हेमंत  की कुर्सी हिलाने के लिए मोदी, शाह, योगी, नड्डा, राजनाथ मिलकर बिछायेंगे जाल, झारखंड को लेकर दिल्ली में क्यों बेचैन है बीजेपी ?

दिल्ली से तय हो रहे चुनावी मुद्दे और नेताओं की ड्यूटी

मोदी कोल्हान दौरा करके गये, अब संथाल साधने आयेंगे शाह

झारखंड की सत्ता में वापसी के लिए बेचैन है बीजेपी

एक हेमंत पूरे बीजेपी पर पड़ रहे हैं भारी  !

बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा लगाएगा बीजेपी की नैया पार !

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रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने में अभी समय है. सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाकर चुनाव की तैयारी में लग गये हैं.  चुनाव नजदीक आते ही सभी दलों की बेचैनी बढ़ी हुई है, लेकिन सबसे ज्यादा बेचैन बीजेपी है. हेमंत सरकार को हटाकर झारखंड की सत्ता में वापसी करने के लिए बीजेपी किलाबंदी में जुट गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जाल में फंसाने के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के सभी नेताओं को अभी से ही झारखंड में लगा दिया है. पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव से पहले एक बार झारखंड के कोल्हान प्रमंडल का दौरा करके जा चुके हैं. अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हेमंत सोरेन को उनके घर (संथाल परगना प्रमंडल) में घेरने आ रहे हैं.  वे शुक्रवार को झामुमो के गढ़ संथाल परगना के भोगनाडीह से परिवर्तन यात्रा की शुरुआत करेंगे. अमित शाह के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, ओड़िशा के सीएम मोहन मांझी, छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई नेता परिवर्तन रैली के बहाने हेमंत सोरेन को घेरने झारखंड आयेंगे. वहीं असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान तो हर दूसरे दिन झारखंड पहुंच रहे हैं.

संथाल-कोल्हान पर है बीजेपी की नजरें

दरअसल बीजेपी की नजर हेमंत सोरेन के मजबूत किले कोल्हान और संथाल परगना पर है. यह दोनों प्रमंडल झामुमो का गढ़ माना जाता है. 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने इन दोनों प्रमंडलों से बीजेपी का सफाया कर दिया था. बीजेपी कोल्हान और संथाल में पूरी तरह से पिछड़ गई थी. 14 सीटों वाले कोल्हान में जहां भगवा पार्टी एक सीट के लिए तरस गई थी, वहीं 18 सीटों वाले संथाल में सिर्फ चार सीटें ही हासिल कर पाई थी. यही वजह है कि इस बार पार्टी इन दो प्रमंडल में पूरा दमखम लगा रही है. लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद बीजेपी को लगा था कि झामुमो का आदिवासी वोटबैंक टूट जाएगा, लेकिन हुआ उल्टा. जेल से बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन की आदिवासी समुदाय के बीच लोकप्रियता और बढ़ गई. उन्हें आदिवासियों के मिल रहे सहानुभूति को देखकर बीजेपी टेंशन में है. इसी टेंशन के बीच बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को अपने पाले में करने के लिए राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा जोरशोर से उठा दिया है. प्रदेश में आने वाले बीजेपी के सभी केंद्रीय नेता इस मुद्दे को भुनाने के लिए पूरी जी-जान लगाए हुए हैं. बीजेपी नेताओं की हर रैली और सभा में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया जा रहा है.

दिल्ली से तय हो रहे मुद्दे और नेताओं की ड्यूटी

झारखंड में अकेले हेमंत सोरेन बीजेपी को कड़ी चुनौती दे रहे हैं.  उन्होंने अपने कार्यकाल में आदिवासी-मूलवासियों के लिए कई योजनाएं शुरू की. चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का मास्टर कार्ड खेलकर महिलाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली. 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों और बीजेपी के प्रदेश स्तर के नेताओं को वे पहले ही क्लीन बोल्ड कर चुके हैं. हेमंत सोरेन को प्रदेश बीजेपी पर भारी पड़ता देख बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मोर्चा संभाल लिया है. हेमंत सरकार को घेरने के मुद्दे और प्रदेश में बीजेपी की राजनीति चमकाने वाले नेताओं की ड्यूटी दिल्ली से तय की जा रही है. इस क्रम में बीजेपी ने राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ का पकड़ लिया. हिमंता विश्व सरमा ने तो इसे अपना तकियाकलाम ही बना लिया है. उनका कोई भी बयान या भाषण इसके बिना पूरा नहीं होता.

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