बीजेपी में चंपई का बढ़ता कद कर रहा परेशान!... जमशेदपुर में टिमटिमा रहे दो ‘स्टार’, 45 किलोमीटर का सफर तय करने में और कितने दिन?
- Posted on November 1, 2025
- झारखंड
- By Bawal News
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घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के लिए सभी पार्टियों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है. बीजेपी-जेएमएम-जेएलकेएम समेत तमाम दलों के स्टार प्रचारकों का धुंआधार दौरा शुरू हो गया है. बीजेपी और जेएमएम ने 40-40 स्टार प्रचारक उपचुनाव में उतारे हैं. इंडिया गठबंधन के वैसे स्टार प्रचारक जो कोल्हान प्रमंडल से हैं वे लगातार घाटशिला में कैंप कर रहे हैं. एनडीए गठबंधन के भी कई नेता वहां कैंप कर रहे हैं. अब चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ 8 दिन और बचे हैं. बचे हुए स्टार प्रचारक भी अपने-अपने कैंडिडेट के लिए वोट मांगने पहुंचेंगे. इस चुनाव प्रचार के बीच एक बात जो गौर करने वाली है, वो ये है कि कोल्हान प्रमंडल से बीजेपी के दो बड़े चेहरे अबतक उपचुनाव के प्रचार में कहीं नजर नहीं आये हैं. बीजेपी के स्टार प्रचारक भानु प्रताप शाही पलामू, आदित्य साहू रांची, नीलकंठ सिंह मुंडा खूंटी से जाकर घाटशिला में कैंप कर रहे हैं, लेकिन घाटशिला से सिर्फ 45 किलोमीटर दूर जमशेदपुर में रहने वाले पूर्व सीएम रघुवर दास और अर्जुन मुंडा अबतक वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने नहीं पहुंचे हैं.
रघुवर दास और अर्जुन मुंडा बिहार विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचाकर बनाये नहीं गये हैं. झारखंड से सिर्फ बाबूलाल मरांडी को वहां स्टार प्रचारक बनाया गया है. ऐसे में रघुवर और मुंडा के पास बिहार चुनाव की भी जिम्मेदारी नहीं है. प्रदेश संगठन में भी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है. दोनों नेताओं का स्वास्थ्य भी ठीक है. रांची, पलामू से दिल्ली तक के दौरे कर रहे हैं. बस घाटशिला नहीं जा रहे हैं. दोनों के सोशल मीडिया प्रोफाइल पर बिहार विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह की रैलियों की तस्वीरें और भाषण खूब शेयर हो रही है, लेकिन घाटशिला विधानसभा उपचुनाव से संबंधित कोई पोस्ट नजर नहीं आ रहा है. घाटशिला में हुए बीजेपी के किसी कार्यक्रम की तस्वीर और वीडियो भी इन्होंने रिपोस्ट या शेयर नहीं हुआ है. घाटशिला उपचुनाव पर कहीं कोई बयान नहीं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि इतने नजदीक रहने के बावजूद दोनों नेता आखिर क्यों उपचुनाव में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.
चुनाव प्रबंधन में जुटे बीजेपी नेताओं का कहना है कि अभी तो प्रचार के लिए दिन बचे हुए हैं. जल्द ही उनका भी दौरा होगा, लेकिन दौरा कब होगा इसकी कोई रूपरेखा अबतक बनी नहीं है. वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि संगठन और कोल्हान में चंपई सोरेन के बढ़ते कद के कारण अर्जुन मुंडा और रघुवर दास नाराज हैं और इसी नाराजगी के कारण दोनों ने घाटशिला से दूरी बना ली है. बात सिर्फ घाटशिला उपचुनाव और चंपई सोरेन के दबदबे की ही नहीं है. कारण और भी कई हैं. लोकसभा चुनाव में खूंटी से हारने के बाद अर्जुन मुंडा और ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफे के बाद रघुवर दास को एक तरह से हाशिये पर डाल दिया गया है. बाबूलाल मरांडी एक साथ प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. संगठन में सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी आलाकमान रघुवर और मुंडा में पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं देख रही है. आखिर क्यों दोनों को हाशिये पर डाल दिया गया है. कभी झारखंड में बीजेपी का बड़ा चेहरा रहे अर्जुन मुंडा और रघुवर दास को बिहार विधानसभा चुनाव से भी दूर कर दिया गया. सवाल तो यह भी उठ रहा है कि क्या यह दोनों नेता अपमान का घूंट पीकर बीजेपी के साथ बने रहेंगे या फिर कुछ नया सोचेंगे?
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