अब नक्शे में उलझे निवेशक, 3 साल में अपने प्लॉट पर एक भी ईंट नहीं रख सके स्मार्ट सिटी के इन्वेस्टर्स

साल भर पहले 6 प्लॉट की रजिस्ट्री हो गई है. एनवायरमेंटल और एयरपोर्ट क्लीयरेंस भी मिल गया, लेकिन निवेशकों के नक्शे को अबतक क्लीयरेंस नहीं मिला है. करीब 6 महीने पहले इन्वेस्टर्स ने नगर विकास विभाग के टाउन प्लानर के पास नक्शा जमा करवाया था. फाइल अबतक वहीं पड़ी हुई है.

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रांची : रांची स्मार्ट सिटी की नींव रखे 7 पूरे हो गये, लेकिन वहां जमीन लेने वाले इन्वेस्टर अपने प्लॉट पर एक ईंट भी नहीं रख पाये हैं. 2021 से 2024 तक ई-ऑक्शन के जरिये 16 इन्वेस्टर्स को स्मार्ट सिटी एडीबी एरिया में जमीन आवंटित हुआ है. 2021 में पहले फेज के ऑक्शन में निवेशकों को नौ प्लॉट आवंटित हुए थे. इनमें से विष्णु अग्रवाल के तीन प्लॉट को छोड़कर बाकी प्लॉट के इन्वेस्टर्स ने प्लॉट आवंटित होने के एक साल के भीतर सारी राशि जमा कर दी, लेकिन फिर जमीन की रजिस्ट्री में पेंच फंस गया. साल भर पहले 6 प्लॉट की रजिस्ट्री भी हो गई. एनवायरमेंटल और एयरपोर्ट क्लीयरेंस भी मिल गया, लेकिन निवेशकों के नक्शे को अबतक क्लीयरेंस नहीं मिला है. करीब 6 महीने पहले इन्वेस्टर्स ने नगर विकास विभाग के टाउन प्लानर के पास नक्शा जमा करवाया था. फाइल अबतक वहीं पड़ी हुई है. स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन के जीएम राकेश नंदक्योलियार ने कहा कि उम्मीद है कि एक-दो महीने में नक्शा क्लीयर होने के बाद इन्वेस्टर्स काम शुरु कर देंगे.

 

अबतक सिर्फ 16 प्लॉट का हुआ है ऑक्शन

 

-ऑक्शन के पहले फेज में जमीन हासिल करने वाले पांच बिल्डरों ने 52.19 एकड़ भूमि पर लगभग पांच हजार फ्लैटों के निर्माण के लिए नक्शा की स्वीकृति मांगी थी. लेकिन, बिल्डरों द्वारा नक्शा जमा करने के छह माह बाद भी स्वीकृत करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी है. उधर इंटीग्रेटड इंफ़्रास्ट्रक्चर के निर्माण का काम 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है. निवेशकों द्वारा काम शुरू नहीं करने की वजह से  पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में देर होती जा रही है. बता दें कि ई-ऑक्शन में कुल 16 निवेशकों को जमीन आवंटित की गयी है. सबसे पहले मार्च 2021 में जमीन की ऑनलाइन नीलामी में कुल सात बिल्डरों को नौ प्लॉट आवंटित किये गये थे. इसके बाद हुई दो फेज की नीलामी में केवल दो निवेशकों को जमीन का आवंटन किया जा सका था. बाद में चौथे फेज में पांच निवेशकों को जमीन दी गयी है. वहां आवासीय और व्यवसायिक प्लॉटों के अलावा स्कूल, यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और मिक्स यूज के लिए जमीनों का आवंटन किया गया है.

 

बाहरी निवेशकों को नहीं लुभा पाये आकर्षक प्लान

 

656 एकड़ जमीन पर बनने वाले स्मार्ट सिटी का शिलान्यास तात्कालीन उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया था. प्लान था कि रांची स्मार्ट सिटी में 15,000 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जाएगापहले चरण में 5,000 और दूसरे चरण में 10,000 फ्लैट बनाने की योजना थी. 800 बेड का अस्पताल बनाने की भी योजना थी. स्मार्ट सिटी को एजुकेशन हब बनाने के लिए 1 रुपये टोकन मनी पर 25 एकड़ ज़मीन देश के टॉप 500 शिक्षण संस्थानों की जमीन देने का भी प्रस्ताव था. लुभावने और आकर्षक प्रस्तावों को लेकर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु समेत कई जगहों पर इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया, लेकिन बाहरी निवेशकों ने झारखंड स्मार्ट सिटी में निवेश नहीं किया. जो भी निवेशक आये सभी झारखंड के ही हैं. झारखंड के निवेशकों ने प्लॉट के रेट को कम करने और प्लॉट का आकार छोटा करने के भी प्रस्ताव कॉरपोरेशन को दिये. कहा गया कि तीन फेज के ऑक्शन के बाद स्मार्ट सिटी के मास्टर प्लान में बदलाव करते हुए सभी सुझावों पर अमल किया जाए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. रांची स्मार्ट सिटी को लेकर तैयार किये गये बड़े-बड़े प्लान धरे के धरे रह गये.


केंद्रीय एजेंसियां तलाश रही जमीन

 

रांची स्मार्ट सिटी के एडीबी एरिया में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, बैंक ऑफ बड़ौदा और नाबार्ड बैंक समेत कई केंद्रीय एजेंसियां जमीन तलाश रहे है. इन एजेंसियों और बैंकों ने रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन से एडीबी एरिया में ऑफिस और रेसिडेंशियल यूज के लिए जमीन लेने के लिए एप्रोच किया है. इसे लेकर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन के सीईओ और सीएमडी के नाम से आवेदन दिये गये हैं. चीफ़ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में होने वाली हाई पावर स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में इसपर फ़ैसला लिया जाएगा. गौरतलब है कि इससे पहले स्मार्ट सिटी ने रांची नगर निगम को अपोलो अस्पताल के लिए स्मार्ट सिटी में 2.75 एकड़ जमीन मुहैया कराया है. अपोलो यहां 250 बेड का मल्टी सुपर स्पेशियिलिटी अस्पताल खोलेगा. वहीं यातायात विभाग के आवेदन पर कार्रवाई करते हुए स्मार्ट सिटी में ट्रैफिक पार्क बनाने के लिए उसे 3.5 एकड़ जमीन दी गई है, जबकि जुडको को मंत्री बंगलो बनाने के लिए 9 एकड़ जमीन दी गई थी.

 

मंत्रियों के लिए फटाफट बन गये बंगलो

 

रांची स्मार्ट सिटी में रेसिडेंशियल, एजुकेशनल और मिक्स यूज के प्लॉट पर होने वाले निर्माण काफी अहम हैं. यह सभी निर्माण पूरा होने के बाद ही एडीबी एरिया में आबादी का बसना शुरु होगा, लेकिन जिस रफ्तार से काम की गति चल रही है उसे देखकर नहीं लगता कि 2025 में भी यहां लोग रह पायेंगे. उधर ख़ास लोगों के लिए स्मार्ट सिटी में खास ध्यान रखा गया है. जहां आम लोगों से जुड़े प्लॉटों पर एक ईंट भी नहीं रखी गई वहीं झारखंड के मंत्रियों के रहने के लिए वहां बंगले तैयार हो गये हैं.

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