शिबू सोरेन बोले हेमंत बाबू को बनाया जाए अध्यक्ष... और हेमंत को मिली JMM की कमान, गुरुजी अब संरक्षक
- Posted on April 15, 2025
- राजनीति
- By Bawal News
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रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अब जेएमएम के अध्यक्ष बन गये हैं. रांची के खेलगांव में आयोजित जेएमएम के तेरहवें महाधिवेशन में सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन जेएमएम के अध्यक्ष चुने गये हैं, वहीं शिबू सोरेन को सर्वसम्मति से पार्टी का संरक्षक बनाया गया है. करीब 38 साल बाद जेएमएम को नया अध्यक्ष मिला है. 1987 से शिबू सोरेन जेएमएम के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे. महाधिवेशन में शिबू सोरेन ने खुद कहा कि हेमंत बाबू को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए. इसके बाद वहां मौजूद पार्टी के लोगों ने इसका स्वागत किया. हेमंत सोरेन कीपत्नी कल्पना सोरेन जेएमएम के केंद्रीय समिति की सक्रिय सद्स्य बनाई गई हैं. समिति में कुल 289 लोगों को शामिल किया गया है.
कौन-कौन रहे JMM के अध्यक्ष
वर्ष 1972 में विनोद बिहारी महतो पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे. 1973 से 1984 तक विनोद बिहारी महतो ही अध्यक्ष रहे. 1984 में निर्मल महतो को अध्यक्ष बनाया गया. शिबू सोरेन 1987 में पहली बार जेएमएम के अध्यक्ष बने थे और वह लगभग 38 वर्षों तक पार्टी के अध्यक्ष रहे. पार्टी के संविधान संशोधन के बाद लंबे अंतराल के बाद संगठन में बड़ा बदलाव हुआ है. 38 साल बाद हेमंत सोरेन की जेएमएम अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी हुई है.
हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर और उनके संघर्ष
35 वर्ष की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बने
50 वर्षीय हेमंत सोरेन ने दृढ़ संकल्प और राजनीतिक कौशल से जेएमएम को एक नये मुकाम पर पहुंचाया है. 10 अगस्त 1975 को हजारीबाग जिले के गोला ब्लॉक के नेमरा गांव में जन्मे हेमंत सोरेन, जेएमएम के संस्थापक शिबू सोरेन की तीसरी संतान हैं. 2009 में 34 साल की उम्र में वे पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए. उसी साल उन्होंने दुमका विधानसभा सीट भी जीती. 35 साल की उम्र में वो पहली बार उप मुख्यमंत्री बने और 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बने. 2003 में हेमंत सोरेन ने झामुमो की छात्र शाखा, झारखंड छात्र मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में अपना करियर शुरू किया.
2005 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े
हेमंत सोरेन 2005 में पहली बार दुमका विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन वे चुनाव हार गये. 2009 में उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मृत्यु हो गई. 2009 में उनकी मृत्यु के पहले तक दुर्गा सोरेन को ही शिबू सोरेन का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था. लेकिन इस घटना ने हेमंत सोरेन के राजनीतिक जीवन में एक नया मोड़ ला दिया. हेमंत सोरेन जून 2009 में राज्यसभा के लिए चुने गए. उसी वर्ष बाद में उन्होंने दुमका विधानसभा सीट जीती और राज्य की राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया.
4 बार ले चुके हैं सीएम पद की शपथ
वर्ष 2010 में जेएमएम ने भाजपा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई, जिसमें हेमंत सोरेन अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे. फिर जुलाई 2013 में उन्होंने पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन 17 महीने तक मुख्यमंत्री के रूप में संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, 2014 के विधानसभा चुनावों में झामुमो को हार का सामना करना पड़ा. हेमंत सोरेन की रणनीति और उनके प्रयासों के कारण 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने गठबंधन के साथियों के साथ 47 सीटें हासिल कीं. हेमंत सोरेन 29 दिसंबर, 2019 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. जनवरी 2024 में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल भेजा गया, जिसके कारण उन्हें पांच महीने के लिए पद छोड़ना पड़ा. 2024 के विधानसभा चुनाव में हेमंत का फिर से जादू चला और वे फिर मुख्यमंत्री बने.
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