झारखंड में नक्सल खात्मे का काउंटडाउन शुरू, तीन महीने में सरेंडर या इनकाउंटर

झारखंड के सिर्फ 5 जिलों में नक्सलियों का प्रभाव है. 19 जिलों से नक्सलियों के पैर उखड़ चुके हैं. राज्य में अब नक्सलवाद के संपूर्ण सफाये के काउंटडाउन शुरू हो गया है. नक्सलियों को सरेंडर करना होगा, नहीं करेंगे तो मारे जाएंगे.

8 FEB 2020-1 (20)-iJeEfookr0.jpg

रांची : मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से प्रतिबंधित भाकपा माओवादियों को जड़ से उखाड़ फेंकने का डेडलाइन तय किया है. आज बात झारखंड में नक्सलवाद की करते हैं. नक्सलियों को उखाड़ने का डेडलाइन तो तय हो गया, लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि झारखंड में नक्सलियों की अभी कितनी औकात है. उनकी संख्या कितनी है और कितने जिलों में प्रभाव है. तय डेडलाइन में इनका सफाया हो पाएगा या नहीं वैसे तो झारखंड में पिछले एक दशक में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है. राज्य के 19 जिले नक्सलियों के साये से मुक्त हो चुके हैं. लेकिन 5 जिलों में अभी भी आतंक मचा रहे हैं. फिलहाल गिरिडीह गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम जिला ही नक्सल प्रभावित रह गये है. आपको बता दें कि देश के पांच राज्यों के 12 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की श्रेणी में झारखंड का एक जिला पश्चिमी सिंहभूम भी शामिल है. नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सली बीच-बीच में हत्या-आगजनी और लेवी वसूली जैसी घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस-प्रशासन को चुनौती देते रहते हैं. 

कई छोटे-बड़े प्रतिबंधित संगठन सक्रिय

दरअसल झारखंड में सिर्फ एक ही नक्सली संगठन नहीं हैं, कई छोटे-छोटे प्रतिबंधित नक्सली संगठन यहां सक्रिय हैं, जो पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं. अब पुलिस ने इन 5 जिलों को भी नक्सलवाद से साये से मुक्त करने के लिए विशेष रणनीति बनाकर कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस उन जिलों में भी विशेष ध्यान दे रही है जहां बड़ी मुश्किल से नक्सलियों को उखाड़ फेंका गया थी या फिर नक्सलियों को कमजोर किया गया था. गिरिडीह, गुमला, लातेहार और लोहरदगा जिला में नक्सलियों की गतिविधियां कम हुई है, जबकि सरायकेला-खरसावां, चतरा, खूंटी, बोकारो, रांची और गढ़वा जिले से नक्सली गायब हो चुके हैं. इन जिलों में नक्सलियों को दोबारा पैर जमाने का मौका न मिले इसके लिए पुलिस लगातार सक्रिय है.

खुफिया एजेंसियों से मिली है कई जानकारी

झारखंड पुलिस को हाल में ही खुफिया एजेंसियों से इनपुट मिली थी कि नक्सलियों की मुख्य टीम पोलित ब्यूरो मेंबर मिसिर बेसरा के नेतृत्व में काम कर रही है. उसके साथ 40-45 नक्सली है. मिसिर बेसरा के साथ सेंट्रल कमेटी के नक्सली अनल व असीम मंडल के अलावा बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी मेंबर सुशांत सहित अन्य नक्सली भी हैं. ये पश्चिमी सिंहभूम के बाबूडेरा में कैंप कर रहे हैं. इसके अलावा 15-17 नक्सलियों का एक ग्रुप शीर्ष नक्सली अजय महतो, अमित हांसदा और अपटन के नेतृत्व में काम कर रहा है. ये पश्चिमी सिंहभूम के जंगली इलाके में स्थित रूटागुंटू में कैंप कर रहे हैं. वहीं सेंट्रल कमेटी के नक्सली विवेक के नेतृत्व में नक्सली कमांडर अनुज, रघुनाथ और चंचल के अलावा अन्य नक्सली काम कर रहे हैं. ये बोकारो जिला के झुमरा इलाके में कैंप कर रहे हैं. झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने हाल ही में ऐलान किया है कि अगले तीन महीनों में झारखंड से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. 

5 साल में 50 से अधिक नक्सलियों का इनकाउंटर

नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पिछले पांच सालों के दौरान झारखंड पुलिस ने कई कामयाबी हासिल की है. प्रशांत बोस जैसे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी और महाराज जैसे दर्जन पर इनामी कमांडर्स ने सरेंडर किया. 52 से अधिक नक्सलियों की इनकाउंटर में मौत ने नक्सलियों को कड़ी चोट पड़ी. साल 2024 नक्सलवाद के मुद्दे पर झारखंड पुलिस के लिए बेहद कामयाबी भरा रहा. पूरे साल भाकपा माओवादी बैकफुट पर रहा. साल भर में अलग-अलग नक्सली-उग्रवादी संगठनों के 400 से अधिक सद्स्य जेल भेजे गये, जबकि 10 इनकाउंटर में मारे गये. 10 जून 2024 को पुलिस ने सारंडा जंगल में एक साथ छह नक्सलियों को मार गिराया गया था, जिसमें दो इनामी थे. वहीं अक्टूबर महीने में चतरा में पुलिस ने दो नक्सलियों को इनकाउंटर में मार गिराया. नवंबर में भी कुख्यात लम्बू को चाईबासा में मार गिराया गया. नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिहाज से भी साल 2024 झारखंड पुलिस के लिए कामयाबी भर रहा. चार इनामी नक्सलियों समेत 12 नक्सलियों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए, वहीं अलग-अलग इलाकों से कुल 345 उग्रवादी-नक्सली गिरफ्तार किए गए.


अब नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई

झारखंड में फिलहाल 10 फीसदी नक्सली बचे हुए हैं. उन्हें भी खत्म करने के लिए अब निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. फिलहाल झारखंड में इनामी नक्सलियों की संख्या 73 बची है. इनामी नक्सलियों की लिस्ट में चार नये नक्सली इसारइल पूर्ति, मिना, डांगर तीयू और सोनाराम को शामिल किया गया है. पुलिस के ताबड़तोड़ अभियान से नक्सलियों की जमीन खिसकती जा रही है. उन्हें अब न लोकल सपोर्ट मिल रहा है और ना ही बाहरी मदद. पुलिस के द्वारा की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई की वजह से झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को अब उनके प्रभाव वाले इलाकों में ही बिखरने पर मजबूर कर दिया है. 

3
Author
No Image
Content creator
Bawal News

Someone who likes to write and teach

You May Also Like

Write a Response