झारखंड विधानसभा में 24 साल बाद बने 3 नये रिकॉर्ड, जानिये क्या...

स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने लगातार दूसरी बार झारखंड विधानसभा का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड बनाया है, वहीं हेमंत सोरेन ने चार बार मुख्यमंत्री और लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया है.

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रांची : झारखंड विधानसभा में 24 साल बाद 3 नये रिकॉर्ड दर्ज हुए हैं. रिकॉर्ड नंबर 1 (हेमंत सोरेन झारखंड में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता बने), रिकॉर्ड नंबर 2 – (हेमंत सोरेन ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया, रिकॉर्ड नंबर 3- (नाला विधायक रवींद्रनाथ महतो लगातार दूसरी बार विधानसभा के अध्यक्ष बने) रवींद्रनाथ महतो और हेमंत सोरेन पांचवीं और छठी विधानसभा में लगातार एक कार्यकाल से दूसरे कार्यकाल में स्पीकर और सीएम बने हैं.

 

लगातार दूसरी बार कोई स्पीकर नहीं बना

 

रवींद्रनाथ महतो से पहले 8 विधायक झारखंड के स्पीकर रह चुके हैं. इनमें से सिर्फ इंदर सिंह नामधारी ही तीन बार स्पीकर बन पाये, लेकिन वे कभी लगातार (एक कार्यकाल से दूसरे कार्यकाल) स्पीकर नहीं रहे. पहली विधानसभा में वे दो बार स्पीकर बने, वहीं दूसरी विधानसभा में एक बार स्पीकर रहे. जबकि अन्य 7 स्पीकर दूसरी बार रिपीट नहीं हो सके. रबींद्रनाथ महतो मंगलवार को निर्विरोध झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए. विधानसभा के चार दिवसीय सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पद के लिए महतो के नाम का प्रस्ताव रखा और झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने प्रस्ताव का समर्थन किया.

 

हेमंत ने अपने पिता और अर्जुन मुंडा का रिकॉर्ड तोड़ा

 

वहीं हेमंत सोरेन पांचवीं और छठी विधानसभा में लगातार मुख्यमंत्री बनकर पहुंचे हैं. वैसे तो हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण के साथ पहले ही झारखंड में चार बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बना लिया है. हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन और अर्जुन मुंडा के तीन बार सीएम बनने के रिकॉर्ड को तोड़ा है, साथ ही लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया है. शिबू सोरेन और अर्जुन मुंडा तीन बार सीएम तो बने लेकिन वे भी कभी एक कार्यकाल से दूसरे कार्यकाल में सीएम नहीं बन सके.

 

बेटे का फर्ज निभाया और जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी भी

 

स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने दूसरी बार स्पीकर बनने का रिकॉर्ड बनाया, लेकिन उनके दुख के सामने यह रिकॉर्ड छोटा था. रवींद्रनाथ महतो जिस हालत में विधानसभा में आए थे, देश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा कि कोई विधायक उस भेषभूषा में विधानसभा में आए होंगे. दरअसल सोमवार को रवींद्रनाथ महतो के पिता का निधन हुआ था. पहले उन्होंने पिता को मुखाग्नि देकर अपने बेटे होने का फर्ज निभाया और फिर उसी वेशभूषा में विधानसभा पहुंचकर लोकतंत्र में अपने जनप्रतिनिधि होने की जिम्मेदारी निभाई.

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