बेकार न विधानसभा आते हैं अध्यक्ष महोदय... और पांकी विधायक ने सदन में फाड़ दिया पेपर
- Posted on March 19, 2025
- राजनीति
- By Bawal News
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रांची : झारखंड विधानसभा की गरिमा को पांकी विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता के आचरण से एक बार फिर ठेस पहुंचा है. विधायक ने पहले तो सदन के अंदर विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो पर पक्षपात करने का आरोप लगाया. उनसे बहस की और फिर पेपर फाड़ दिया. दरअसल विधानसभा के अंदर स्पीकर शुन्यकाल की सूचनाएं ले रहे थे. 17 विधायकों ने शुन्यकाल की सूचनाएं पढ़ी. इसके बाद स्पीकर ने कुशवाहा शशिभूषण मेहता को पुकारा. विधायक ने पांकी के 4 सिंचाई परियोजना को लेकर अपना सवाल सदन में रखा. सवाल खत्म होने से पहले विधायक ने थोड़ा विराम लिया. स्पीकर को लगा कि विधायक का सवाल पूरा हो चुका है. तब उन्होंने अगला सवाल लेने के लिए टुंडी विधायक मथुरा महतो को पुकारा. मथुरा जैसे ही बोलने के लिए खड़े हुए कुशवाहा नाराज हो गये.
सदन के अंदर कुशवाहा और स्पीकर के बीच का संवाद
कुशवाहा : बेकार न आते हैं अध्यक्ष महोदय 12 बजे रात में सवाल डालने. ऐसा नहीं होता है.
स्पीकर नाराजगी से : कैसा होता है आप ही बता दीजिए. पढ़िये बोल रहे हैं तो
कुशवाहा : 12 बजे रात में आ कर सवाल डालते हैं. दो लाइन पढ़ने नहीं दीजिएगा तो काहे आते हैं.
स्पीकर : क्या आप अकेले पढ़ रहे हैं. आपसे पहले पहले भी 17 लोगों को पढ़वाया. कोई नेता कुछ नहीं बोला. आपको कहां से तकलीफ आ गया.
कुशवाहा : ये पार्शिलिटी सिर्फ हमलोग के लिए है ? एक मिनट टाइम नहीं देते.
स्पीकर : इनको पढ़ने दीजिए कहीं से कोई आपत्ति नहीं है. आसन पर कोई और आरोप है तो लगा लीजिए.
कुशवाहा : नहीं पढ़ेंगे और इसके बाद विधायक ने कागज फाड़ दिया.
स्पीकर : ये आचरण माननीय सद्स्य अच्छा नहीं है. कागज फाड़ने का आचरण हमको मत दिखाइये.
गलती किसी की नहीं : नेता प्रतिपक्ष
इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. तब स्पीकर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी से मुखातिब हुए. कहा आप ही बता दीजिए क्या कसूर है. कहां से उनको ठेस पहुंचा. इसपर बाबूलाल ने कहा कि थोड़ी सी गलती हुई है. ये पढ़ते-पढ़ते रुक गये और आपने भी नहीं देखा. गलती इनकी भी नहीं है और आपकी भी नहीं.
विधायक का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण : संसदीय कार्यमंत्री
संसदीय कार्यमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि हम सभी मानते हैं कि आसन बिना किसी भेदभाव के अपना दायित्व पूरा कर रही है. अकेले कुशावाह शशि भूषण मेहता ने सवाल नहीं पढ़ा. और भी सद्स्यों ने पढ़ा. नियम के मुताबिक तो 50 शब्द से अधिक का शुन्यकाल नहीं पढ़ा जाता, लेकिन आसन विधायकों को सवाल पूरा पढ़ने का मौका देती है. कुशवाहा ने जो आक्रोश प्रदर्शित किया और कागज फाड़ा वह दुर्भाग्यजनक है.
इरफान को मारने सदन में दौड़ गये थे
शशिभूषण मेहता का सदन के अंदर आक्रोशित होने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 3 अगस्त 2023 को भी वे विधानसभा में सदन की मर्यादा को शर्मसार कर चुके हैं. उस वक्त मेहता विधायक इरफान अंसारी को मारने के लिए सदन के अंदर दौड़ गये थे. तब स्पीकर ने उन्हें सदन से बाहर निकलवाया था.
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