उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार को उस समय राजनीतिक टकराव का केंद्र बन गया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोडीन युक्त कफ सिरप के मुद्दे पर विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी पर सीधा हमला बोला. कफ सिरप की खपत, सप्लाई और मौतों पर सवाल उठाने वाले विपक्ष को जवाब देते हुए सीएम ने कहा कि यूपी में कोडीन सिरप के कारण एक भी मौत दर्ज नहीं हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में बने सिरप से मौतें अन्य राज्यों में हुईं और यूपी में पकड़े गए बड़े होलसेलर वही हैं जिन्हें सपा शासन में लाइसेंस मिला था.
सीएम ने एसटीएफ द्वारा धरे गए एक आरोपी की तस्वीर उपमुख्यमंत्री के साथ दिखाने पर सपा के आरोपों को “चोर की दाढ़ी में तिनका” करार दिया और कहा कि सपा विधायकों को झूठ बुलवाया जा रहा है. सीएम ने दावा किया कि यूपी में न तो कोडीन आधारित सिरप बनता है और न ही उत्पादन की कोई इकाई है—यहां केवल स्टॉकिस्ट और होलसेलर हैं.
'देश में दो नमूने' और ‘बबुआ’ वाला तंज
विधानसभा बहस के दौरान सीएम योगी ने सपा और आप नेताओं की तुलना करते हुए कहा कि देश में दो “नमूने” हैं—एक दिल्ली में और दूसरा यूपी में बैठा है. उन्होंने बिना नाम लिए अखिलेश यादव पर कटाक्ष किया कि जैसे दिल्ली में किसी बड़े मुद्दे पर चर्चा उठती है और नेता विदेश भाग जाते हैं, वैसे ही “बबुआ” भी जल्द इंग्लैंड घूमने निकल जाएंगे. योगी ने सत्र में कहा कि देश जब गंभीर मुद्दों पर विचार करता है, तो कुछ नेता देश से बाहर निकल लेते हैं और विपक्ष केवल शोर मचाता रहता है. इस बयान के बाद सदन में हंगामा मच गया और सपा विधायकों ने वॉकआउट कर दिया. नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने आपत्ति जताई कि मुख्यमंत्री सदन में ऐसी भाषा क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि सीएम ने किसी का नाम नहीं लिया.
अखिलेश यादव की पलटवार प्रतिक्रिया: “आत्म-स्वीकृति!”
योगी के बयान के लगभग 10 मिनट बाद ही सपा प्रमुख और कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करके करारा पलटवार किया. उन्होंने लिखा—“आत्म-स्वीकृति! किसी को उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली-लखनऊ की लड़ाई यहां तक पहुंच जाएगी. संवैधानिक पदों पर बैठे लोग कम-से-कम इतने तो रहें कि मर्यादा न टूटे. भाजपाई अपनी पार्टी के अंदर की खींचातानी को चौराहे पर न लाएं, कहीं कोई बुरा मान गया तो वापस जाना पड़ जाएगा.”
अखिलेश ने योगी पर “लोक-लाज” तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद संवैधानिक जिम्मेदारियों की गरिमा का पालन होना चाहिए. उन्होंने संकेत दिया कि भाजपा के भीतर ही दिल्ली बनाम लखनऊ खींचतान चल रही है, जिसे सीएम सदन में उछाल रहे हैं.
नमूना बयान बना यूपी की नई सियासी बहस का जरिया
अब “दो नमूने”, “बबुआ”, “इंग्लैंड यात्रा” और “आत्म-स्वीकृति” जैसे व्यंग्य यूपी की सियासत में नया रंग भर रहे हैं. कफ सिरप का तकनीकी मुद्दा राजनीतिक तंज, गठबंधन की खींचातानी, सदन की भाषा और राजनीतिक गरिमा पर बड़े विमर्श में बदल चुका है. विधानसभा का यह टकराव बताता है कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य नीति का सवाल अब महज एडमिनिस्ट्रेशन नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है.



