कोल्हान के तीर से संथाल भेदने की तैयारी !

चंपई सोरेन ने कहा बीजेपी में रहकर हम घुसपैठियों को रोक कर दिखा देंगे. हमने मजदूर आंदोलन किया है. 40 साल पहले जो आवाज उठाते थे वही आवाज फिर से उठायेंगे.

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रांची : राजधानी के शाखा मैदान में बीजेपी का मिलन समारोह था. मंच पर बीजेपी के बड़े-बड़े दिग्गज मौजूद थे, लेकिन अपने भाषण से सबसे अधिक तालियां बटोरी नये-नये भाजपाई बने चंपई सोरेन और शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने. दोनों ने झामुमो और कांग्रेस को खूब कोसा और बीजेपी की तारीफों के पुल बांध दिये. कोल्हान टाइगर ने यहां भी एक बार फिर अपना दिल खोलकर रख दिया. जनता को अपने जख्म दिखाये. बताया झामुमो ने उनके साथ कितनी नाइंसाफी की. चंपई पिछले एक हफ्ते से जो कहते आ रहे थे आज भी वही कहा. ‘’झामुमो को खून-पसीने से सींचा, लेकिन वहां अपमान सहता रहा. राजनीति से संन्यास लेने का सोचा फिर झारखंड की जनता का प्यार देखकर नये साथी (बीजेपी) के साथ नये सफर पर निकल चुका हूं.’’ इन सबके बीच मुद्दे की बात उन्होंने संथाल में घुसपैठ की कही. कहा कि हम बीजेपी में रहकर संथाल में घुसपैठियों को रोककर दिखा देंगे.

बांग्लादेशी घुसपैठ पर बड़े आंदोलन की तैयारी

चंपई सोरेन चंद दिनों पहले तक झामुमो में थे. करीब 6 महीने राज्य में मुख्यमंत्री भी रहे, लेकिन इस बीच संथाल में घुसपैठ के मामले को लेकर उन्होंने कुछ भी नहीं किया, लेकिन बीजेपी में जाते ही घुसपैठ के मुद्दे को लेकर मुखर हो गये. बीजेपी में शामिल होते ही चंपई ने कहा संथाल परगना को घुसपैठ से सिर्फ एक ही पार्टी बीजेपी बचा सकती है. बीजेपी में रहकर हम घुसपैठियों को रोक कर दिखा देंगे. हमने मजदूर आंदोलन किया है. 40 साल पहले जो आवाज उठाते थे वही आवाज फिर से उठायेंगे. आदिवासी पर अत्याचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे.

संथाल में चंपई, सीता, लोबिन करेंगे कमाल !

चंपई सोरेन के इस बयान से बीजेपी के मिशन कोल्हान और संथाल की रणनीति थोड़ी-थोड़ी स्पष्ट होती जा रही है. चंपई सोरेन को अपने पाले में करने के बाद अब बीजेपी कोल्हान में विक्टिम कार्ड खेलकर झामुमो की जड़ें हिलाने की कोशिश करेगी और इसी कोल्हान के तीर से वह संथाल को भी भेदने की कोशिश करेगी. जैस की चंपई के बयान से साफ है कि वे 40 साल पहले जिस तरह झारखंड आंदोलन में आगे आये थे वैसे ही अब बांग्लादेश घुसपैठ के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे. ऐसे में बीजेपी आंदोलनकारी चंपई को घुसपैठ के खिलाफ होने वाले आंदोलन का नायक बनाकर पेश कर सकती है. संथाल में चंपई को झामुमो के दो पुराने नेताओं का भी फुल सपोर्ट मिलेगा. सीता सोरेन पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. वहीं शिबू सोरेन के एक और पुराने साथी लोबिन हेंब्रम भी जल्द बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इन तीनों नेताओं को लेकर बीजेपी संथाल में झामुमो के मजबूत किले को ध्वस्त करने के लिए पूरा जोर लगा देगी.

देवर हेमंत से खूब नाराज हैं सीता

शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भी संथाल में झामुमो की जड़ें उखाड़ने को बेचैन हैं. चंपई चाचा के तेवर देखकर शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भी मंच से झामुमो और हेमंत सोरेन पर खूब बरसीं. कहा कि यहां का मुख्यमंत्री खुद को शेर कहता है. उसने तीर-धनुष पर भी कब्जा कर लिया है. उस तीर—धनुष का इस्तेमाल यहां के गरीब जनता को डराने के लिए कर रहा है. जो अपने पिता तुल्य चंपई चाचा का नहीं हुआ. जो अपने घर की नारी का नहीं हुआ. वह राज्य की जनता का अपना क्या होगा. यही अपमान मैंने भी 12 साल तक सहा है और तब पार्टी छोड़ दी. झामुमो अब किसी की नहीं सिर्फ हेमंत सोरेन की पार्टी है. अभी वहां और भी लोग पार्टी छोड़ने के लिए लाइन में खड़े हैं.

विक्टिम कार्ड और बांग्लादेशी घुसपैठ पर होगा फोकस

चंपई और सीता के बयानों से ऐसा लग रहा है कि बीजेपी इस बार विधानसभा चुनाव में संथाल और कोल्हान प्रमंडल के आदिवासी वोटरों पर अपना प्रभाव डालने के लिए मुख्य रूप से दो मुद्दों का सहारा लेगी. इसमें पहला विक्टिम कार्ड और दूसरा बांग्लादेश घुसपैठ होगा. कोल्हान में चंपई सोरेन के नाम पर और संथाल में सीता सोरेन के नाम पर विक्टम कार्ड खेला जाएगा. लोबिन हेंब्रम बीजेपी में आये तो उनपर भी विक्टम कार्ड खेला जा सकता है.

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