रतन टाटा की वसीयत में चौंकाने वाला नाम, जमशेदपुर के मोहिनी को मिल सकती है 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति
- Posted on February 7, 2025
- देश
- By Bawal News
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रतन टाटा की वसीयत में कई चौंकाने वाली चीजें सामने आई है. उन्होंने अपने सौतेले भाई नोएल टाटा को इस वसीयत में शामिल नहीं किया है, वहीं वसीयत में एक अनजान शख्स मोहिनी मोहन दत्ता को 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति दिये जाने के खुलासे के बाद हर कोई हैरान है.
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रांची : देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने भले ही दुनिया को अलविदा कह दिया है, लेकिन आज भी सुर्खियों में बने हुए हैं. अपनी वसीयत को लेकर रतन टाटा इस बार सुर्खियों में हैं. उनके साथ-साथ सुर्खियों में हैं जमशेदपुर के एक कारोबारी मोहिनी मोहन दत्ता. रतन टाटा के करीबी लोग तब हैरान रह गए जब उनकी हाल ही में खोली गई वसीयत में एक रहस्यमयी व्यक्ति का जिक्र किया गया. यह शख्स हैं मोहिनी मोहन दत्ता. दत्ता को टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन की बची हुई संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा दिया गया है, जिसकी अनुमानित कीमत 500 करोड़ से अधिक है. दत्ता का वसीयत में अप्रत्याशित रूप से शामिल होना टाटा परिवार के लिए एक बड़ा आश्चर्य है. मोहिनी मोहन दत्ता का नाम पहले कभी रतन टाटा के साथ नहीं जोड़ा गया और अब उन्हें 500 करोड़ मिलने पर न सिर्फ उनके करीबी और परिवार के लोग हैरान हैं, बल्कि इसकी जानकारी होने पर हर किसी को आश्चर्य हुआ. रतन टाटा ने अपनी वसीयत में दोस्त, परिवार और सौतेली बहनों को तो काफी कुछ दिया लेकिन खास बात यह है कि उन्होंने वसीयत में अपने सौतेले भाई नोएल टाटा और उनके बच्चों को शामिल नहीं किया. अपने भाई जिमी टाटा को भी संपत्ति में से 50 करोड़ रुपये का हिस्सा दिया है. रतन टाटा की सौतेली बहनें शिरीन जेजीभॉय और डियाना जेजीभॉय ने भी अपने हिस्से को दान करने में रुचि दिखाई है.
ट्रैवल सेक्टर में काम करते हैं मोहिनी
खैर रतन टाटा की वसीयत में सबसे चौंकाने वाले नाम पर चर्चा करते हैं. आखिर मोहिनी मोहन दत्ता कौन हैं यह भी जानना जरूरी है. बताया जाता है कि जमशेदपुर के रहने वाले मोहिनी मोहन दत्ता ट्रैवल सेक्टर में काम करते हैं. उनके लिए इतनी बड़ी रकम का मिलना किसी सपने से कम नहीं है. दत्ता की फैमिली 'स्टैलियन' नाम की एक ट्रैवल एजेंसी चलाती थी, जिसका 2013 में ताज सर्विसेज में मर्जर हो गया. ताज सर्विसेज, ताज ग्रुप ऑफ होटल्स का हिस्सा है. स्टैलियन में दत्ता फैमिली की 80% हिस्सेदारी थी, जबकि बाकी 20% टाटा इंडस्ट्रीज के पास थी. मोहिनी दत्ता टीसी ट्रैवल सर्विसेज के डायरेक्टर भी रह चुके हैं, जो थॉमस कुक से जुड़ी कंपनी थी. दत्ता की दो बेटियों में से एक ने 2024 तक नौ साल तक टाटा ट्रस्ट्स में काम किया. उससे पहले वह ताज होटल्स में काम करती थी.
60 साल से टाटा के संपर्क में थे
वहीं टाटा ग्रुप के सूत्रों का दावा है कि दत्ता खुद को टाटा फैमिली का करीबी बताते थे. रतन टाटा के अंतिम संस्कार के दौरान दत्ता ने मीडिया में कहा था कि वह रतन टाटा से जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में पहली बार मिले थे. उस समय रतन टाटा की उम्र महज 24 साल थी. रतन टाटा ने उनकी मदद की और जीवन में आगे बढ़ाया. उन्होंने यह भीदावा किया था कि वह पिछले 60 साल से एक-दूसरे के संपर्क में थे. मोहिनी दत्ता को दिसंबर 2024 में मुंबई के एनसीपीए में आयोजित रतन टाटा की बर्थ एनिवर्सरी में भी बुलाया गया था.
वसीयत ने खड़े कर दिये कई सवाल
रिपोर्ट के मुताबिक दत्ता और टाटा के बीच एक गहरे पारिवारिक संबंध थे, लेकिन वसीयत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. वसीयत के अनुसार दत्ता को टाटा की सम्पत्ति के एक तिहाई हिस्से का हकदार बताया गया है, जिसमें ₹350 करोड़ से अधिक की बैंक जमा राशि और पेंटिंग्स, घड़ियाँ जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं की नीलामी से प्राप्त आय भी शामिल है. बाकी दो तिहाई संपत्ति टाटा की सौतेली बहनों, शिरीन जीजीभॉय और डीनना जीजीभॉय को दी गई है.
दत्ता का दावा 650 करोड़ तक हो सकती है संपत्ति
सूत्रों का कहना है कि वैसे तो दत्ता रतन टाटा की ओर से गिफ्ट की गई संपत्ति को स्वीकार करने पर राजी हैं, लेकिन उनका मानना है कि यह रकम करीब 650 करोड़ रुपये होगी. इससे रतन टाटा के हितधारकों में चिंता बढ़ गई है. वैसे तो रतन टाटा की संपत्ति का मूल्यांकन होना अभी बाकी है, लेकिन यह माना जा रहा है कि यह संपत्ति 650 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना नहीं है. हालांकि यह असामान्य वसीयत अब बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रोबेट की प्रक्रिया का इंतजार कर रही है, और इस अप्रत्याशित घटनाक्रम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क्या यह वसीयत सही है? क्या मोहिनी मोहन दत्ता के रिश्ते और योगदान को सही मायनों में पहचाना गया है? इन सवालों के जवाब अब कोर्ट से ही मिलेंगे, लेकिन फिलहाल तो यह वसीयत सभी के लिए एक बड़ा रहस्य बनी हुई है.
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