"NTPC डकैत... पुलिस उसकी लठैत", 13 दिन से धरना पर बैठे हैं अंबा के पापा

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (20)-n8fSeozQem.jpg

Barkagaon: बड़कागांव में एनटीपीसी ने पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव की फायर क्ले फैक्ट्री को जमींदोज कर दिया है. इसके खिलाफ योगेंद्र साव ने स्थानीय रैयतों को गोलबंद कर एनटीपीसी के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है. 1 अगस्त से रैयतों का धरना जारी है. योगेंद्र साव का आरोप है कि बिना उनकी जानकारी के और बिना मुआवजा भुगतान उनकी फैक्ट्री को तोड़ा गया. आंदोलन की वजह से माइंस में खनन काम पिछले कई दिनों से रुका हुआ है. योगेंद्र साव ने कहा कि एनटीपीसी रैयतों के साथ गलत कर रहा है. 2013 के कानून के मुताबिक रैयतों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा. विरोध करने पर रैयतों को डराया धमकाया जा रहा है. कहीं भी विरोध का स्वर उठता है तो पुलिस पहुंच जाती है और रैयतों को धमकाया जाता है. साव ने कहा कि एनटीपीसी को महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त है, लेकिन असल में उसका काम डकैती करना है. साउथ इंडियन्स आकर लूट रहे हैं और पुलिस एनटीपीसी की लठैत बन गई है.

क्या है मामला

चट्टी बारियातु परियोजना के विस्तार को लेकर एनटीपीसी ने अधिग्रहण क्षेत्र झुमरीटांड में बंद पड़े योगेंद्र साव के फ्रैकली ईंट के चिमनी और चारदीवारी को तोड़ दिया था. इसकी सूचना मिलने पर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव अपने बॉडीगार्ड और समर्थकों के साथ मौके पर पहुंच कर हंगामा करने लगे. उन्होंने केडी सीबी कोल परियोजना का ट्रांसपोर्टिंग कार्य को बंद करा दिया. साथ ही एक हाईवा के चालक के साथ मारपीट करते हुए घसीटते हुए उठा कर ले गए. इतना ही नहीं उन्होंने सीबी माइंस में घुस कर एक पोकलेन चालक के साथ मारपीट करते हुए बंधक बना कर झुमरी टांड स्थित अपने घर में कैद कर लिया. पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद किसी तरह इन लोगों को छुड़ाया.

खाता 190, प्लॉट 13 की कहानी

चट्टी बरियातु कोल परियोजना में गैरमजरूआ खास खाता 190, प्लॉट 13 रकबा एक एकड़ जमीन अधिग्रहित है. इसका जमाबंदी राजदीप साव के नाम से कायम है. योगेंद्र साव ने यह जमीन अपने नाम कराया था, लेकिन आज तक जमीन का दाखिल खारिज नही हुआ हैं. इस जमीन पर योगेंद्र साव ने फायर क्ले फैक्ट्री बनाकर कब्जा रखा था. अब यह जमीन सीबी परियोजना के अधिग्रहण क्षेत्र में आ गई. परियोजना के विस्तार के लिए जमीन में बने फैक्ट्री को ध्वस्त किया गया. इसे तोड़ने से पहले बिल्डिंग डिवीजन से मापी करा कर मुआवजा राशि देने के लिए मंत्री को बुलाया गया था, लेकिन परंतु नहीं पहुंचे. इसके बाद एनटीपीसी प्रबंधन ने ट्रिब्यूनल में राशि को जमा करा दिया.

 

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