UPSC के पैनल में थे ही नहीं अनुराग गुप्ता, सरकार ने बना दिया डीजीपी, SC ने CS, DGP से 15 दिन में मांगा जवाब

दिलचस्प बात यह है कि अनुराग गुप्ता तो यूपीएससी के पैनल में हैं ही नहीं. इससे पहले भी इस सरकार में नियुक्त किये गये डीजीपी की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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रांची : रघुवर सरकार के कार्यकाल में एक डीजीपी डीके पांडेय साढ़े चार साल तक पद पर बने रहे, लेकिन हेमंत सरकार ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में 5 डीजीपी बदल दिये.  कभी यूपीएससी के पुराने पैनल तो कभी बिना पैनल की अनुशंसा के डीजीपी बनाये गये. राज्य सरकार ने अनुराग गुप्ता को हाल ही में झारखंड का नया डीजीपी बनाया है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अनुराग गुप्ता तो यूपीएससी के पैनल में हैं ही नहीं. अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी से 15 दिन में जवाब मांगा है. वहीं इससे पहले भी इस सरकार में नियुक्त किये गये डीजीपी की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हेमंत सरकार ने सत्ता में आते ही केएन चौबे को हटाकर एमवी राव को एक्टिंग डीजीपी बनाया था. 11 महीने बाद उन्हें हटाकर नीरज सिन्हा को डीजीपी बनाया गया था. इसे लेकर राकेश कुमार ने कंटेंप्ट फाइल किया था. उनका कहना था कि यूपीएससी के फ़्रेश पैनल के मुताबिक़ डीजीपी की नियुक्ति होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुराने पैनल में भी नीरज सिन्हा तीसरे नंबर की वरीयता में थे. ऐसे में उन्हें डीजीपी बनाना नियम के विरूद्ध था.

 

अजय सिंह को हटाकर अनुराग गुप्ता को बनाया गया था डीजीपी

 

16 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी को फ्रेश पैनल बनाने का आदेश दिया. इसके बाद फ़्रेश पैनल बनाया गया. इस पैनल में अजय कुमार सिंह, अजय भटनागर और अनिल पाल्टा थे. इसी पैनल के आधार पर 16 फरवरी 2023 को अजय कुमार सिंह को डीजीपी बनाया गया. फिर पिछले महीने उन्हें भी हटा दिया गया और अनुराग गुप्ता को एक्टिंग डीजीपी बनाया गया. इस नियुक्ति के लिए फ्रेश पैनल नहीं बना और न ही पिछले पैनल की वरीयता के मुताबिक़ नियुक्ति की गई.

 

याचिका में क्या है

 

याचिका में दावा किया गया है कि अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाए जाने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय अनिवार्य दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दलील दी गई है कि डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति अस्थायी तौर पर की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी राज्य में डीजीपी की नियुक्ति कम से कम 2 साल के लिए होती है. डीजीपी को हटाने की प्रक्रिया तभी शुरू होती है, जब सेवा नियमों का उल्लंघन हो या किसी आपराधिक मामले में कोर्ट का फैसला हो, भ्रष्टाचार साबित हो या डीजीपी अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हों, तब उन्हें हटाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार झारखंड सरकार ने प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति की है, जो फैसले के अनुरूप नहीं है.

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