झारखंड में ‘झटके’ की राजनीति, सरकार बनाने उतरे हैं 58 दलबदलू

राज्य के 81 विधानसभा सीटों पर 58 दलबदलू चुनाव लड़ रहे हैं. यह दलबदलू विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा बदल देंगे. सरकार बनाने में इन दलबदलुओं की अहम भूमिका होगी.

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सत्य शरण मिश्रा

रांची : झारखंड के विधानसभा चुनाव में इस बार झटके की राजनीति चल रही है. विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले अगस्त महीने से बीजेपी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन और लोबिन हेंब्रम को तोड़कर झामुमो को झटका दिया, लेकिन विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद झामुमो ने बीजेपी को तोड़े बिना उसे कई झटके दे दिया. लुईस मरांडी, केदार हाजरा, लक्ष्मण टुडू, गणेश महली, कुणाल षाडंगी, प्रणव वर्मा, चुन्ना सिंह जैसे बागी बीजेपी नेताओं को झामुमो ने उसके ही खिलाफ हथियार बना लिया. विधानसभा चुनाव में टिकट कटने से बागी हुए दर्जन भर नेता इस बार इस बार चुनाव मैदान में हैं. सिर्फ बीजेपी और झामुमो ही नहीं बल्कि कांग्रेस, राजद, सपा जैसी पार्टियों ने भी इस बार दूसरे दलों के बागियों पर दांव खेल दिया है. निश्चित रूप से यह दलबदलू विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा बदल देंगे. मलतब इस बार सरकार बनाने में दलबदलुओं की अहम भूमिका होगी. कौन सा दलबदलू किस विधानसभा सीट पर किस पार्टी को फायदा और किसे नुकसान पहुंचा सकता है पढ़िये इस रिपोर्ट में.

 

बरहेट में मंडल मुर्मू की शह पर सिमोन माल्तो की मात

 

बरहेट विधानसभा : बरहेट विधानसभा झारखंड का सबसे हॉट सीट है. इसी सीट से राज्य के सीएम हेमंत सोरेन झामुमो से चुनाव लड़ रहे हैं. हेमंत ने 24 अक्टूबर को नामांकन किया था. सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू हेमंत सोरेन के प्रस्तावक बने थे, लेकिन 2 दिन बाद ही मंडल मुर्मू पलट गये और बीजेपी में शामिल हो गये. मंडल मुर्मू शहीद परिवारों की धारा का प्रतिनिधित्व करते हैं. वहीं सिदो-कान्हू की लोकप्रियता पूरे संथाल परगना में 175 साल बाद भी बरकरार है. मंडल के आने पर बीजेपी ने इसे हेमंत सोरेन के खिलाफ बड़ी जीत समझी, लेकिन फिर पासा पलट गया. 2019 में हेमंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले सिमोन मालतो झामुमो में शामिल हो गये. अब बरहेट का सियासी समीकरण 2019 के आंकड़ों के पैमाने पर मापा जाए तो झामुमो मजबूत नजर आ रहा है. 2019 में हेमंत सोरेन 73534 वोट लाकर चुनाव जीते थे. बीजेपी प्रत्याशी सिमोन माल्तो को 47939 वोट मिले थे. बीजेपी ने पहाड़िया समुदाय पर मजबूत पकड़ रखने वाले और 2019 में 47939 वोट हासिल करने वाले सिमोन का इस बार टिकट काट दिया और वह टिकट दिया गया 2019 में आजसू से चुनाव लड़ने वाले गैमलिएल हेंब्रम को, जिन्हें मात्र 2566 वोट मिले थे और जमानत जब्त हो गई थी. अब हेमंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी ने क्या सोंचकर यह दांव खेल यह तो वही जाने, लेकिन राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि बीजेपी ने बरहेट में आत्मघाती फैसला लिया है.

 

गांडेय में प्रणव और अकील बिगाड़ेंगे खेल !

 

गांडेय विधानसभा : गांडेय विधानसभा सीट भी झारखंड का हॉट सीट है. यहां झामुमो ने हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को उम्मीदवार बनाया है. कल्पना इस सीट की सीटिंग एमएलए भी हैं. वहीं बीजेपी ने कल्पना के खिलाफ फ्रेश कैंडिडेट मुनिया देवी को अपना प्रत्याशी बनाया. मुनिया देवी को टिकट मिलने के बाद बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और कोडरमा के पूर्व सांसद रीतलाल वर्मा के पुत्र प्रणव वर्मा ने बीजेपी छोड़ दिया और झामुमो की शरण में चले गये. बीजेपी प्रत्याशी मुनिया देवी प्रणव की रिश्तेदार हैं और भी कुशवाहा समाज से आती हैं. अब प्रणव वर्मा के झामुमो जाने से गांडेय में कुशवाहा वोट बंट जाएगा. उधर जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने जिस अकील अख्तर उर्फ रिजवान क्रांतिकारी को गांडेय में चुनाव मैदान में उतारा था उन्होंने भी नाम वापसी के एक दिन पहले झामुमो का दामन थाम लिया. गांडेय में कल्पना को बीजेपी के अलावा सबसे ज्यादा खतरा जेएलकेएम से था. अब प्रणव वर्मा की बगावत और अकील अख्तर के चुनाव से बैठने से गांडेय का सियासी समीकरण बदलेगा.

