पेरिस AI समिट में उभरा मतभेद, अमेरिका ने AI के 'अत्यधिक विनियमन' का किया विरोध, मोदी बोले- हमें प्रोद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण करना चाहिए

समिट में जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां दुनिया को एआई के फायदे बताये और एआई के लोकतंत्रीकरण की वकालत की, वहीं अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने तेजी से बढ़ते एआई उद्योग के अधिक विनियमन का विरोध किया है.

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AI Summit: पेरिस में चल रहे एआई शिखर सम्मेलन में मतभेद उभरकर सामने आ चुका है. भारत समेत 100 देश इस एआई यानी आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस एक्शन समिट में हिस्सा ले रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां दुनिया को एआई के फायदे बताये और एआई के लोकतंत्रीकरण की वकालत की, वहीं अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि तेजी से बढ़ते एआई उद्योग के अधिक विनियमन के खिलाफ आवाज उठाई जायेगी. उन्होंने कहा कि इससे इस परिवर्तनकारी उद्योग के खत्म होने की आशंका है. वेंस ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका में विकसित एआई प्रणालियां वैचारिक पूर्वाग्रह से मुक्त हों. अमेरिका एआई से अपने नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को कभी प्रतिबंधित नहीं होने देगा. अमेरिका की ओर से जताए गए विरोध के बाद शिखर सम्मेलन में मतभेद खुले तौर पर सामने आ गए हैं.


उधर भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एआई समिट में कहा है कि सभी देशों को मिलकर प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण करना चाहिए और लोगों पर केंद्रित एप्लीकेशन बनाने चाहिए. सभी को साइबर सुरक्षा, गलत सूचना और डीपफेक की चिंताओं से दूर रहना चाहिए. मोदी ने AI के चलते लोगो में नौकरी जाने के डर की भी बात की. कहा कि लोगों में AI की वजह से नौकरी जाने का एक सबसे बड़ा डर बैठ गया है. नौकरियों का नुकसान AI की सबसे खतरनाक रुकावट है. लेकिन हमें इतिहास में दिखाया गया है कि प्रौद्योगिकी के चलते नौकरी कभी खत्म नहीं हुई हैं. इससे सिर्फ काम करने की प्रकृति बदली है. मोदी ने यह भी कहा कि भारत अपनी विविधता को ध्यान में रखते हुए अपना खुद का बड़ा भाषा मॉडल बना रहा है. हमारे पास कंप्यूटिंग पावर जैसे संसाधनों को पूल करने के लिए एक अनूठा सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल भी है. इसे हमारे स्टार्टअप और शोधकर्ताओं को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराया गया है. भारत अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए तैयार है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एआई का भविष्य अच्छा और सभी के लिए हो. 


मोदी ने एआई समिट में ओपन सोर्स सिस्टम विकसित करने की भी वकालत की. कहा कि इससे विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा. इसके लिए हमें पक्षपात रहित गुणवत्तापूर्ण डेटा सेंटर बनाने चाहिए. मोदी ने कहा कि हमें साइबर सुरक्षा, गलत सूचना और डीपफेक से संबंधित चिंताओं को दूर करना चाहिए. मोदी ने लोगों को एआई स्किल डेवलप करने पर जोर दिया और एआई के व्यापक प्रभाव का जिक्र किया. कहा कि शासन का मतलब सभी के लिए पहुंच सुनिश्चित करना भी है, खास तौर पर ग्लोबल साउथ में. यह वह जगह है जहां क्षमताओं की सबसे ज्यादा कमी है, चाहे वह शक्ति हो, प्रतिभा हो या वित्तीय संसाधनों के लिए डेटा. एआई स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और बहुत कुछ बेहतर करके लाखों लोगों के जीवन को बदलने में मदद कर सकता है. यह एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद कर सकता है, जिसमें सतत विकास लक्ष्यों की यात्रा आसान और तेज हो जाए. ऐसा करने के लिए हमें संसाधनों और प्रतिभाओं को एक साथ लाना होगा. हमें ओपन-सोर्स सिस्टम विकसित करना होगा जो विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ाए. हमें पूर्वाग्रहों से मुक्त गुणवत्तापूर्ण डेटा सेट बनाना होगा.

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