वो आदिवासियों के हाथों पीटा जाएगा... निशा भगत ने कुर्मियों के दे दी खुली चेतावनी
- Posted on September 15, 2025
- राजनीति
- By Bawal News
- 49 Views
-TxFGSOSQXe.jpg)
Ranchi: कुर्मी वर्सेज आदिवासी की जंग अब आर-पार की लड़ाई में बदल चुकी है. न कुर्मी पीछे हटने को तैयार हैं और न आदिवासी बैकफुट पर आने को. रांची धुमकुड़िया में कई आदिवासी संगठनों ने बैठक की और कुर्मी आंदोलन के खिलाफ रणनीति बनाई. इस बैठक के बाद आदिवासी नेत्री निशा भगत ने कुर्मियों को खुली चेतावनी दे दी है. कह दिया है कि जो आदिवासियत पर प्रहार करेगा वो आदिवासियों के हाथों पीटा जाएगा. उन्होंने कहा कि कुर्मी झारखंड को दूसरा नेपाल बनाना चाहते हैं. 20 सितंबर को आदिवासी समुदाय सुबह 11 बजे उलगुलान करेगा उसके बाद ये कुर्मी अपनी जगह पकड़ लेंगे. आदिवासी अब जाग गया है और अब हम राजनीति नहीं होने देंगे. निशा भगत ने कहा कि ये लोग भारत का प्रथम नागरिक कहलाना चाहते हैं. तथ्यों से खुद को आदिवासी प्रमाणित कर पा रहे हैं तो आदिवासी युवतियों पर प्रहार कर रहे हैं.
पहले इतिहास में घुसे, अब हिस्सा छीनने आये: लक्ष्मीनारायण मुंडा
आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि कुर्मी कितना झूठ बोलेंगे. चुआड़ विद्रोह से कुर्मी, कुड़मी, महतो का कोई सरोकार नहीं है. उनका दावा बिल्कुल गलत है. कहा कि सिर्फ राजनीतिक-सामाजिक लाभ के लिए ये लोग आदिवासी में शामिल होने के लिए परेशान हैं. खुद को एसटी में शामिल करने के लिए साजिश के तहत इन्होंने पहले कुर्मियों को इतिहास में जबरदस्ती घुसा दिया. झारखंड बनने से पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुए संघर्ष में एक भी कुड़मी फ्रीडम फाइटर नहीं मिलेगा. 2000 में झारखंड बनने के बाद से ये फ्रीडम फाइटर बनने लगे. चुआड़ विद्रोह में रघुनाथ महतो को घुसा दिया. फिर कोल विद्रोह में बुली महतो को घुसा दिया. उसके बाद संथाल विद्रोह में चनकू महतो को घुसा दिया. इनकी साजिश है कि पहले इतिहास पर कब्जा करिये फिर राजनीति में आदिवासियों का हिस्सा छीनिए. उन्होंने कहा कि टीआरआई रिपोर्ट समेत तमाम दस्तावेज उठा लीजिए किसी में इन्हें आदिवासी नहीं बताया गया है. कभी ये पिछड़ी जाति की लड़ाई लड़ते हैं तो कभी आदिवासी बनने की.
आदिवासी समाज पूरा भौकाल में है: फूलचंद तिर्की
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि कुर्मी नेता लोग आदिवासी बनने का ढोंग रच रहे हैं. 20 सितंबर को हमलोग राजभवन के सामने धरना देकर उलगुलान का बिगुल फूंकेंगे. आदिवासी समाज अब जाग चुका है. हमारा समाज पूरा भौकाल में है. उन्होंने कहा कि कुर्मी जबरदस्ती आदिवासी का हक लूटने के लिए आदिवासी बनना चाहते हैं. हमलोगों को मुद्दों से हटाने के लिए इस मुद्दे को प्लांट किया गया है, ताकी आदिवासी अपना हक-अधिकार नहीं मांग सकें. कुर्मी—दिवासी प्रकरण में सरना कोड, पेसा कानून का मुद्दा गायब हो गया.
Write a Response