“घाट-घाट का पानी नहीं पीता, मेरे लिए लॉयल्टी ही रॉयल्टी”, चार दिन बाद सीपी सिंह ने दिया इरफान को जवाब

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (12)-KWYswZlr9W.jpg

Ranchi: पूर्व मंत्री और बीजेपी के सीनियर विधायक सीपी सिंह ने चार दिन बाद स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी की चिट्ठी का जवाब दिया है. 4 अक्टूबर को इरफान अंसारी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट कर सीपी सिंह के लिए आंसू बहाये थे. उन्होंने कहा था कि सवर्ण नेता होने के कारण बीजेपी उन्हें इग्नोर कर रही है. उन्हें दूसरा ठिकाना तलाशना चाहिए. 8 अक्टूबर को सीपी सिंह ने एक्स पर इरफान को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आप (इरफान अंसारी) ओछी राजनीति करते हैं. बेतुकी बयानबाजी करते हैं और परिपक्व हैं. जहां तक बीजेपी में मान सम्मान का सवाल है तो मेरे लिए "लॉयल्टी ही रॉयल्टी" है. मैं कभी उन लोगों में शामिल नहीं रहा जो अपनी विचारधारा को गिरवी रखकर, अपनी निष्ठा बेचकर, घाट-घाट का पानी पीकर आगे बढ़ता हो.

सीपी सिंह ने पत्र में लिखा

प्रिय 
इरफान अंसारी जी,

आपने एक बार फिर साबित कर दिया कि एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, खासकर स्वास्थ्य मंत्री का पद संभालने के बावजूद आपकी राजनीति कितनी ओछी और अपरिपक्व है. अगर आपकी प्राथमिकता बेतुकी बयानबाज़ी है, तो यह अपने आप में आपकी अक्षमता का परिचायक है.


जहां तक मेरे सम्मान और मेरी पार्टी का सवाल है, तो आपको शायद जानना चाहिए कि एक किसान का बेटा जो पलामू के एक छोटे से गाँव से निकलकर रांची पढ़ाई करने आया और फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, जनसंघ से होते हुए भारतीय जनता पार्टी तक का सफर तय किया, उसे पार्टी ने हर वो सम्मान दिया जिसे उसने कभी सोचा भी नहीं था.

मैंने कभी पद की चाह नहीं रखी, हमेशा कार्यकर्ता के रूप में खुद को देखा और मुझे गर्व है कि भाजपा ने मेरी इसी निष्ठा, ईमानदारी और समर्पण को पहचानते हुए लगातार 7 बार रांची की जनता की सेवा का अवसर प्रदान किया और जनता के आशीर्वाद से मैं हर बार खरा उतरा. मुख्य सचेतक, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री जैसे पद मुझे बिन मांगे मिले, यह सभी जिम्मेदारियां पार्टी ने इसलिए दीं क्योंकि उन्हें लगा कि मैं इन कार्यों के लिए सबसे उपयुक्त हूं. लेकिन आज भी मेरे लिए सबसे बड़ा पद “भाजपा कार्यकर्ता” होना है... बाकी पद तो आते-जाते रहते हैं.

मैं कभी उन लोगों में शामिल नहीं रहा जो अपनी विचारधारा को गिरवी रखकर, अपनी निष्ठा बेचकर, घाट-घाट का पानी पीकर आगे बढ़ता हो, मेरे लिए "लॉयल्टी ही रॉयल्टी" है. दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जन्मा जो मेरी भाजपा के प्रति निष्ठा खरीद सके. 1980 में मुंबई में हुए भाजपा के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में जब मैंने भाग लिया और वहां जब भाजपा की नींव रखी गई तब ही मैंने ठान लिया था कि जब इस दुनिया से जाऊँगा तो भाजपा के ध्वज में लिपटा जाऊँगा - और यही मेरे जीवन का गर्व है.

लेकिन मुझे इस बात का बेहद दुःख है कि आप एक ऐसी पार्टी के सदस्य हैं जो न केवल हिन्दुत्व विरोधी विचारधारा से प्रेरित है, बल्कि राष्ट्रविरोधी प्रवृत्तियों से भी ग्रस्त है. जिस कांग्रेस के नेताओं ने वर्षों तक पाकिस्तान परस्ती की भाषा बोली और देश की एकता व अखंडता पर प्रश्नचिह्न लगाए, उसी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए जब आप जैसे लोग मुझे नसीहत देने का प्रयास करते हैं, तो यह केवल विडंबनापूर्ण ही नहीं, बल्कि हास्यास्पद भी प्रतीत होता है. आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस कांग्रेस में आज आप मलाईदार पदों का आनंद ले रहे हैं, उसी कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं ने आपको कोलकाता में जेल भेजने का इंतज़ाम किया था. फिर भी आप उसी पार्टी में बने हुए हैं, अपनी इज़्ज़त और आत्मसम्मान गिरवी रखकर सत्ता का सुख भोग रहे हैं, यही आपके चरित्र और राजनीतिक संस्कार का सबसे सटीक परिचय है.

जहाँ तक “अगड़े–पिछड़े” जाति के सवाल उठने की बात है, तो यह भारतीय जनता पार्टी की नहीं बल्कि आपकी कुंठित और संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है. भाजपा में व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी राष्ट्रनिष्ठा, कर्मशीलता और प्रतिबद्धता से होता है, न कि उसकी जाति या धर्म से. और जब आपने यह ओछी सोच जाहीर कर ही दी है और आपको अगड़े जाति की इतनी चिंता है तो एक बार अपने ही मंत्रिमंडल में झाँककर देख लीजिए कि उसमें सवर्ण जाति से कितने मंत्री हैं. अगर आपके शब्दों में तनिक भी सच्चाई और साहस है, तो आज ही अपने पद से इस्तीफ़ा देकर मुख्यमंत्री जी से आग्रह कीजिए कि आपकी जगह किसी सवर्ण जाति के विधायक को मंत्री बनाएं. तभी मैं यह मानूँगा कि आपका यह वक्तव्य तंज नहीं, बल्कि वास्तविक चिंता का प्रतीक था. लेकिन मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि न तो आपमें वह नैतिकता बची है और न ही वह साहस. सत्ता की कुर्सी और मलाईदार पद ही आपकी राजनीति का वास्तविक धर्म बन चुका है.

मैं यह जरूर मानता हूं कि मैंने आपका सदैव स्नेहिल मार्गदर्शन किया है, इसीलिए आपको पुनः सलाह देना चाहूंगा...बेतुकी बयानबाज़ी छोड़कर झारखंड की गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर ध्यान दीजिए. अस्पतालों की बदहाल स्थिति को सुधारिए, योग्य चिकित्सकों की कमी को दूर कीजिए, मरीजों को दवाइयां उपलब्ध कराइए और आवश्यक स्वास्थ्य उपकरणों के अभाव को दूर करने की दिशा में ठोस कदम उठाइए. कम से कम अपने विभाग के कामकाज की जिम्मेदारी निभाने की कोशिश तो कीजिए. मुझे मालूम है, यह आपके बस की बात नहीं है लेकिन प्रयास करने में क्या बुराई है.

आपका,
सी. पी. सिंह
(विधायक, रांची)

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