आदिवासी बचाओ मोर्चा के बैनर तले बुधवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें सरकार द्वारा स्कूली बच्चों के कराए जा रहे सर्वे को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया. इस प्रेस वार्ता में भारत आदिवासी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा, सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्री उरांव और मांडर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक देव कुमार धान मौजूद रहे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से कराए जा रहे इस सर्वे के माध्यम से आदिवासी बच्चों की पहचान और अस्तित्व को खतरे में डाला जा रहा है. प्रदेश अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने कहा कि सर्वे फॉर्म में सभी प्रमुख धर्मों के लिए अलग-अलग कॉलम बनाए गए हैं, लेकिन आदिवासी बच्चों के लिए अलग कॉलम का अभाव गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने स्पष्ट किया कि आदिवासी कोई धर्म नहीं, बल्कि एक अलग सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान है, जिसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्री उरांव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि सर्वे फॉर्म में आदिवासी बच्चों के लिए अलग कॉलम नहीं रखा गया और उसे खाली छोड़ा गया, तो भविष्य में सरकार उन्हें जबरन हिंदू या किसी अन्य धर्म में शामिल कर सकती है. उन्होंने इसे आदिवासी समाज की पहचान और अस्तित्व को मिटाने की साजिश करार दिया. गीता श्री उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज इस सर्वे का पूरी ताकत से विरोध करेगा और जरूरत पड़ी तो सड़क पर उतरकर आंदोलन भी करेगा.
इस मौके पर मांडर से पूर्व विधायक देव कुमार धान ने भी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि आदिवासी समाज अपने संवैधानिक अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने सर्वे प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव नहीं किए, तो आदिवासी बचाओ मोर्चा आंदोलन को और तेज करने के लिए मजबूर होगा. नेताओं ने सरकार से मांग की कि सर्वे फॉर्म में आदिवासी बच्चों के लिए अलग कॉलम जोड़ा जाए और उनकी पहचान को पूरी तरह से सुरक्षित किया जाए.



