बाबूलाल को ललमटिया पहुंचने में लग गये 10 दिन, संघ का दबाव! अंतरात्मा की आवाज? या फिर...

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (42)-k5Jti33AIH.jpg

सूर्या हांसदा एनकाउंटर केस पर प्रदेश की सियासत गर्म है. 10 अगस्त को सूर्या हांसदा का एनकाउंटर हुआ और उसी दिन से जेएलकेएम जैसी पार्टियां और कई आदिवासी संगठनों ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाने शुरू कर दिये. बीजेपी ने भी एनकाउंटर पर सवाल उठाये, लेकिन उसे सवाल उठाने में कई दिन लग गये. जिस सूर्या हांसदा को बीजेपी ने अपनी टिकट पर चुनाव लड़ाया उसी सूर्या हांसदा के लिए आवाज उठाने में आखिर बीजेपी को 4 दिन क्यों लग गये. खैर 4 दिन देर से ही सही, लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सूर्या हांसदा एनकाउंटर में सवाल तो उठाया. 13 अगस्त को लंबा चौड़ा ट्विट कर उन्होंने सूर्या हांसदा एनकाउंटर को फेक बताया और हाईकोर्ट के सीटिंग जज की अध्यक्षता में एनकाउंटर की जांच कराने की मांग की.

घटना के दूसरे दिन यानी 11 अगस्त को बीजेपी के बड़े लीडर और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए 17 अगस्त को सूर्या हांसदा के गोड्डा स्थित ललमटिया गांव जाने का ऐलान किया. इसके बाद भी छोटे-बड़े मुद्दों पर दिन भर ट्विट करने वाले बाबूलाल मरांडी ने 10, 11 और 12 अगस्त कर सूर्या हांसदा एनकाउंटर पर कुछ नहीं बोला. फिर अचानक 13 अगस्त को उनके एक्स प्रोफाइल से इस मामले पर एक के बाद एक कई ट्विट हुए. आधिकारिक तौर पर बीजेपी ने इसी दिन से सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले में हस्तक्षेप किया. फिर बनी आगे की रणनीति और अर्जुन मुंडा के निर्धारित कार्यक्रम में पार्टी की ओर 6 और नेताओं को जोड़ दिया गया. 17 अगस्त को अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बीजेपी की 7 सदस्यीय टीम कथित फेक एनकाउंटर की जांच करने गोड्डा पहुंची. इसके बाद 20 अगस्त को बाबूलाल भी ललमटिया पहुंच गये. सूर्या हांसदा तो बाबूलाल मरांडी के जेवीएम के संघर्ष के दिनों के साथी रहे हैं. दो बार उन्होंने सूर्या को जेवीएम से चुनाव भी लड़वाया था. इस लिहाज से तो उन्हें ललमटिया बहुत पहले पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें पहुंचते-पहुंचते 10 दिन लग गये.

सवाल ये उठता है कि आखिर बीजेपी ने इस मुद्दे पर फ्रंटफुट पर आने में देर क्यों की. सवाल यह भी है कि बाबूलाल मरांडी अंतरात्मा की आवाज सुनकर ललमटिया गये या फिर संघ के दबाव से? जी हां सूत्रों के मुताबिक सूर्या हांसदा 10 साल से संघ के स्वयंसेवक थे. वे संघ की शाखाओं और कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते थे. मिशनरियों के कट्टर विरोधी थे. जिस स्कूल में वो बच्चों को मुफ्त शिक्षा, हॉस्टल और यूनिफॉर्म देते थे उस स्कूल में भी संघ से जुड़े लोग शिक्षा देते थे. हाल ही में उन्होंने संघ के पदाधिकारियों से मंडरो और बोआरीजोर में भी ऐसा ही स्कूल खोलने की इच्छा जताई थी. सूर्या हांसदा के एनकाउंटर पर संघ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन कहा जा रहा है कि संघ के निर्देश पर ही बीजेपी ने सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले को हाथोहाथ लिया है और अब बाबूलाल जो कल इस मामले में बैकफुट पर थे अब फ्रंट पर आ गये हैं.

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