आज की राजनीति में अक्सर यह देखने को मिलता है कि चुनाव जीतने के बाद नेता जनता से दूरी बना लेते हैं. लेकिन झारखंड की राजनीति में एक ऐसा नाम भी है, जो चुनावी हार-जीत से परे रहकर लगातार जनता की सेवा में जुटा हुआ है. झारखंड के पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ऐसे ही नेता हैं, जिनका जीवन और कार्यशैली सच्चे जनसेवक की पहचान कराती है.
पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का मानना है कि राजनीति का असली उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि आम लोगों की समस्याओं का समाधान है. यही वजह है कि वे लगातार क्षेत्र भ्रमण कर किसानों, मजदूरों और आम नागरिकों से सीधे संवाद करते हैं. हाल ही में क्षेत्र भ्रमण के दौरान वे मोहनपुर पहुंचे, जहां किसानों ने उन्हें औने-पौने दाम पर मजबूरी में धान बेचने की पीड़ा बताई.
किसानों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए बादल पत्रलेख ने मौके पर ही दुमका के उपायुक्त से बातचीत की. उन्होंने बताया कि किसानों को धान बेचने के लिए दूर स्थित जरमुंडी पैक्स जाना पड़ता है, जो उनके लिए संभव नहीं है. उन्होंने आसपास ही धान क्रय की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग रखी. पूर्व कृषि मंत्री की बातों को गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त ने सहारा पैक्स में धान अधिप्राप्ति शुरू करने का आश्वासन दिया.
इतना ही नहीं, बादल पत्रलेख ने किसानों को पैक्स में ही धान बेचने के लिए प्रेरित किया और उन्हें उचित सुझाव भी दिए, ताकि वे बिचौलियों के शोषण से बच सकें. उनका सादा जीवन, सहज व्यवहार और किसानों के प्रति संवेदनशीलता यह दर्शाती है कि वे केवल नेता नहीं, बल्कि जमीन से जुड़े जनप्रतिनिधि हैं.
बादल पत्रलेख की यह कार्यशैली आज की राजनीति के लिए एक प्रेरणा है—जहां सत्ता से ज्यादा सेवा और वादों से ज्यादा काम को महत्व दिया जाता है.



