खामख्वाह: हर चीज में बस राजनीति... भाजपाइयों इंसानियत भी कोई चीज है कि नहीं?

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रांची: राजनीति मुद्दे से चलती है. मुद्दा नहीं तो राजनीति नहीं. कोई मुद्दा नहीं है तो किसी चीज को मैनिपुलेट कर उसे मुद्दा बना देना राजनेताओं की पुरानी फितरत रही है. सोशल मीडिया के दौर यह और बढ़ गया है. राजनीतिक पार्टियों के छोटे से लेकर बड़े नेता इसमें माहिर हो चुके हैं. अब कल का ही मामला देख लीजिए. धनबाद के गोविंदपुर के पास एक बुजुर्ग सुलेमान अंसारी सड़क पर घायल पड़े थे. कोई गाड़ी उन्हें टक्कर मारकर फरार हो गया था. सड़क से कई गाड़ियां गुजरी, लेकिन किसी ने सुलेमान को अस्पताल नहीं पहुंचाया. उसी वक्त झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी का काफिला वहां से गुजरा. मंत्री ने घायल सुलेमान को देखा और इंसानियत का परिचय देते हुए उन्हें एक ऑटो बुक कर फौरन अस्पताल भेजा. सिविल सर्जन को फोन किया और सुलेमान का बेहतर इलाज करने का निर्देश दिया. सुलेमान की नातिन ने मंत्री के प्रति आभार जताया और धन्यवाद दिया. मंत्री ने इसका वीडियो अपने एक्स प्रोफाइल पर पोस्ट कर दिया. 

फिर क्या था बीजेपी तो ढूंढ रही थी मुद्दा और उसे मिल गया इरफान अंसारी को घेरने का मौका. बीजेपी कहने लगी झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है. एंबुलेंस समय पर नहीं आता है. सरकार एयर एंबुलेंस का दावा करती है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री घायल व्यक्ति को ऑटो में बैठाकर अस्पताल भेजते हैं. प्रदेश बीजेपी के एक प्रवक्ता ने अपने एक्स प्रोफाइल से इरफान अंसारी का वह वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि मिनटों में एम्बुलेंस पहुंचने का दावा करने वाले स्वास्थ्य मंत्री जी सड़क पर घायल व्यक्ति को ऑटो में ढकेल ढकेल कर अस्पताल भेज रहे हैं. फिर क्या था देखते देखते बीजेपी के कई नेताओं ने अपने-अपने हिसाब से कैप्शन तैयार कर इस वीडियो को अपने प्रोफाइल से शेयर किया. 

खबर झारखंड बीजेपी के आलाकमान तक भी पहुंची. प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया. उन्होंने इस वीडियो पर कहा कि “ सड़क पर घायल व्यक्ति के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कराने के बजाय स्वास्थ्य मंत्री ने उसे टेम्पो में लादकर अस्पताल भेजा. इससे अधिक शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है? एयर एम्बुलेंस का ढोल पीटने वाली सरकार हकीकत में केवल फर्जी विज्ञापनों से अपनी वाहवाही लूटने में लगी है. झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी जर्जर हो चुकी है कि खुद मंत्री और मुख्यमंत्री भी अपने या अपने परिजनों का इलाज राज्य के अस्पतालों में करवाने का साहस नहीं कर पाते.”

बीजेपी नेताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर-कर के इरफान अंसारी को कटघरे में खड़ा कर दिया. झारखंड के स्वास्थ्य व्यवस्था को कोस दिया, लेकिन उन लोगों के लिए बीजेपी के मुंह से एक शब्द नहीं निकला, जो लोग घंटों सड़क में तड़प रहे सुलेमान की मदद नहीं की. उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया. मंत्री ने क्या सुलेमान की मदद कर गलती कर दी? क्या स्वास्थ्य मंत्री को मौके पर मौजूद ऑटो के बजाए 108 नंबर पर डायल कर अस्पताल भेजने के लिए एंबुलेंस का इंतजार करना चाहिए था?  मंत्री चाहते तो सुलेमान को नजरअंदाज कर दूसरे लोगों की तरह मुंह फेर कर जा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने उसकी मदद की, लेकिन बीजेपी को तो हर चीज में चाहिए मुद्दा!

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