New Delhi :
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में 10 जनपथ में ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस की बैठक हुई. इस बैठक में झारखंड में सरना धर्मकोड, जाति जनगणना समेत कई अहम मुद्दे उठे. बैठक में झारखंड के अलावा मध्यप्रदेश और राजस्थान के सांसद-विधायक शामिल हुए. बैठक में झारखंड की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने राज्य में जमीन से जुड़ी समस्या और भविष्य को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में पूर्व की रघुवर दास सरकार ने लैंड डिजिटाइजेशन के नाम पर रैयतों को उन्हीं की जमीन से बेदखल करने की साजिश रची थी. लैंड रिकॉर्ड में गलत नाम, गलत प्लॉट संख्या, पंजी 2 में किसी दूसरे के नाम चढ़ाना, ये सब कुछ लैंड डिजिटाइजेशन के नाम पर किया गया. सरकार के इस फैसले से राज्य का हर वर्ग खास कर आदिवासी समाज सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ.
शिल्पी नेता तिर्की ने कहा कि आज भी झारखंड के भोले-भाले आदिवासी परिवार के लोग जमीन से संबंधित कागजात और खतियान ले कर अंचल कार्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर है. उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है. अदालत में भी आदिवासी परिवार को सिर्फ इस लिए न्याय नहीं मिल पा रहा क्योंकि उनके पास अच्छे वकील नहीं हैं. उन्होंने राज्य में नये सिरे से सर्वे कराने का सुझाव देते हुए ट्राइबल लीगल काउंसिल का गठन करने का सुझाव भी दिया.
मंत्री ने कहा कि राज्य में अभियान चला कर गांव-गांव में भूमि सुधार के लिए कैंप लगाना बहुत जरूरी है. इसकी मदद से जमीन से संबंधित मामलों में भूल सुधार किया जा सकता है. तिर्की ने देश में जातिगत जनगणना में 2016 के पूर्व अन्य कॉलम की व्यवस्था को सातवां कॉलम के तौर पर इस बार भी जारी रखने की बात कही. कहा कि प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए जनगणना प्रपत्र में सातवां कॉलम या आदि कॉलम, सरना धर्म कॉलम होना चाहिए. उन्होंने जादूगोड़ा का मुद्दा भी उठाते हुए कहा कि वहां न्यूक्लियर वेस्ट का लगातार डंपिंग होने से आदिवासी परिवार के लोग कई तरह की शारीरिक रोग से ग्रसित हो रहे है. ऐसे में अविलंब प्रभावितों के पुनर्वास के लिए सरकार को महत्वपूर्ण कदम उठाना चाहिए.
बैठक में आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, झारखंड के प्रदेश प्रभारी के राजू, लोहरदगा सांसद सुखदेव भगत, विधायक सोना राम सिंकू, नमन विक्सल कोंगाड़ी, भूषण बाड़ा भी शामिल थे. सुखदेव भगत ने जातिगत जनगणना में सातवां कॉलम के तौर पर सरना धर्म कोड को जगह देने पर विशेष बल दिया गया.





