मनमानी और नियमों के खिलाफ काम करते हैं रिम्स निदेशक, स्वास्थ्य विभाग का डॉ राजकुमार पर कई गंभीर आरोप
- Posted on August 17, 2025
- झारखंड
- By Bawal News
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Ranchi: स्वास्थ्य मंत्री और रिम्स निदेशक में तकरार अभी खत्म नहीं हुई है. अब स्वास्थ्य विभाग भी निदेशक के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है. स्वास्थ्य विभाग ने डॉ राजकुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. रिम्स निदेशक द्वारा स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी पर फाइलें रोके जाने के आरोप लगाने के बाद अब विभाग ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है. स्वास्थ्य विभाग ने निदेशक पर नियमों की अनदेखी, मनमानी और संस्थान में पारदर्शिता की गंभीर कमी के आरोप लगाए हैं. विभाग का कहना है कि निदेशक वित्तीय मामलों से जुड़ी फाइलें जान-बूझकर सीधे मंत्री के पास भेजते हैं, जबकि नियमानुसार इन्हें शासी परिषद की बैठक में रखना चाहिए ताकि उन पर चर्चा हो सके. चर्चा होने से पारदर्शिता आएगी, लेकिन निदेशक को ऐसे मामलों पर जवाब भी देना होगा पर वे जवाब देने से बचना चाहते हैं. इसलिए वे गोपनीय तरीके से ऐसी फाइलों को निपटाना चाहते हैं, ताकि उन्हें जवाबदेही से बचाया जा सके.
शासी निकाय की बैठकें न बुलाने का आरोप
रिम्स अधिनियम, 2002 की धारा 13(3) और रिम्स विनियम, 2014 के विनियम 4 के अनुसार, निदेशक-सह-सदस्य सचिव का कर्तव्य है कि वे शासी निकाय की बैठकें आयोजित करें, लेकिन विभाग का आरोप है कि निदेशक के कार्यकाल में अब तक केवल दो बैठकें ही हुई हैं, जिनमें से एक बैठक विभाग के हस्तक्षेप के बाद आयोजित की गई. यह स्पष्ट करता है कि निदेशक जान-बूझकर शासी निकाय की प्रक्रिया से बचते रहे हैं. विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि शासी निकाय की बैठक बुलाने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है और न ही कभी खारिज किया गया है. इसके बावजूद निदेशक ने न तो त्रैमासिक बैठकें आयोजित कीं और न ही इस दिशा में कोई पहल की. विभाग के अनुसार, यह नियमों का सीधा उल्लंघन है.
बजट प्रबंधन में भी विफलता
रिम्स के बजट को लेकर भी विभाग ने निदेशक की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. विभाग के अनुसार, रिम्स को शासी निकाय द्वारा अनुमोदित बजट की राशि हर वर्ष बिना किसी कटौती के मंजूर की जाती है, फिर भी संस्थान हर साल धन का समुचित उपयोग करने में विफल रहा है. बजटीय प्रावधान और वास्तविक खर्च का कोई मिलान नहीं किया गया, जिससे संस्थान लगातार वित्तीय अनियमितताओं का शिकार बना हुआ है.
फाइलों का अनावश्यक विभाग को भेजा जाना
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि रिम्स एक स्वायत्त संस्थान है और अधिनियम के अनुसार अधिकांश प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार शासी निकाय के पास हैं. विभाग का कहना है कि किसी भी मामले में विभागीय अनुमति की आवश्यकता तभी होती है जब राज्य सरकार से स्पष्ट निर्देश प्राप्त हों. बावजूद इसके, निदेशक जानबूझकर फाइलें मंत्री को भेजकर न सिर्फ प्रक्रिया की अनदेखी कर रहे हैं, बल्कि बैठकों से बचने का प्रयास भी कर रहे हैं.
वित्त एवं लेखा समिति की बैठकों की अनदेखी
विभाग ने कहा है कि निदेशक ने कभी भी वित्त एवं लेखा समिति की बैठक नहीं बुलाई, जबकि वे इसके सदस्य सचिव हैं और उनका दायित्व है कि ऐसी बैठकों का आयोजन करें. अपर मुख्य सचिव द्वारा पहल करने और समय निर्धारित करने के बाद ही बैठकें आयोजित की गईं. यह साबित करता है कि निदेशक बैठकें बुलाना नहीं चाहते ताकि वे अपनी मनमानी जारी रख सकें और पारदर्शिता से बच सकें.
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