अब संजय रंजन ने बढ़ाई सुदेश की टेंशन, आजसू को बाय-बाय कर राजद में हुए शामिल
- Posted on January 28, 2025
- झारखंड
- By Bawal News
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आजसू पार्टी से नेताओं और कार्यकर्ताओं को मोहभंग होना शुरू हो गया है. 10 में से 9 विधानसभा सीटों पर आजसू पार्टी की हुई हार के बाद नेताओं-कार्यकर्ताओं के मानों ऐसा लग रहा है कि अब आजसू पार्टी के दिन ढल चुके हैं और शायद यही वजह है कि वे नये ठिकाने तलाश रहे हैं.
रांची : विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर आजसू पार्टी की हार क्या हुई. पार्टी से कार्यकर्ताओं के जाने का सिलसिला शुरू हो गया. एक बार फिर आजसू पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पूर्व आईपीएस और आजसू के महासचिव एवं प्रवक्ता संजय रंजन सिंह राजद में शामिल हो गये हैं. धनबाद के पुटकी में आजसू चीफ सुदेश महतो नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ संगठन को मजबूत करने की रणनीति बना रहे थे और उधर पटना में संजय रंजन सिंह राजद में शामिल हो रहे थे. राजद के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव और बिहार के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलायी. राजद में शामिल होने के बाद संजय रंजन सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद की नीति और सिद्धांतों को वे जन-जन तक पहुंचाएंगे और संगठन को मजबूत करेंगे.
नीरू शांति भगत ने भी छोड़ दी पार्टी
आजसू पार्टी में लगभग 10 दिन से भगदड़ मची हुई है. पार्टी के पुराने नेता और कार्यकर्ता अब सुदेश महतो से किनारा करने लगे हैं. सबसे पहले लोहरदगा से विधानसभा चुनाव में आजसू की प्रत्याशी रही नीरू शांति भगत ने आजसू को अलविदा कहा. उन्होंने सुदेश महतो को भेजे अपने पत्र में जो बातें लिखी थी उससे जाहिर है वो संगठन की कार्यशैली से काफी नाराज थीं. संगठन से किनारा करने का मन उन्होंने पहले ही बना लिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में अपनी और पार्टी की हार ने उन्हें फैसला लेने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने सुदेश महतो को एक सुझाव दिया था कि पार्टी के पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को अपनी बोली, बात-व्यवहार व लेखनी में भद्रता और सौम्यता लाने का प्रशिक्षण दिया जाये. यानी साफ है कि संगठन में किसी से व्यवहार से वो काफी आहत थीं.
एक हफ्ते पहले एस एली ने भी आजसू से तोड़ा नाता
नीरू शांति भगत के बाद आजसू पार्टी के केंद्रीय संगठन सचिव एस अली ने भी अपने पद और पार्टी के सभी दायित्वों से इस्तीफा दे दिया. उधर आजसू छात्र संघ और युवा मोर्चा के 63 पदाधिकारियों ने भी इस्तीफा दे दिया है. इन लोगों ने भी पत्र में कहा गया है कि पार्टी में लगातार असंतोष और असहमति की स्थिति उत्पन्न हो गई है. सामूहिक निर्णय नहीं लिया जाना और बढ़ती दूरी के चलते अब पार्टी की राजनीति में सक्रिय नहीं रहा जा सकता है. इसलिए सभी पदाधिकारी इस्तीफा दे रहे हैं.
चंद्रप्रकाश और निर्मल के भी बीजेपी में जाने की थी चर्चा
सुदेश महतो और आजसू पार्टी की टेंशन तब और बढ़ गई जब गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और मांडू के विधायक निर्मल महतो के बीजेपी में शामिल होने की खबरें सामने आने लगी. हालांकि सांसद और विधायक दोनों ने इन चर्चाओं को खारिज कर दिया, जिसके बाद आजसू ने थोड़ी राहत की सांस ली. झारखंड में आजसू के कमजोर होने और नेताओं-कार्यकर्ताओं का संगठन से मोहभंग होता देख अब सुदेश महतो को अपने पुराने साथियों की याद आ रही है. आजसू पार्टी ने झारखंड आंदोलन के पुराने साथियों को अपने साथ जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है. इसी कड़ी में आजसू के फाउंडर मेंबर और झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर हाल ही में आजसू में शामिल हुए हैं. वहीं जेबीकेएसएस के नेता संजय मेहता भी आजसू में शामिल हो गये हैं.
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