चर्चा में हैं नेमरा से निकली तस्वीरें... गुरुजी भी यह देख मुस्कुरा रहे होंगे

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राजनीति में परिवारवाद के किस्से हम अक्सर सुनते हैं. आजकल हर राजनीतिक पार्टी में परिवार जरूर मिल जाएंगे और इस राजनीतिक परिवार में कब अपना पराया हो जाए और कब पराया अपना हो जाए कोई नहीं जानता. राजनीति और परिवार दोनों में रिश्ते बनते और टूटते हैं. राजनीति में रिश्ते दिमाग से बनते हैं, लेकिन परिवार में रिश्ते दिल से बनते हैं. दिल का रिश्ता बड़ा नाजुक होता है, लेकिन दिल के रिश्ते की डोर बहुत मजबूत होती. दिल के रिश्ते का यह मजबूत डोर नेमरा में दिखा. नेमरा से निकली कुछ तस्वीरें चर्चा में हैं. इन तस्वीरों ने बता दिया की सोरेन परिवार टूट नहीं है. बिखरा नहीं है. दिशोम शिबू सोरेन की बड़ी बहू और उनकी बेटियां अपने परिवार के साथ मजबूती के साथ खड़ी हैं. नेमरा से निकली इन तस्वीरों में एक एकजुट परिवार दिखा. सीता सोरेन और उनकी बेटियां जिस तरह से श्राद्धकर्म में पूरी मुस्तैदी के साथ खड़ी थीं उसे देख कहीं न कहीं गुरुजी की आत्मा भी मुस्कुरा रही होगी. 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जहां पत्नी कल्पना सोरेन और बच्चों के साथ 11 दिन तक नेमरा में मौजूद रह, वहीं सीता सोरेन भी अपनी बेटियों के साथ इस दौरान पैतृक घर में मौजूद रहीं. हेमंत सोरेन से लेकर कल्पना और सीता सोरेन सभी एक साथ हर परंपरा को निभाते दिखी है. कल्पना और सीता ने एक साथ अनुष्ठान को पूरा किया. संस्कार भोज के दौरान जब कई VVIP दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. उनके स्वागत से लेकर बैठने और सभी से बात करने के लिए खुद सीता और कल्पना साथ दिखीं. 

वहीं गुरुजी के संस्कार भोज के दौरान सीता सोरेन की बेटियां लोगों को भोजन परोसते नजर आईं. सीता सोरेन की बेटी जयश्री सोरेन ने कहा कि बाबा और झारखंड राज्य निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के भव्य श्राद्ध भोज पर, हम पोतियों को यह सौभाग्य मिला कि झारखंड के कोने-कोने से आए बाबा के अनुयायियों व प्रशंसकों को बहनों संग भोजन परोस सकें. बाबा ने अपना संपूर्ण जीवन जनता को समर्पित किया. उनके संघर्ष सिर्फ राजनीति के लिए नहीं थे, बल्कि हर उस साधारण इंसान के लिए थे जो न्याय, सम्मान और सहारे का हकदार था. सेवा करते हुए दिल से महसूस हुआ कि यही गुरु जी की असली राह है उनकी धरोहर सिर्फ किसी मंच या भाषण तक सीमित नहीं, बल्कि उन मुस्कानों में है जो सेवा पाकर खिल उठीं. 

नेमरा में 11 दिनों तक श्राद्धकर्म के दौरान शिबू सोरेन का पूरा परिवार एकजुट रहा. हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन भी सभी अनुष्ठानों में बड़े भाई के साथ नजर आए. इन 11 दिनों में दिशोम गुरु के घर में न देश की राजनीति, न राज्य की और न परिवार की राजनीति की बातें हुई. बातें हुई बस गुरुजी की. परिवार की और पुराने किस्सों की. 

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