नगर निकाय चुनाव का रास्ता साफ, पिछड़ा वर्ग जनगणना के नए आंकड़े जारी, बैलेट पेपर से होंगे चुनाव
- Posted on November 20, 2025
- झारखंड
- By Bawal News
- 15 Views
Jharkhand: झारखंड में नगर निकाय चुनाव कराने की राह लगभग साफ हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नगर विकास विभाग ने बुधवार को पिछड़ा वर्ग जनगणना के नए आंकड़े सार्वजनिक किए. जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में बीसी-1 और बीसी-2 की कुल आबादी 4,35,961 है, जिनमें बीसी-1 की आबादी 2,84,534 और बीसी-2 की आबादी 1,51,427 दर्ज की गई है. इन आंकड़ों के उपलब्ध होने के साथ ही नगर निकाय चुनाव और वार्डों में आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी. विभाग जल्द ही अधिसूचना राज्य निर्वाचन आयोग को भेजेगा, जिसके बाद आयोग 2017 के परिसीमन के आधार पर आरक्षण तय करेगा. इस बार वार्डों का पुनर्गठन नहीं किया जाएगा.
राज्य कैबिनेट पहले ही नगर निकायों में ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट को मंजूरी दे चुका है. नए आंकड़े ओबीसी आरक्षण तय करने का आधार बनेंगे. नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों में मेयर, अध्यक्ष और वार्डों के पदों का आरक्षण संबंधित क्षेत्र में ओबीसी-1 और ओबीसी-2 की जनसंख्या के अनुसार किया जाएगा. 48 शहरी स्थानीय निकायों के लिए ट्रिपल टेस्ट मानकों पर आधारित डेटा संग्रह की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है और रिपोर्ट नगर विकास विभाग को सौंपी जा चुकी है.
झारखंड के 48 नगर निकायों में अब पहली बार ओबीसी-1 और ओबीसी-2 के लिए आरक्षित सीटें तय होंगी. पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुसार कुल आरक्षण सीमा 50% रखी जाएगी, जिसमें एसटी, एससी और ओबीसी वर्गों को शामिल किया जाएगा. लंबे समय से नगर निकाय चुनाव न होने के कारण वर्तमान में निकायों का संचालन अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन नए आंकड़े जारी होने के बाद चुनाव की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ने की उम्मीद है.
बैलेट पेपर से होंगे चुनाव
झारखंड में इस बार नगर निकाय चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे. चुनाव आयोग के पास ईवीएम उपलब्ध न होने और नई मशीनें खरीदने में राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण यह फैसला लिया गया है.
निर्वाचन आयोग अब पुरानी एम-2 ईवीएम का उपयोग नहीं करता और नई एम-3 ईवीएम राज्य सरकारों को उधार पर देने पर रोक लगा दी गई है. झारखंड सरकार ने मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से ईवीएम मांगने की कोशिश की थी, लेकिन मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गईं. आर्थिक मजबूरियों के कारण राज्य सरकार फिलहाल नई ईवीएम खरीदने की स्थिति में भी नहीं है.
इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग ने सैद्धांतिक सहमति बनाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने का निर्णय लिया है. यह फैसला इंडिया गठबंधन के उन दलों की मांग के भी अनुरूप है, जो ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते आए हैं. हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भी ईवीएम को लेकर विवाद सामने आया था.
सभी व्यवस्थाओं को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि झारखंड में नगर निकाय चुनाव जनवरी के बाद ही हो पाएंगे. इसी वजह से राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से तीन महीने का अतिरिक्त समय मांगा है और उम्मीद है कि अगली सुनवाई में यह समय मिल जाएगा.
Write a Response