसके बाद 14 साल तक के बीजेपी को डैमेज करने की योजनाएं बनाते रहे. बीजेपी की नीतियों-सिद्धांतों की बुराई करते रहे. 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता में अचानक बाबूलाल का ह्दय परिवर्तन हुआ और उन्हें मोदी-शाह अच्छे लगने लगे. फिर वे बीजेपी में शामिल हो गये.

 

हेमंता बिस्वा सरमा

 

हेमंता बिस्वा सरमा असम के मुख्यमंत्री हैं. पूरे नॉर्थ ईस्ट में ये बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं. पहले कांग्रेस में थे और तरुण गोगोई सरकार में मंत्री थे. 2011 के चुनाव के बाद हेमंता और गोगोई के बीच रिश्ते खराब होने लगे. जुलाई 2014 में हेमंता ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. इस दौरान ही उनका नाम शारदा चिट फंड घोटाले में आया. अगस्त 2014 में हेमंता के गुवाहाटी स्थित घर पर सीबीआई ने रेड मारी. इस घटनाक्रम के बाद 2014 के ही नवंबर महीने में हेमंता से सीबीआई ने कोलकाता में पूछताछ की. मामला आगे बढ़ा और हाईकोर्ट पहुंचा, जनवरी 2015 में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने चिटफंड केस की जांच सीबीआई को सौंप दी. हेमंता ने इसके कुछ ही महीने बाद बीजेपी ज्वाइन कर ली. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें सीबीआई ने कभी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया.

 

 

मधु कोड़ा

 

मंच पर मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पहले ही बैक डोर से बीजेपी में आ चुके हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा बीजेपी में शामिल हुई हैं. तब से कोड़ा बीजेपी के कार्यक्रमों में मंच पर नजर आते रहे हैं. आज इन्होंने विधिवत बीजेपी की सद्स्यता ले ली. मधु कोड़ा ने अपना राजनीतिक सफर बीजेपी से शुरू किया था. फिर टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी से बगावत कर वे निर्दलीय चुनाव लड़े. चुनाव जीत गये और देश के इतिहास में पहली बार निर्दलीय विधायक रहकर मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बना दिया. बाद में घोटाले के आरोप में कई साल जेल में रहे. इस बीच अपनी पार्टी भी बनाई. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इनकी पत्नी कांग्रेस में शामिल हुई. कुछ दिन कोड़ा भी बाहर से कांग्रेसी बने रहे. अब फिर बीजेपी में आये हैं.

 

अमर बाउरी

 

नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी भी IMPORTED हैं. बाउरी बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से 2014 का विधानसभा चुनाव जीते थे. तात्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अमर बाउरी के साथ बाबूलाल मरांडी के 6 विधायकों को तोड़कर बीजेपी में शामिल करा दिया. जेवीएम में रहकर अमर बाउरी बीजेपी के खिलाफ खूब आग उगलते थे. बीजेपी में आने के बाद उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया. धीरे—धीरे पार्टी में उनका कद बड़ा होता गया और आज वे बीजेपी के पुराने और समर्पित नेताओं को पछाड़ते हुए विधायक दल के नेता की कुर्सी तक पहुंच चुके हैं.

 

चंपई सोरेन

 

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने 40 साल तक झामुमो की सेवा की. झामुमो ने इस सेवा का फल उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर दिया. हेमंत सोरेन ने जमीन घोटाला मामले में जेल जाने से पहले उन्हें अपनी कुर्सी सौंप दी. हेमंत सोरेन वापस लौटकर आये तो अपनी कुर्सी वापस ले ली. इससे चंपई ने खुद को अपमानित महसूस किया. झामुमो को सींचने वाले चंपई सोरेन ने उससे नाता तोड़ लिया. चंपई ने सिर्फ झामुमो से नहीं बल्कि उससे जुड़ी यादों से भी पीछा छुड़ाने की कोशिश की है. जल-जंगल-जमीन की बात करने वाले चंपई ने अपने घर से 40 साल बाद हरे रंग को उतारकर पूरा घर भगवा रंग में रंग दिया है. शुक्रवार को चंपई दलबदलू बनते हुए भाजपा में शामिल हो गये हैं.

 

सीता सोरेन

 

शिबू सोरेन की बड़ी बहू और पूर्व विधायक सीता सोरेन ने झामुमो से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. अपने पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद वे राजनीति में आईं. जामा विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनती रही हैं. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उन्होंने झामुमो को छोड़ दिया और बीजेपी में शामिल हो गईं. दिल्ली में उन्होंने बीजेपी की सद्स्यता ली. झामुमो में रहकर बीजेपी पर हमलावर रहती थीं. अब झामुमो और हेमंत सोरेन को कोसती रहती हैं.

 

लोबिन हेंब्रम

 

लोबिन हेंब्रम झामुमो के पुराने लीडर रहे हैं. जल-जंगल-जमीन और आदिवासी हितों की बात करते रहे हैं. शनिवार को वे बीजेपी में शामिल हो गये हैं. लोबिन सड़क से सदन तक हमेशा बीजेपी की नीतियों का विरोध करते रहे हैं, लेकिन अब उन्हें बीजेपी की नीतियां अच्छी लगने लगी है. लोबिन ने बीजेपी की विचारधारा पर चलकर उसे मजबूत करने का संकल्प ले लिया है.

 

 

 

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