घाटशिला उपचुनाव: हेमंत सोरेन ने बुलाई JMM की अहम बैठक, चंपाई सोरेन की सियासी ताकत की होगी असली परीक्षा, जयराम महतो पर टिकी नजरें

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (5)-IIKwRBQrBQ.jpg

घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे. यह उपचुनाव पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के कारण हो रहा है. ऐसे में यह सिर्फ एक सीट का चुनाव नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की साख और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की राजनीतिक ताकत की परीक्षा बन गया है.

चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक 15 अक्टूबर को बुलाई है. यह बैठक सुबह 11 बजे हरमू स्थित सोहराई भवन में होगी, जिसमें पार्टी की केंद्रीय समिति के पदाधिकारी, सभी जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष, सचिव और संयोजकों को आमंत्रित किया गया है. बैठक में घाटशिला उपचुनाव के साथ-साथ बिहार विधानसभा चुनाव, पार्टी की सांगठनिक स्थिति, सदस्यता अभियान और हाल ही में हुए 13वें केंद्रीय महाधिवेशन के बाद की रणनीति पर भी चर्चा होगी.

इस उपचुनाव में JMM और बीजेपी आमने-सामने हैं, लेकिन असली मुकाबला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की प्रतिष्ठा का है. चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन के बीजेपी से चुनाव लड़ने की संभावना है, जबकि JMM से रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन के नाम पर लगभग मुहर लग चुकी है. हालांकि, दोनों पार्टियों ने आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा अभी नहीं की है.

2024 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल को रामदास सोरेन से 22,000 से अधिक वोटों से करारी हार झेलनी पड़ी थी. अब एक बार फिर मैदान में उतरने की चर्चा है, लेकिन इस बार उन्हें सहानुभूति लहर को तोड़ने की बड़ी चुनौती होगी.

इस चुनाव में एक और अहम फैक्टर होंगे जयराम महतो. 2024 के चुनाव में उनकी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) को घाटशिला में लगभग 8,000 वोट मिले थे. अब देखना होगा कि क्या जयराम इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार उतारते हैं या नहीं. डुमरी उपचुनाव में उन्होंने JMM का समर्थन किया था, लेकिन इस बार हालात अलग हैं. रामदास सोरेन के बेटे सोमेश को मंत्री नहीं बनाए जाने से समीकरण बदल सकते हैं. इस बीच एनडीए की कोशिश है कि जयराम को अपने खेमे में लाया जाए, जबकि जयराम अब तक उपचुनाव को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. सितंबर में उनका घाटशिला दौरा तय था, लेकिन तबीयत खराब होने के चलते कार्यक्रम रद्द हो गया और फिलहाल उनकी ओर से कोई सक्रियता भी नजर नहीं आ रही.

कुल मिलाकर घाटशिला उपचुनाव राज्य की सियासत में बड़ा संदेश देने वाला चुनाव बन गया है. जहां हेमंत सोरेन की सरकार के प्रदर्शन की परीक्षा होगी, वहीं चंपाई सोरेन के राजनीतिक प्रभाव और जयराम महतो की भूमिका पर भी सबकी नजरें टिकी होंगी.

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