भाजपा ने झारखंड सरकार की योजना पर उठाए सवाल, चयन प्रक्रिया को बताया अनुचित
- Posted on March 8, 2025
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- By Bawal News
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रांची: झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई "मिशन यूपीएससी" योजना को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. भाजपा ने इस योजना की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे अव्यवहारिक और अनुचित बताया है. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने एक प्रेस वार्ता में इस योजना को लेकर कड़ी आलोचना की और इसे आदिवासी छात्रों के साथ क्रूर मज़ाक करार दिया. झारखंड सरकार ने इस योजना के तहत राज्य के 100 आदिवासी छात्रों को दिल्ली में यूपीएससी की कोचिंग के लिए 80,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. सरकार का उद्देश्य आदिवासी छात्रों को सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी में सहयोग देना है, लेकिन चयन प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. चयन प्रक्रिया पर उठे सवाल भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने इस योजना की चयन प्रक्रिया को अव्यवहारिक बताया और कहा कि यह उन छात्रों की अनदेखी कर रही है, जिन्हें वास्तव में सहायता की जरूरत है.
चयन प्रक्रिया के अनुसार:
• सबसे पहले वे छात्र लाभान्वित होंगे, जिन्होंने यूपीएससी का साक्षात्कार दिया है.
• इसके बाद यूपीएससी प्रीलिम्स पास करने वाले छात्रों को चुना जाएगा.
• तीसरे स्थान पर जेपीएससी साक्षात्कार में शामिल हुए छात्र होंगे.
• चौथे और अंतिम स्थान पर जेपीएससी प्रीलिम्स पास करने वाले छात्रों को रखा गया है.
भाजपा का तर्क
अजय साह ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जो छात्र पहले ही यूपीएससी प्रीलिम्स और मेंस जैसी कठिन परीक्षाएं पास कर चुके हैं, उन्हें कोचिंग के लिए आर्थिक सहायता देने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने इसे पीएचडी धारकों को स्कूली छात्रवृत्ति देने जैसा बताया. उनका मानना है कि यह योजना उन छात्रों की अनदेखी कर रही है, जो वास्तव में आर्थिक सहायता से अपनी तैयारी को मजबूत कर सकते थे.
अन्य राज्यों का उदाहरण
भाजपा प्रवक्ता ने महाराष्ट्र और गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि इन राज्यों में ऐसी योजनाओं के तहत छात्रों की मेरिट लिस्ट प्रतियोगिता के आधार पर तैयार की जाती है, जिससे योग्य और जरूरतमंद छात्रों को लाभ मिल सके. गुजरात सरकार ने खुद की कोचिंग व्यवस्था स्थापित की है, जिससे छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है.
सरकार से पुनर्विचार की अपील
भाजपा ने झारखंड सरकार से आग्रह किया है कि "मिशन यूपीएससी" के लाभार्थियों की सूची को खुली प्रतियोगिता या ग्रेजुएशन अंकों के आधार पर तैयार किया जाए. इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि योजना का लाभ उन आदिवासी छात्रों तक पहुंचे, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है. अब देखना यह होगा कि झारखंड सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या इस योजना की चयन प्रक्रिया में कोई बदलाव किया जाता है या नहीं.
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