दीदी गोगो योजना से रहें सावधान... बीजेपी-जेएमएम की तकरार के बीच गिरिडीह जिला प्रशासन ने निकाली चिट्ठी
- Posted on October 7, 2024
- राजनीति
- By Bawal News
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दीदी गोगो योजना को लेकर झारखंड में बीजेपी की ओर से फार्म भरवाने को लेकर पक्ष-विपक्ष में तकरार शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसपर संज्ञान लेते हुए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है. वहीं बीजेपी मुख्यमंत्री को नसीहत दे रही है कि वे उनकी पार्टी के कार्यक्रमों में हस्तक्षेप न करें.
रांची : विधानसभा चुनाव से पहले हेमंत सरकार ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना शुरू कर बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है. अब मंईयां सम्मान योजना को टक्कर देने के लिए बीजेपी दीदी गोगो योजना का लॉलीपॉप लेकर आई है. बीजेपी ने वादा किया है कि राज्य में उसकी सरकार आने पर दीदी गोगो योजना लागू कर महिलाओं को 2100 रुपये महीना दिया जाएगा. बीजेपी ने अभी से ही योजना का फॉर्म भरवाना शुरू कर दिया है. इसे लेकर झामुमो ने बीजेपी के साथ-साथ केंद्रीय चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसे चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन बताते हुए सभी जिलों के डीसी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उधर असम से सीएम और झारखंड में बीजेपी के विधानसभा सह प्रभारी हेमंता बिस्वा सरमा और बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बीजेपी के सांगठनिक कार्यक्रमों में सरकार का हस्तक्षेप अवैध है. इस बीच गिरिडीह जिला प्रशासन की ओर से एक चिट्ठी निकाली गई है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह की कोई योजना नहीं चल रही है. लोग भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहें.
नियमों की धज्जियां उड़ रही और कमीशन सो रहा : झामुमो
सोमवार को झामुमो ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि 'भाजपा लगातार @ECISVEEP के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है और कमीशन सो रही है. आखिर बीजेपी को नियम तोड़ने की विशेष छूट है क्या'. चुनाव आयोग कहता है कि किसी भी तरह का फॉर्म नहीं भरवाया जा सकता है पर बीजेपी के नेता, दलबदलू लगातार इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं और 'केंद्रीय चुनाव आयोग' शांत है. मुख्यमंत्री संज्ञान लें अन्यथा इंडी गठबंधन भी अब ऐसे हथकंडे अपनाएगी.’’
इलेक्शन कमीशन के नियमों का सख्ती से हो पालन- सीएम
झामुमो के ट्विट पर रिट्विट करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के सभी उपायुक्त संज्ञान लें एवं सुनिश्चित करें की @ECISVEEP के सभी नियमों का सख्ती से पालन हो. झारखंड में किसी को केंद्रीय चुनाव आयोग के नियमों को तोड़ने की आज़ादी नहीं है। सभी उपायुक्त दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें एवं सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम करते हुए सूचना दें.
हमारी गतिविधियों में हस्तक्षेप न करें सीएम : हेमंता
असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने हेमंत सोरेन के ट्विट पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभाव में आती है. अधिसूचना जारी होने तक, प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है. जब तक हम किसी नियम या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, हमारी गतिविधियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अवैध माना जाएगा.
दीदी गोगो योजना से डर गई है सरकार : बाबूलाल
हेमंत सोरेन के ट्विट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि गोगो दीदी योजना से झामुमो-कांग्रेस-राजद जबरदस्त डर गई है. अपने तुगलकी फरमानों से अधिकारियों पर दबाव बनाकर इस योजना के बारे में महिलाओं को जन जागृत करने के उद्देश्य से उतरी बीजेपी के कार्यकर्ताओं को डराने का प्रयास कर रही है, लेकिन इससे न बीजेपी के कार्यकर्ता डरेंगे, न सरकार बनने के बाद महिलाओं को इस योजना का लाभ देने से कोई कुंठित मानसिकता रोक पाएगा. उन्होंने अधिकारियों को चेताते हुए यह भी कहा कि झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे कुछ अधिकारी भी अपनी कार्यशैली में सुधार लाएं, ध्यान रहे "समय बदलेगा, परिस्थितिया बदलेंगे"
चुनाव आयोग के प्रेस नोट में क्या है
2 मई 2024 को जारी प्रेस नोट के जरिए चुनाव आयोग ने कहा था कि 'राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अपनी प्रस्तावित लाभार्थी योजना के लिए विभिन्न सर्वेक्षणों की आड़ में मतदाताओं के विवरण मांगने को गंभीरता से लिया है. इसे लोक अधिनियम, 1951 की धारा 123 (1) के तहत रिश्वतखोरी का भ्रष्ट आचरण माना है. इसमें उल्लेख किया गया है कि कुछ राजनीतिक दल और उम्मीदवार ऐसी गतिविधियों में लगे हुए हैं जो वैध सर्वेक्षणों और चुनाव के बाद लाभार्थी उन्मुख योजनाओं के लिए व्यक्तियों को पंजीकृत करने के पक्षपातपूर्ण प्रयासों के बीच की रेखाओं को धुंधला करते हैं'. आयोग ने वर्तमान आम चुनाव 2024 में कुछ उदाहरणों पर ध्यान देते हुए, सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को एक सलाह जारी किया था कि वे किसी भी गतिविधि को तुरंत बंद कर दें और उससे दूर रहें, जिसमें किसी भी विज्ञापन और सर्वेक्षण के माध्यम से चुनाव के बाद लाभार्थी उन्मुख योजनाओं के लिए व्यक्तियों का पंजीकरण शामिल हो.
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