पहले चंपई, फिर कोड़ा... अब मुंडा-रघुवर की बारी?

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झारखंड में बीजेपी नेतृत्वकर्ताओं की कमी से जूझ रही है. बीजेपी के पास कार्यकर्ताओं की फौज दूसरी पार्टियों से बड़ी है. नेता भी कई हैं, लेकिन नेतृत्व करने वाले नेताओं की भारी कमी है. झारखंड में बीजेपी के पास बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, अर्जुन मुंडा, चंपई सोरेन और मधु कोड़ा जैसे 5-5 पूर्व मुख्यमंत्री हैं. इतने सारे पूर्व मुख्यमंत्रियों के वजन के बाद भी बीजेपी हेमंत सोरेन पर भारी नहीं पड़ पा रही है. इसका कारण है पार्टी के अंदर मतभेद, मनमुटाव और गुटबाजी. लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने मिलकर प्रदेश के बड़े लीडरों के बीच के मतभेद को खत्म करने का प्रयास किया था. सार्वजनिक मंच पर अलग-अलग गुट वाले बीजेपी नेता गले भी मिले थे, लेकिन दिल नहीं मिल पाये और परिणाम ये हुआ की पार्टी विधानसभा का चुनाव हार गई. फिलहाल झारखंड में बीजेपी का पूरा दारोमदार बाबूलाल मरांडी पर है और अब उन्होंने प्रदेश में संगठन को पटरी पर लाने के लिए फिर से अपनी रणनीति के तहत काम शुरू कर दिया है. पार्टी के बड़े नेताओं खास कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने पाले में करने के लिए कोशिशें शुरू की है. बाबूलाल ने दो दिन में दो पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की है.

बाबूलाल मरांडी से सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन मिले थे, वहीं आज ने पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने मुलाकात की. दोनों नेताओं ने फोटो सोशल मीडिया पर डालकर कहा कि बाबूलाल मरांडी से ये मुलाकात औपचारिक थी. इस मुलाकात में राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत हुई, लेकिन पार्टी के सूत्र बताते हैं कि इस मुलाकात के कई मायने हैं. बाबूलाल मरांडी इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को एक्टिव कर संगठन में बड़ी जिम्मेवारी देने वाले हैं. चंपई सोरेन और मधु कोड़ा आदिवासी चेहरा हैं और कोल्हान प्रमंडल में आदिवासी वोटबैंक को साधने के लिए बीजेपी इन दोनों के चेहरे पर बड़ा दांव खेल सकती है. चंपई सोरेन तो एक्टिव हैं ही. लगातार घुसपैठ और धर्मांतरण को लेकर मुखर हैं, लेकिन मधु कोड़ा संगठन में बहुत ज्यादा एक्टिव नहीं हैं. पत्नी गीता कोड़ा के साथ बैकडोर से बीजेपी में इंट्री करने के बाद कुछ दिन कोड़ा एक्टिव रहे थे, लेकिन फिर शांत हो गये. पार्टी सूत्रों के मुताबिक कोल्हान की राजनीति से बाहर निकालकर प्रदेश स्तर पर बड़ी जिम्मेवारी दी जाने की तैयारी है.

वैसे तो बाबूलाल मरांडी जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये थे उसके बाद भी उन्होंने पार्टी के पुराने नेताओं और मुख्यमंत्रियों के साथ पुराने गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की थी. इसी कड़ी में उन्होंने पूर्व सीएम रघुवर दास और अर्जुन मुंडा से मुलाकात की थी. इन नेताओं के साथ बाबूलाल मरांडी के हाथ मिलाते, गले लगते फोटो वायरल हुए थे. तब उम्मीद जताई जा रही थी कि बाबूलाल के नेतृत्व और मुंडा-रघुवर के मार्गदर्शन में पार्टी मजबूत होगी और कार्यकर्ता एकजुट होंगे, लेकिन फिर इन तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की राहें जुदा हो गई. अब बाबूलाल मरांडी ने फिर से इसकी शुरुआत की है. चंपई और कोड़ा से तो मुलाकात हो गई. तो अब क्या मुलाकात की अगली बारी अर्जुन मुंडा और रघुवर दास से है?

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