घाटशिला उपचुनाव: अर्जुन मुंडा दिल्ली और चंपई रांची के लगा रहे चक्कर... खेला न हो जाए कहीं!

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (5)-3p8h6kqD8M.jpg

ठीक एक महीने बाद 11 नवंबर को घाटशिला विधानसभा का उपचुनाव होना है. बीजेपी से कई नेता टिकट की जुगाड़ में लगे हुए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन का सबसे नाम आगे चल रहा है. उनके अलावा लखन मार्डी, सुनीता देवदूत सोरेन और रमेश हांसदा के नाम की भी चर्चा है. बेटे को बीजेपी का टिकट दिलाकर विधायक बनाने के लिए चंपई सोरेन खूब जोर लगा रहे हैं. कभी प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में तो कभी घाटशिला में नजर आ रहे हैं. इस बीच एक और दावेदार का नाम चर्चा में आया है. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी और 2024 में पोटका विधानसभा से चुनाव हार चुकीं मीरा मुंडा का. अर्जुन मुंडा अपनी पत्नी मीरा मुंडा के साथ 2 से 5 अक्टूबर तक दिल्ली में थे. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के लिए संभावनाएं तलाशी गई है. 

अर्जुन मुंडा कोल्हान में बीजेपी के बड़े लीडर हैं, लेकिन खूंटी से 2024 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद वे संगठन में हाशिये पर चले गये हैं. अब उन्हें विधानसभा या लोकसभा का अगला मौका 4 साल बाद ही मिलने वाला है, लेकिन घाटशिला के रण में पर्दे के आगे या पर्दे के पीछे से उतरकर वो अपनी अहमियत फिर से साबित करने की कोशिश जरूर करेंगे. संभावना तो यह भी है कि बीजेपी कहीं अर्जुन मुंडा को ही घाटशिला उपचुनाव न लड़वा दे. मुंडा चुनाव लड़ें या न लडें, लेकिन वो ये जरूर चाहेंगे कि उनके खेमे का ही कोई व्यक्ति बीजेपी का प्रत्याशी बने जिससे उनका दबदबा कोल्हान और संगठन में बना रहे.

बीजेपी के एक नेता ने कहा कि अगर बाबूलाल सोरेन को टिकट दिया जाना होता तो अबतक नाम की घोषणा हो गई होती. चंपई सोरेन पूरा जोर तो लगा रहे हैं, लेकिन यह बीजेपी है. नफा-नुकसान और सारे समीकरण देखने-समझने के बाद ही प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगेगी. जहां तक मीरा मुंडा का सवाल है तो उन्हें अगर टिकट मिल भी जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है. 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पोटका से 5 बार प्रत्याशी और तीन बार विधायक रही मेनका सरदार का टिकट काटकर मीरा मुंडा को पोटका से चुनाव लड़वाया था. हालांकि वो चुनाव हार गईं, लेकिन 92 हजार से ज्यादा वोट उन्होंने हासिल किया था.

बीजेपी नेताओं का कहना है कि अगर अर्जुन मुंडा पत्नी के लिए चंपई सोरेन बेटे के लिए टिकट मांगते हैं तो पलड़ा अर्जुन मुंडा का भारी होगा. अर्जुन मुंडा केंद्रीय नेतृत्व के चहेते हैं. भले ही इन दिनों वे वे केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं, लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध हैं. जबकि चंपई सोरेन का प्रभाव सिर्फ प्रदेश नेतृत्व तक ही सिमित है. 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले बनी परिस्थितियों को देखते हुए बीजेपी ने बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से चुनाव लड़वा दिया था. बाबूलाल घाटशिला में एक्टिव तो हैं लेकिन प्रदेश स्तर पर संगठन में उनकी पहचान नहीं है, जबकि अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा लंबे समय से बीजेपी में शामिल रही हैं. समाजसेवी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. अगर परिवारवाद के पैमाने पर टिकट बंटा तो कहीं बाबूलाल सोरेन के साथ खेला न हो जाए.

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