 

लुईस से दुमका और जामा दोनों को साधा

 

दुमका विधानसभा : दुमका विधानसभा सीट पर झामुमो ने इस बार भी सीएम हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को उतारा है, जबकि बीजेपी ने पूर्व सांसद सुनील सोरेन को टिकट दिया है. सुनील सोरेन को टिकट मिलने के बाद दुमका की पूर्व विधायक लुईस मरांडी बागी हो गईं और झामुमो से जा मिलीं. लुईस मरांडी की दुमका विधानसभा सीट पर अच्छी पकड़ है. वो दुमका में सीएम हेमंत सोरेन को 2014 में विधानसभा चुनाव हरा चुकी हैं. लुईस मरांडी को झामुमो में शामिल कराने के बाद हेमंत ने एक तीर से दो निशाने लगा दिये हैं. हेमंत ने उन्हें दुमका की बजाए जामा विधानसभा सीट से टिकट देकर बीजेपी को चुनौती दे दी है. अब लुईस जामा के साथ-साथ दुमका विधानसभा में भी झामुमो के लिए मेहनत कर रही हैं.

 

सरायकेला में कैंडिडेट की अदला-बदली

 

सरायकेला विधानसभा : सरायकेला विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी और झामुमो में कैंडिडेट की अदला-बदली हो गई है. यह सरायकेला झामुमो का गढ़ माना जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन 1990 से सरायकेला से झामुमो का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, लेकिन चुनाव से ठीक पहले अगस्त महीने में वे बागी हो गये और बीजेपी में चले गये. वहीं बीजेपी सरायकेला से चंपई के खिलाफ 2014 और 2019 में गणेश महली को चुनाव लड़वा चुकी है. गणेश महली अपना टिकट कटने के बाद झामुमो में शामिल हो गये और झामुमो ने सरायकेला में उन्हें चंपई के खिलाफ उतार दिया है. गणेश महली बीजेपी में रहकर झामुमो के गढ़ में चंपई को कड़ी टक्कर देते रहे हैं. 2014 में गणेश सिर्फ 1000 वोट से चंपई से चुनाव हारे थे. वहीं 2019 में चंपई जहां 1,11,554 वोट लाकर चुनाव जीते थे, वहीं महली ने भी 95,887 वोट लाकर चंपई की जबरदस्त टक्कर दी थी. झामुमो के गढ़ में इस बार चंपई की राह आसान नहीं होगी.

 

राम दास की मदद के लिए आये लक्ष्मण

 

घाटशिला विधानसभा : पूर्व सीएम चंपई सोरेन जब बीजेपी में आये तो अपने बेटे बाबूलाल सोरेन को भी साथ लेते आये. बीजेपी ने पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू का टिकट काटकर बाबूलाल को घाटशिला विधानसभा सीट से टिकट दे दिया. इसके बाद लक्ष्मण टुडू ने बगावत कर कमल छोड़कर तीर-धनुष थाम लिया और घाटशिला के झामुमो कैंडिडेट रामदास सोरेन का हाथ मजूबत कर रहे हैं.

 

कुणाल बिगाड़ेंगे बीजेपी का खेल !

 

बहरागोड़ा विधानसभा : बहरागोड़ा से बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं झामुमो से सीटिंग एमएलए समीर मोहंती ताल ठोंक रहे हैं. यहां बीजेपी की राह मुश्किल करने के लिए कुणाल षाडंगी आ चुके हैं. कुणाल षाडंगी झामुमो से बहरागोड़ा के विधायक रह चुके हैं. 2019 में बीजेपी में आये थे, लेकिन चुनाव हार गये थे. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें दरकिनार करना शुरू कर दिया था. विक्षुब्ध होकर वे कुछ महीने पहले ही बीजेपी से इस्तीफा दे चुके थे. हाल ही में झामुमो में फिर से झामुमो में शामिल हो गये हैं और बहरागोड़ा में समीर मोहंती के हाथ को मजबूत कर रहे हैं.

 

58 दलबदलू बनायेंगे सरकार !

 

ये तो हो गई प्रमुख विधानसभा सीटों की बात. अगर राज्य के 81 विधानसभा सीटों को देखें तो कुल 58 दलबदलू इस बार विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगे. इन दलबलुओं में बाबूलाल मरांडी, चंपई सोरेन, लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन, मंजू देवी, केदार हाजरा, गीता कोड़ा, कमलेश कुमार सिंह, रौशन लाल चौधरी, लुईस मरांडी, गणेश महली, अनंत प्रताप देव, एमटी राजा, उमाकांत रजक, उदयशंकर सिंह, लाल सूरज, राधाकृष्ण किशोर, गिरिनाथ सिंह, ममता भुइयां, रघुपाल सिंह, कमलेश यादव, उमाशंकर अकेला से लेकर अंजू देवी जैसे प्रत्याशी शामिल हैं.

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