हार के बाद बैक बेंचर बने बीजेपी के फ्रंटफुट वाले नेता, समीक्षा बैठक में मुंह छिपाते नजर आये

जो विधायक पार्टी की हर बैठकों में आगे बैठे नजर आते थे. विधानसभा में भी वरीयता के आधार पर जिन्हें आगे की कुर्सी मिली थी. वह सभी पूर्व हो चुके विधायक मुंह छिपाकर पीछे बैठे नजर आये.

Untitled-i6IX4rIjjV.jpg

रांची : विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बीजेपी के हारे हुए नेता मुंह छिपाते नजर आ रहे हैं. जो विधायक विधानसभा चुनाव के पहले तक फ्रंटफुट पर नजर आते थे वे आज बैक बेंचर बन गये हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी की मौजूदगी में शनिवार को रांची के प्रदेश मुख्यालय में चुनाव में हार के लिए समीक्षा बैठक बुलाई गई. दो दिवसीय बैठक के पहले दिन चुनाव में हारे हुए सभी प्रत्याशियों को तलब किया गया. सभी हारे हुए नेता आकर मीटिंग हॉल में कुर्सियां पकड़कर बैठ गये, लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले तक जो विधायक पार्टी का मजबूत और बड़ा चेहरा माने जाते थे. जो विधायक पार्टी की हर बैठकों में आगे बैठे नजर आते थे. विधानसभा में भी वरीयता के आधार पर जिन्हें आगे की कुर्सी मिली थी. वह सभी पूर्व हो चुके विधायक मुंह छिपाकर पीछे बैठे नजर आये. बीजेपी विधायक दल के नेता रहे अमर बाउरी, पार्टी के सचेतक रहे बिरंची नारायण हों या फिर भानू प्रताप शाही सभी सीनियर्स मुंह लटका कर पीछे बैठे थे. गिरिडीह के पूर्व सांसद और बेरमो विधानसभा से चुनाव हारे रवींद्र पांडेय और दुमका के चुनाव हारे सुनील सोरेन भी पीछे की कुर्सी पकड़कर बैठे थे. 


नये प्रत्याशी भी चेहरे पर ओढ़कर आये थे उदासी का चादर


चुनाव में हार के बाद सभी सीनियर नेता पार्टी नेतृत्व से नजरें चुरा रहे थे. चुनाव में पहली या दूसरी बार प्रत्याशी बनाये गये हारे हुए नेता भी अपने चेहरे पर उदासी की चादर ओढ़कर आये थे. बैठक में पोटका से चुनाव हारीं मीरा मुंडा, निरसा से हारीं अपर्णा सेनगुप्ता, चाईबासा से चुनाव हारीं गीता कोड़ा, मधुपुर से हारे गंगा नारायण सिंह, मांडर से हारे सन्नी टोप्पो, खूंटी से हारे नीलकंठ सिंह मुंडा, बोरियो से हारे लोबिन हेंब्रम, घाटशिला से हारे बाबूलाल सोरन समेत कई हारे हुए प्रत्याशी आये थे. सबसे पार्टी नेतृत्व को अपनी-अपनी हार की वजह बताई. कई प्रत्याशियों ने तो संगठन की खामियों को भी उजागर किया.


हार के बहाने भी लेकर पहुंचे थे नेता


बैठक में पहुंचे तमाम हारे हुए नेता अपनी हार के लिए कोई न कोई बहाना लेकर पहुंचे थे. कोई अपनी हार के लिए सरकार की योजना को दोष दे रहे थे, कोई जयराम पर अपनी हार ठिकरा फोड़ रहे थे, तो कई चुनाव आयोग, कोई प्रशासन तो कोई वोटर्स को कोस रहा था. खिजरी के प्रत्याशी रामकुमार पाहन ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले मंईयां सम्मान योजना, बिजली बिल माफी जैसी योजनाएं लाकर सरकार ने जनता को गुमराह कर वोट हासिल किया. मधुपुर से प्रत्याशी रहे गंगा नारायण सिंह ने कहा कि मधुपुर में जेएमएम ने चुनाव से पहले पैसे बांटकर वोट को प्रभावित किया. बेरमो से चुनाव हारे रवींद्र पांडेय ने कहा कि जयराम के चुनाव में आने से वे हार गये. 

5
Author
No Image
Content creator
Bawal News

Someone who likes to write and teach

You May Also Like

Write a Response